विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल और युवा वाहिनी नोएडा महानगर के कार्यकर्ता सेक्टर-21ए स्टेडियम गेट नंबर-4 से जुलूस निकालकर डीएम चौराहे तक पहुंचे। उन्होंने बांग्लादेश में हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की निर्मम हत्या और अन्य अत्याचारों की निंदा की, साथ ही अंतरिम सरकार से दोषियों को सजा देने की मांग की।
यह प्रदर्शन बांग्लादेश में बढ़ती सांप्रदायिक हिंसा की पृष्ठभूमि में हुआ है। दिसंबर 2025 में बांग्लादेश के मायमेंसिंह जिले में 27 वर्षीय हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या कर दी गई और उसे जिंदा जला दिया गया। आरोप ब्लास्फेमी (ईशनिंदा) का लगा था, जो अफवाहों पर आधारित बताया जा रहा है। इस घटना ने भारत सहित अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता बढ़ा दी है।
इस हत्याकांड के खिलाफ भारत के कई शहरों में प्रदर्शन हुए। सबसे बड़ा प्रदर्शन 23 दिसंबर को नई दिल्ली में बांग्लादेश हाई कमीशन के बाहर हुआ, जहां VHP और बजरंग दल के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने पुलिस बैरिकेड्स तोड़ने की कोशिश की, झड़प हुई और अंतरिम सरकार प्रमुख मुहम्मद यूनुस का पुतला फूंका गया।
इसी तरह कानपुर, ललितपुर, हार्डोई, अम्बेडकरनगर और अन्य शहरों में भी हिंदू संगठनों ने पुतला दहन और प्रदर्शन किए।
बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हमलों का सिलसिला 2024 में शेख हसीना सरकार के पतन के बाद से बढ़ गया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, 2025 के पहले छह महीनों में 258 से अधिक सांप्रदायिक हमले दर्ज हुए, जिनमें मंदिरों पर हमले, घर जलाना और हत्याएं शामिल हैं। दिसंबर में दीपू चंद्र दास की हत्या के बाद हिंसा और बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।
बांग्लादेश सरकार ने दीपू चंद्र दास मामले में 12 लोगों की गिरफ्तारी की है और हिंसा पर गंभीर चिंता जताई है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इस घटना की निंदा हुई है, जिसमें संयुक्त राष्ट्र महासचिव और अमेरिकी सांसद शामिल हैं।
हिंदू संगठनों का कहना है कि बांग्लादेश में हिंदू आबादी लगातार घट रही है और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए। भारत सरकार ने भी इस हत्याकांड को “भयानक” करार दिया है।
यह मुद्दा भारत-बांग्लादेश संबंधों को प्रभावित कर रहा है, जहां दोनों पक्ष एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि कट्टरपंथी तत्वों की सक्रियता से स्थिति बिगड़ रही है।

