New Delhi news दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच (आईएससी) ने जाली बैंक दस्तावेज़ों के जरिये प्रॉपर्टी धोखाधड़ी करने वाले एक बड़े रैकेट का भंडाफोड़ करते हुए पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया है। पकड़े गए आरोपियों की पहचान मोहित गोगिया, विशाल मल्होत्रा, सचिन गुलाटी, अभिनव पाठक और भरत छाबड़ा के रूप में हुई है। गिरोह के बैंक खातों को फ्रीज कर ठगी के पैसों से खरीदी गई दो गाड़ियाँ बरामद की गई हैं।
डीसीपी आदित्य गौतम ने रविवार को बताया कि जांच में सामने आया कि आरोपियों ने गुरुग्राम के डीएलएफ कैमेलियाज़ की फर्जी नीलामी दिखाकर 12.04 करोड़ रुपए की ठगी की। यह गिरोह डीएलएफ, एंबिएंस मॉल और अन्य प्रॉपर्टियों के नाम पर देशभर में 200 करोड़ रुपए से अधिक की धोखाधड़ी कर चुका है।
टीम ने मुख्य आरोपी मोहित गोगिया को उत्तराखंड के डोईवाला क्षेत्र से गिरफ्तार किया गया। पूछताछ के दौरान उसने अपने साथियों विशाल मल्होत्रा, सचिन गुलाटी, अभिनव पाठक और भरत छाबड़ा के नाम उजागर किए, जिन्हें बाद में दिल्ली और एनसीआर से पकड़ लिया गया।
गिरोह में शामिल अन्य आरोपी राम सिंह उर्फ बाबाजी अब भी फरार है, जो ‘बाबाजी फाइनेंस’ नामक फाइनेंस फर्म के माध्यम से धोखाधड़ी की रकम को घुमाने का काम करता था।
ऐसे करते थे धोखाधड़ी
डीसीपी के अनुसार, आरोपियों ने एसबीआई के फर्जी नीलामी दस्तावेज़, बिक्री प्रमाण पत्र और अलॉटमेंट लेटर तैयार कर शिकायतकर्ता को यह भरोसा दिलाया कि डीएलएफ कैमेलियाज़ की प्रॉपर्टी उनके माध्यम से तुरंत ट्रांसफर हो सकती है। पीड़ित व्यक्ति ने अगस्त से अक्टूबर 2024 के बीच 12.04 करोड़ रुपए का भुगतान कर दिया। बाद में पता चला कि दिखाए गए सभी दस्तावेज जाली थे।
दिल्ली और अन्य राज्यों में वांछित थे आरोपी
क्राइम ब्रांच जांच में सामने आया कि ठगी की रकम कई बैंक खातों में सर्कुलेट की गई। इसके जरिए दो लग्जरी कारें खरीदी गईं, जिनका उपयोग राम सिंह ‘पायलट’ और ‘एस्कॉर्ट’ वाहनों की तरह करता था। क्राइम ब्रांच की टीम फरार मास्टरमाइंड राम सिंह और नेटवर्क से जुड़े अन्य लोगों की तलाश कर रही है। शुरुआती जांच से पता चला है कि गिरोह पंजाब, मध्य प्रदेश, गोवा और दिल्ली में भी सक्रिय था, तथा कई मामलों में आरोपी पहले से वांछित थे।
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