Mob lynching of Hindu man in Bangladesh: अंतरिम सरकार ने ठहराया अपराधी गतिविधियों का दोष, भारतिय मीडिया में हिंदू-मुस्लिम हिंसा पर बहस तेज

Mob lynching of Hindu man in Bangladesh: बांग्लादेश के राजबाड़ी जिले में एक हिंदू व्यक्ति की भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या कर दी गई। मृतक की पहचान अमृत मंडल (उर्फ अमृत मोंडल या सम्राट) के रूप में हुई है, जो 29-30 वर्षीय था। घटना 24 दिसंबर की रात को हुई, जब कथित तौर पर वह एक घर से उगाही मांगने गया था और स्थानीय लोगों से झड़प हो गई थी।

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार (मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में) ने इस हत्या की कड़ी निंदा की है, लेकिन स्पष्ट रूप से कहा कि यह घटना साम्प्रदायिक नहीं है। सरकार के बयान के अनुसार, अमृत मंडल एक कुख्यात अपराधी था, जो ‘सम्राट बहिनी’ नामक गिरोह का सरगना था। उस पर उगाही, हत्या और आतंकी गतिविधियों के कई मामले दर्ज थे। वह हाल ही में भारत में छिपा हुआ था और वापस लौटकर फिर से अपराधी गतिविधियां शुरू करने जा रहा था। घटना के बाद पुलिस ने उसके साथी सलीम को विदेशी पिस्तौल और पाइपगन के साथ गिरफ्तार कर लिया गया है। सरकार ने इसे “दुर्भाग्यपूर्ण” बताया, लेकिन चेतावनी दी कि कुछ लोग पीड़ित की धार्मिक पहचान को उजागर कर इसे साम्प्रदायिक हमला बताने की कोशिश कर रहे हैं, जो गलत है।
यह घटना कुछ दिनों पहले हुई एक अन्य लिंचिंग के बाद आई है। 18-19 दिसंबर को मायमेनसिंह जिले में दीपू चंद्र दास नामक एक हिंदू युवक को कथित ईश निंदा के आरोप में भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला और शव को आग लगा दी। उस घटना को लेकर बांग्लादेश में व्यापक विरोध हुआ और अंतरिम सरकार ने इसे भी निंदा की, लेकिन अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर सवाल उठ रहे है।

भारत में हिंदू-मुस्लिम हिंसा पर बहस तेज
भारतीय मीडिया और राजनीतिक हलकों में बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हमलों को लेकर गहन बहस चल रही है। शेख हसीना के सत्ता से हटने (2024 में) के बाद से बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमलों की खबरें बढ़ी हैं। कई भारतीय मीडिया चैनल्स और संगठन (जैसे विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल) इन घटनाओं को साम्प्रदायिक हिंसा का हिस्सा बता रहे हैं। दीपू चंद्र दास की हत्या के बाद भारत के कई शहरों में प्रदर्शन हुए, बांग्लादेशी मिशनों के बाहर विरोध प्रदर्शन किए गए। कुछ चैनलों पर डिबेट में इसे “हिंदुओं पर सुनियोजित हमले” के रूप में बताया जा रहा है, जबकि अन्य रिपोर्ट्स में बांग्लादेश सरकार के बयान को जगह दी गई है कि ये घटनाएं अपराध या स्थानीय विवाद से जुड़ी हैं, न कि धार्मिक।

शेख हसीना ने भी अंतरिम सरकार पर अल्पसंख्यकों के खिलाफ अत्याचार के आरोप लगाए हैं। भारत-बांग्लादेश संबंधों में तनाव बढ़ा है, जिसमें दोनों देशों ने एक-दूसरे के राजनयिकों को तलब किया।

विशेषज्ञों का मानना है कि बांग्लादेश में कट्टरपंथी समूहों की बढ़ती सक्रियता और राजनीतिक अस्थिरता अल्पसंख्यकों के लिए चुनौतियां पैदा कर रही है, लेकिन हर घटना को साम्प्रदायिक रंग देना सही नहीं। पुलिस जांच से ही स्पष्ट होगा कि अमृत मंडल की हत्या में धार्मिक कोण था या नहीं।
यह मामला बांग्लादेश में कानून-व्यवस्था और अल्पसंख्यक सुरक्षा पर बड़ा सवाल उठा रहा है, जबकि भारतिय मीडिया में यह हिंदू-मुस्लिम संबंधों की चर्चा का केंद्र बन गया है।

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