Unnao rape case: सुप्रीम कोर्ट ने कुलदीप सेंगर की बेल पर लगाई रोक, बेटियां बोलीं- ‘परिवार की गरिमा छीनी गई, विश्वास टूट रहा’

Unnao rape case: उन्नाव दुष्कर्म मामले में पूर्व भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें सेंगर की उम्रकैद की सजा निलंबित कर उन्हें जमानत दी गई थी। कोर्ट ने मामले को “अजीबोगरीब” करार देते हुए कहा कि सेंगर जेल में ही रहेंगे, क्योंकि वे पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत के एक अन्य मामले में भी सजा काट रहे हैं।

मीडिया ट्रायल पर चेतावनी
सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की वेकेशन बेंच ने दिल्ली हाईकोर्ट के 23 दिसंबर के फैसले पर रोक लगाते हुए कहा कि मामला कानूनी सवाल उठाता है। कोर्ट ने मीडिया ट्रायल और जन दबाव से न्यायपालिका पर प्रभाव की चेतावनी दी। सीबीआई ने हाईकोर्ट के बेल आदेश को “खतरनाक” करार दिया था। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई जनवरी में तय की है।

सेंगर की बेटियों का भावुक बयान
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कुलदीप सेंगर की बेटी डॉ. इशिता सेंगर ने सोशल मीडिया पर एक भावुक ओपन लेटर साझा किया। उन्होंने खुद को “थकी, डरी और विश्वास खोती बेटी” बताया। पत्र में लिखा- “आठ साल से परिवार चुपचाप न्याय का इंतजार कर रहा है। हमने कभी शोर नहीं मचाया, प्रदर्शन नहीं किए, क्योंकि संस्थाओं पर भरोसा था। लेकिन अब वह भरोसा टूट रहा है।”

इशिता ने आरोप लगाया कि उनकी पहचान सिर्फ “एक भाजपा विधायक की बेटी” तक सीमित कर दी गई, जिससे उनकी इंसानियत मिटा दी गई। सोशल मीडिया पर लगातार नफरत, धमकियां और अपमान का सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा- “हम एहसान नहीं, सिर्फ न्याय मांग रहे हैं। कानून बिना डर और दबाव के काम करे।”

सेंगर की दूसरी बेटी ऐश्वर्या सेंगर ने मीडिया को बताया कि सुनवाई में उनके पक्ष की दलीलें तक नहीं सुनी गईं। उन्होंने पीड़िता के बयानों में बदलाव (घटना का समय 2 बजे से 8 बजे तक), AIIMS मेडिकल रिपोर्ट (पीड़िता की उम्र 18 से अधिक), CDR रिकॉर्ड (स्थान और कॉल का विरोधाभास) और अन्य सबूतों का हवाला दिया। उन्होंने परिवार पर आठ साल के सामाजिक बहिष्कार और गरिमा छीने जाने की पीड़ा जताई।

पीड़िता पक्ष की प्रतिक्रिया
पीड़िता और उनके परिवार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया। इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट के बेल आदेश पर जंतर-मंतर पर प्रदर्शन भी हुआ था। सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने इसे “देश की बेटी की जीत” बताया।

मामले की पृष्ठभूमि
2017 के उन्नाव दुष्कर्म मामले में 2019 में ट्रायल कोर्ट ने सेंगर को IPC और POCSO एक्ट के तहत उम्रकैद की सजा सुनाई थी। दिल्ली हाईकोर्ट ने 23 दिसंबर 2025 को तकनीकी आधार पर सजा निलंबित कर बेल दी थी, जिसे अब सुप्रीम कोर्ट ने रोक दिया। सेंगर पीड़िता के पिता की मौत के मामले में भी दोषी हैं।
यह मामला एक बार फिर न्याय, मीडिया ट्रायल और संस्थाओं पर विश्वास के सवाल उठा रहा है। आने वाली सुनवाई में कानूनी दलीलें निर्णायक होंगी।

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