वीडियो इंस्टाग्राम पर पोस्ट किया गया है, जहां यात्री अंशिका त्रिपाठी (@ansikka_tripathi) और प्रगति तिवारी (@_pragatitiwarii) ने अपनी परेशानी साझा की। वीडियो में यात्रियों को स्टाफ से बहस करते और लोको पायलट केबिन तक पहुंचते देखा जा सकता है। एक यात्री फोन पर किसी से बात करते हुए कहता है, “कम से कम खाना अरेंज करवा दो… इससे बेहतर तो पुरानी ट्रेनें थीं, जहां पैसे लेकर पूरी-सब्जी मिल जाती थी।” स्टाफ का जवाब सुनकर अन्य यात्री भड़क जाते हैं और बदतमीजी का आरोप लगाते हैं।
यात्रियों ने आरोप लगाया कि ट्रेन में मौजूद स्टाफ ने फूड पैकेट्स छिपाकर रखे थे। वीडियो में एक महिला पैकेट्स दिखाते हुए पूछती है, “जब बच्चे तीन-तीन बार मांगने आए थे, तब ये पैकेट कहां थे?” यात्रियों का कहना है कि हंगामा बढ़ने और कुछ लोगों के बेहोश होने के बाद ही स्टाफ ने खाना बांटना शुरू किया। पोस्ट में लिखा गया है कि न खाना मिला, न पानी, न चाय और न ही महिलाओं के लिए सैनिटरी नैपकिन जैसी बेसिक सुविधाएं। बुजुर्ग, बच्चे और महिलाएं सबसे ज्यादा परेशान हुए।
यात्रियों ने सवाल उठाया है कि प्रीमियम किराया (लगभग 2700 रुपये) देने के बावजूद ऐसी स्थिति क्यों बनी? उन्होंने रेलवे की जवाबदेही पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह सिर्फ देरी नहीं, बल्कि सिस्टम की विफलता और अमानवीय व्यवहार है।
ट्रेन रूट और देरी का कारण अभी स्पष्ट नहीं वीडियो और इससे जुड़ी खबरों में ट्रेन का स्पेसिफिक रूट या नंबर नहीं बताया गया है। दिसंबर के मौसम में उत्तर भारत में कोहरे के कारण कई ट्रेनें भारी देरी का शिकार हो रही हैं, लेकिन इस मामले में देरी का आधिकारिक कारण अभी सामने नहीं आया है।
रेलवे की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं अब तक भारतीय रेलवे या IRCTC की ओर से इस वायरल वीडियो और आरोपों पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। ऐसे मामलों में रेलवे अक्सर देरी के कारणों की जानकारी देता है और यात्रियों को हुई असुविधा के लिए खेद प्रकट करता है। यात्रियों ने मांग की है कि इस लापरवाही की जांच हो और जिम्मेदारों पर कार्रवाई की जाए।
यह घटना एक बार फिर वंदे भारत जैसी प्रीमियम ट्रेनों में कैटरिंग और इमरजेंसी व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े करती है। सोशल मीडिया पर लोग रेलवे से जवाब मांग रहे हैं। मामले की आगे की अपडेट का इंतजार है।

