यह विवाद मार्च 2025 से शुरू हुआ, जब ट्रंप ने राष्ट्रपति ज्ञापन और कार्यकारी आदेशों के जरिए कई व्यक्तियों और लॉ फर्म्स की सिक्योरिटी क्लियरेंस रद्द या निलंबित कर दीं। इनमें प्रमुख राष्ट्रीय सुरक्षा वकील मार्क ज़ेड शामिल हैं, जो व्हिसलब्लोअर्स (सूचना देने वालों) का प्रतिनिधित्व करते रहे हैं, खासकर ट्रंप के पहले कार्यकाल की यूक्रेन महाभियोग जांच में। ट्रंप ने ज़ेड सहित 15 व्यक्तियों की क्लियरेंस रद्द करने का आदेश दिया था।
अन्य लक्षित फर्म्स में पर्किन्स कोई (Perkins Coie) शामिल है, जिसने 2016 की रूस जांच और हिलेरी क्लिंटन की चुनावी मुहिम से जुड़े काम किए थे। इसी तरह कोविंगटन एंड बर्लिंग, जेनर एंड ब्लॉक, विल्मरहेल जैसी फर्म्स पर भी कार्रवाई हुई, जो जैक स्मिथ के विशेष अभियोजक मामलों या ट्रंप विरोधी मुकदमों से जुड़ी थीं। ट्रंप प्रशासन का तर्क था कि ये क्लियरेंस “राष्ट्रीय हित में नहीं” हैं और इन्हें उन लोगों से छीना जा रहा है जो “राजनीतिक दुश्मन” हैं या “रूस होक्स” जैसे मामलों में शामिल थे।
हालांकि, कई वकीलों और फर्म्स ने इन आदेशों को चुनौती दी। दिसंबर 2025 में संघीय अदालतों ने ट्रंप के कई प्रयासों को रोका। उदाहरण के लिए, 24 दिसंबर को एक संघीय जज ने मार्क ज़ेड की सिक्योरिटी क्लियरेंस रद्द करने पर रोक लगा दी, इसे प्रतिशोधात्मक कार्रवाई बताया। ज़ेड ने कहा कि यह “कानून का शासन पर हमला” है और दशकों पुरानी प्रक्रिया को नष्ट करता है।
अन्य रिपोर्ट्स के अनुसार, कुछ फर्म्स ने ट्रंप के साथ समझौता कर लिया, जबकि अन्य ने मुकदमे जीते। फॉक्स न्यूज जैसे स्रोतों ने ट्रंप के कदमों को “रूस होक्स” या राजनीतिक उत्पीड़न से जुड़े लोगों से क्लियरेंस छीनने के रूप में सकारात्मक बताया। वहीं, सीएनएन और न्यूयॉर्क टाइम्स ने इसे लोकतंत्र विरोधी और वकीलों को डराने की कोशिश करार दिया।
कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि राष्ट्रपति के पास क्लियरेंस रद्द करने की व्यापक शक्ति है, लेकिन इसे प्रतिशोध के लिए इस्तेमाल करना संवैधानिक चिंताएं पैदा करता है। यह मामला अमेरिकी न्याय व्यवस्था में स्वतंत्रता और कार्यकारी शक्ति के बीच टकराव को उजागर कर रहा है।
ट्रंप प्रशासन ने इन फैसलों पर अपील करने के संकेत दिए हैं, लेकिन अब तक कई मामलों में असफल रहा है। यह मुद्दा ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में बदले की राजनीति के आरोपों को और मजबूत कर रहा है।

