राज्य निर्वाचन आयुक्त आरपी सिंह ने हाल ही में प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि पुनरीक्षण अभियान में 1.81 करोड़ नए मतदाता जोड़े गए, जबकि 1.41 करोड़ नाम हटाए गए। इनमें अधिकांश डुप्लीकेट, मृत या विस्थापित मतदाता थे। नेट बढ़ोतरी 40.19 लाख (3.26 प्रतिशत) रही, जिससे कुल मतदाता संख्या अब 12.69 करोड़ हो गई है। विशेष रूप से युवा मतदाताओं पर फोकस किया गया, जिसमें 18-23 आयु वर्ग के करीब 1.05 करोड़ नए वोटर शामिल हुए।
स्टेट वोटर नंबर: यूनिक पहचान की गारंटी
इस बार पहली बार हर मतदाता को 9 अंकों का ‘स्टेट वोटर नंबर’ (SVN) आवंटित किया गया है। यह नंबर मतदाता की स्थायी और यूनिक पहचान बनेगा। इससे एक व्यक्ति का नाम कई पंचायतों या क्षेत्रों में दोहराया जाना असंभव हो जाएगा। नाम हटने पर यह नंबर फ्रीज हो जाएगा और किसी अन्य को नहीं दिया जाएगा। आयुक्त ने कहा कि यह डाटा प्रबंधन को मजबूत बनाएगा और फर्जी एंट्री पर पूरी रोक लगेगी।
फेसियल रिकग्निशन: फर्जी वोटिंग की जड़ें काटेगा
पंचायत चुनावों में फर्जी मतदान रोकने के लिए सबसे बड़ा कदम फेसियल रिकग्निशन तकनीक का इस्तेमाल है। मतदान केंद्रों पर वोटरों की पहचान चेहरे से की जाएगी। अगर कोई दूसरे के नाम पर वोट डालने की कोशिश करेगा, तो सिस्टम तुरंत अलर्ट कर देगा। आयुक्त आरपी सिंह ने इसे ऐतिहासिक बदलाव बताया, जो फर्जी वोटिंग की संभावना को लगभग शून्य कर देगा। पहले चरण में AI और फेस रिकग्निशन का इस्तेमाल वोटर लिस्ट सत्यापन में किया गया, जिससे लाखों संदिग्ध एंट्री पकड़ी गईं।
ड्राफ्ट सूची 23 दिसंबर को होगी जारी
23 दिसंबर 2025 को मतदाता सूची की ड्राफ्ट लिस्ट सार्वजनिक की जाएगी। इसके बाद मतदाता अपना नाम चेक कर सकते हैं और त्रुटि पर दावा-आपत्ति दर्ज करा सकते हैं। अंतिम सूची के बाद चुनाव प्रक्रिया आगे बढ़ेगी। चुनाव अप्रैल-मई 2026 में प्रस्तावित हैं।
राज्य निर्वाचन आयोग का लक्ष्य है कि डिजिटल तकनीक और सख्त सत्यापन से यूपी के पंचायत चुनाव देश में निष्पक्षता की मिसाल बनें। युवाओं को लोकतंत्र से जोड़ने और फर्जीवाड़े पर रोक लगाने से ग्रामीण लोकतंत्र मजबूत होगा।

