Supertech Supernova Project: सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय कमिटी गठित, घर खरीदारों में जगी नई उम्मीद

Supertech Supernova Project: सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा के सेक्टर-94 में अटके सुपरटेक सुपरनोवा प्रोजेक्ट को पूरा कराने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। कोर्ट ने एक तीन सदस्यीय कमिटी गठित की है, जो प्रोजेक्ट की दिन-प्रतिदिन की देखभाल करेगी, नया डेवलपर चुनेगी और कंपनी के खातों की फोरेंसिक जांच कराएगी। इस फैसले से हजारों घर खरीदारों को बड़ी राहत मिली है, जो लंबे समय से अपने सपनों के घर का इंतजार कर रहे थे।

कमिटी के सदस्य और जिम्मेदारियां
कमिटी की अध्यक्षता जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एम एम कुमार करेंगे। अन्य दो सदस्य पूर्व NBCC के CMD अनूप कुमार मित्तल और वित्तीय विशेषज्ञ राजीव मेहरोत्रा हैं।

कमिटी की मुख्य जिम्मेदारियां:
• प्रोजेक्ट की दैनिक प्रबंधन संभालना
• नए डेवलपर के लिए प्रस्ताव आमंत्रित करना और उनकी जांच करना (समय सीमा, ट्रैक रिकॉर्ड, अनुभव और वित्तीय क्षमता को ध्यान में रखते हुए)
• सुपरटेक रियल्टर्स और उसकी पैरेंट कंपनी के खातों का फोरेंसिक ऑडिट कराना
• कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि पुराने प्रमोटरों या उनसे जुड़ी कोई कंपनी इस प्रक्रिया में हिस्सा नहीं ले सकेगी
सुप्रीम कोर्ट ने “जीरो पीरियड” की व्यवस्था भी की है, जिसके तहत प्रोजेक्ट पूरा होने तक नोएडा अथॉरिटी और बैंक कोई बकाया राशि की वसूली नहीं कर सकेंगे। इससे घर खरीदारों के हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता मिलेगी।

प्रोजेक्ट की स्थिति और राहत की खबरें
सुपरनोवा एक मिक्स्ड-यूज डेवलपमेंट है, जिसमें रेसिडेंशियल फ्लैट्स, ऑफिस स्पेस, रिटेल और लग्जरी होटल शामिल हैं। यह प्रोजेक्ट करीब 70 हजार वर्ग मीटर जमीन पर बन रहा है और इसका अनुमानित लागत 2,300 करोड़ रुपये से अधिक है। इंसॉल्वेंसी प्रक्रिया के कारण निर्माण कार्य रुका हुआ था।
हाल की कुछ रिपोर्ट्स में यह भी सामने आया है कि प्रोजेक्ट के ईस्ट और वेस्ट टावरों में 497 फ्लैट्स की रजिस्ट्री का रास्ता साफ हो गया है। इससे उन खरीदारों को जल्द पजेशन मिल सकेगा, जो वर्षों से इंतजार में थे।

घर खरीदारों और विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया
घर खरीदारों ने इस फैसले का जोरदार स्वागत किया है। उनका कहना है कि IBC प्रक्रिया में सालों लग जाते हैं और समाधान की गारंटी नहीं होती, जबकि कोर्ट की यह पहल व्यावहारिक और तेज समाधान देगी। कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यह मॉडल अन्य अटके रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स के लिए भी अपनाया जा सकता है, जहां IBC और RERA पूरी तरह सफल नहीं हो पाए हैं।

यह फैसला एक बार फिर साबित करता है कि सुप्रीम कोर्ट घर खरीदारों के हितों को प्राथमिकता दे रहा है। उम्मीद है कि कमिटी के नेतृत्व में प्रोजेक्ट जल्द पूरा होगा और खरीदारों का घर का सपना साकार हो सकेगा।

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