The problem of fake newspapers persists: आरएनआई रजिस्ट्रेशन के बाद प्रिंटिंग बंद करने पर सरकार की कार्रवाई क्यों नहीं?

The problem of fake newspapers persists: भारत में समाचार पत्रों और पत्रिकाओं के पंजीकरण की प्रक्रिया को नियंत्रित करने वाला नया कानून प्रेस एंड रजिस्ट्रेशन ऑफ पीरियडिकल्स एक्ट, 2023 (पीआरपी एक्ट) लागू होने के दो साल बाद भी कई अखबारों के मालिक रजिस्ट्रेशन तो करवा लेते हैं, लेकिन नियमित प्रिंटिंग और प्रकाशन नहीं करते। कई मामलों में प्रिंटिंग प्रेस भी खुद की नहीं होती और बाहर से छपवाया जाता है। इस मुद्दे पर सवाल उठता है कि सरकार ऐसी गड़बड़ियों पर सख्त कार्रवाई क्यों नहीं करती?

कानून क्या कहता है?
पीआरपी एक्ट, 2023 के अनुसार, “पीरियडिकल” (समाचार पत्र या पत्रिका) की परिभाषा में स्पष्ट है कि यह नियमित अंतराल पर प्रिंट और प्रकाशित होना चाहिए। रजिस्ट्रेशन प्रमाणपत्र मिलने के बाद प्रकाशक को निर्धारित समय में प्रकाशन शुरू करना अनिवार्य है। यदि प्रमाणपत्र जारी होने के महीने के अंत से 12 महीने के अंदर प्रकाशन शुरू नहीं होता, तो प्रेस रजिस्ट्रार जनरल (पीआरजीआई) रजिस्ट्रेशन रद्द कर सकता है।

इसके अलावा:
• यदि प्रकाशन बंद हो जाए, तो प्रकाशक को 6 महीने के अंदर पीआरजीआई को सूचना देनी होती है, अन्यथा रजिस्ट्रेशन स्वतः रद्द माना जा सकता है।
• कैलेंडर वर्ष में आवश्यक अंकों का आधा से कम प्रकाशन होने पर रजिस्ट्रेशन निलंबित किया जा सकता है।
• वार्षिक विवरण जमा न करने पर 10 हजार से 2 लाख रुपये तक जुर्माना लग सकता है।
• झूठी जानकारी देने या नियमों का उल्लंघन करने पर रजिस्ट्रेशन रद्द करने का प्रावधान है।

प्रिंटिंग प्रेस खुद की जरूरी नहीं
कानून में प्रकाशक के लिए अपनी प्रिंटिंग प्रेस रखना अनिवार्य नहीं है। तीसरे पक्ष की प्रेस से छपवाई जा सकती है, बशर्ते प्रिंटर ने पीआरजीआई को अपनी प्रेस की ऑनलाइन सूचना दे रखी हो। हर अंक पर प्रिंटर का नाम, जगह और प्रकाशक-संपादक की जानकारी छपा होना जरूरी है। यह प्रावधान पुराने कानून से अलग नहीं है, लेकिन नया एक्ट ऑनलाइन प्रक्रिया को मजबूत बनाता है।

फिर कार्रवाई में देरी क्यों?
विशेषज्ञों का मानना है कि हजारों रजिस्टर्ड पीरियडिकल्स की निगरानी करना चुनौतीपूर्ण है। कई छोटे अखबार सरकारी विज्ञापनों के लिए रजिस्ट्रेशन का दुरुपयोग करते हैं, लेकिन न्यूनतम या बिना प्रिंटिंग के सर्कुलेशन दावा करते हैं। पीआरजीआई ने 2025 में कई एडवाइजरी जारी की हैं, जैसे नियमितता जमा करने, सर्कुलेशन वेरिफिकेशन और इंप्रींट लाइन की अनिवार्यता पर जोर। कुछ मामलों में डेस्क ऑडिट के जरिए जांच शुरू हुई है, लेकिन बड़े पैमाने पर रद्दीकरण या जुर्माने की खबरें कम हैं।

पीआरजीआई की वेबसाइट पर उपलब्ध दिशानिर्देशों में जोर दिया गया है कि केवल वास्तविक और नियमित प्रकाशित पीरियडिकल्स को ही रजिस्ट्रेशन मिलेगा। फिर भी, कई पुराने रजिस्ट्रेशन अभी भी सक्रिय हैं, जिनका प्रकाशन बंद है।
सरकार का कहना है कि नया पोर्टल (प्रेस सेवा पोर्टल) पारदर्शिता बढ़ा रहा है और उल्लंघनों पर कार्रवाई प्रक्रिया में है। लेकिन प्रेस फ्रीडम के साथ संतुलन बनाते हुए फर्जी अखबारों पर सख्ती की मांग लंबे समय से उठ रही है। आने वाले समय में और एडवाइजरी या ऑडिट से स्थिति साफ हो सकती है।

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