घटना 22 दिसंबर 2025 को आईजीएमसी के पल्मोनरी मेडिसिन वार्ड में हुई। मरीज अर्जुन सिंह (उम्र करीब 34-36 वर्ष), जो शिमला जिले के कुपवी क्षेत्र के रहने वाले हैं और एक निजी अकादमी में शिक्षक हैं, ब्रॉन्कोस्कोपी प्रक्रिया के बाद सांस की तकलीफ महसूस कर रहे थे। उनका आरोप है कि डॉक्टर राघव नरूला (31 वर्ष) ने उन्हें संबोधित करते समय “तू” शब्द का इस्तेमाल किया, जिस पर उन्होंने आपत्ति जताई। इससे बात बढ़ी और डॉक्टर आक्रोशित हो गए।
वायरल वीडियो में डॉक्टर को मरीज के चेहरे पर मुक्के मारते देखा गया, जबकि मरीज बेड पर लेटे हुए थे और उन्होंने डॉक्टर को लात मारने की कोशिश की। वीडियो में मरीज के नाक पर चोट के निशान भी दिखाई दिए। इस वीडियो के वायरल होने के बाद मरीज के परिजनों और अन्य लोगों ने अस्पताल में प्रदर्शन करना शुरू कर दिया, डॉक्टर की गिरफ्तारी की मांग की। पुलिस ने हस्तक्षेप कर स्थिति संभाली। मरीज के परिजनों ने डॉक्टर के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई।
दूसरी ओर, डॉक्टर नरूला का दावा है कि मरीज और उनके परिजनों ने पहले गाली-गलौच की और उनके परिवार पर अभद्र टिप्पणियां कीं। कुछ नए वीडियो सामने आए हैं, जिनमें झड़प से पहले की बहस दिखाई दे रही है, जहां मरीज पक्ष से डॉक्टर को “बदतमीज” कहते सुना जा सकता है। डॉक्टरों के संगठनों का कहना है कि वायरल वीडियो आंशिक है जो की पूरी सच्चाई नहीं दिखाता।
प्रारंभिक जांच के बाद 22 दिसंबर को ही डॉक्टर को निलंबित कर दिया गया था। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के निर्देश पर गठित समिति ने रिपोर्ट सौंपी, जिसमें दोनों पक्षों को “दुर्व्यवहार, कदाचार और सार्वजनिक सेवक के लिए अनुचित आचरण” का दोषी पाया गया। रिपोर्ट में रेजिडेंट डॉक्टर पॉलिसी-2025 के उल्लंघन का भी जिक्र है। 24 दिसंबर को जारी आदेश में डॉक्टर की सेवा समाप्त कर दी गई।
इस घटना पर शिमला एसोसिएशन ऑफ मेडिकल एंड डेंटल कॉलेज टीचर्स (एसएएमडीसीओटी) ने पारदर्शी जांच की मांग की है। संगठन ने चेतावनी दी कि अगर भीड़ को उकसाने वालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई तो राज्यव्यापी आंदोलन किया जाएगा। डॉक्टरों का कहना है कि अस्पतालों में डॉक्टरों को अक्सर धमकियां और असुरक्षा का सामना करना पड़ता है, जो मरीजों की देखभाल पर असर डालता है।
कुछ रिपोर्ट्स में काउंटर-कंप्लेंट का भी जिक्र है, लेकिन अभी तक मरीज पक्ष पर कोई बड़ी कार्रवाई की खबर नहीं आई। पुलिस और अस्पताल दोनों अलग-अलग जांच कर रहे हैं।
यह घटना डॉक्टर-मरीज संबंधों में विश्वास की कमी और अस्पतालों में सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि दोनों पक्षों को संयम बरतना चाहिए, क्योंकि ऐसे विवाद अंततः स्वास्थ्य सेवाओं को प्रभावित करते हैं।

