ये नाम मुख्य रूप से मृतक (deceased), स्थायी रूप से स्थानांतरित (permanently shifted), अनुपस्थित/अनट्रेसेबल (absent/untraceable) या डुप्लीकेट एनरोलमेंट वाले मतदाताओं के हैं। चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि ये नाम अभी पूरी तरह डिलीट नहीं हुए हैं, बल्कि ASD (Absent, Shifted, Dead/Duplicate) कैटेगरी में रखे गए हैं। दावा-आपत्ति की प्रक्रिया के बाद फाइनल लिस्ट में बदलाव हो सकता है।
राज्यवार ब्रेकअप:
• पश्चिम बंगाल: सबसे ज्यादा प्रभावित। पहले 7.66 करोड़ मतदाता थे, अब ड्राफ्ट में 7.08 करोड़। करीब 58 लाख नाम हटाए गए। इनमें 24.16 लाख मृतक, 32.65 लाख स्थानांतरित/अनुपस्थित और 1.38 लाख डुप्लीकेट शामिल हैं।
• राजस्थान: करीब 42-44 लाख नाम हटे। पहले 5.46 करोड़ मतदाता, अब 5.04 करोड़। जयपुर में सबसे ज्यादा 5.3 लाख से अधिक नाम हटे। कारण: 8.75 लाख मृतक, 29.6 लाख स्थानांतरित/अनुपस्थित, 3.44 लाख डुप्लीकेट।
• गोवा: करीब 1 लाख नाम हटे। पहले 11.85 लाख, अब 10.85 लाख। नॉर्थ गोवा में 44,639 और साउथ गोवा में 55,403 नाम हटे।
• पुडुचेरी: 1.03 लाख नाम हटे। पहले 10.21 लाख, अब 9.18 लाख। 20,798 मृतक, 80,645 स्थानांतरित/अनुपस्थित।
• लक्षद्वीप: मामूली कमी, करीब 1,600 नाम हटे।
यह कमी बिहार के अगस्त 2025 SIR से मिलती-जुलती है, जहां करीब 8% मतदाता हटाए गए थे। SIR का उद्देश्य मतदाता सूची को साफ-सुथरा और अपडेट रखना है, ताकि फर्जी या अयोग्य नाम हट सकें।
आगे की प्रक्रिया:
• दावा-आपत्ति अवधि: 17 दिसंबर 2025 से 15 जनवरी 2026 तक। अगर आपका नाम गलती से हट गया है तो फॉर्म 6 या संबंधित दस्तावेज जमा कर नाम जुड़वा सकते हैं।
• सुनवाई और वेरिफिकेशन: जनवरी-फरवरी 2026 में।
• फाइनल रोल प्रकाशन: 14 फरवरी 2026।
चुनाव आयोग ने कहा कि यह प्रक्रिया संवैधानिक प्रावधानों के तहत है और कोई योग्य मतदाता छूटना नहीं चाहिए। मतदाता अपनी स्थिति चेक करने के लिए ECI की वेबसाइट voters.eci.gov.in या हेल्पलाइन 1950 पर संपर्क कर सकते हैं। राजनीतिक दलों के बूथ लेवल एजेंट्स भी वेरिफिकेशन में मदद कर रहे हैं।
यह संशोधन 2026 में होने वाले विधानसभा चुनावों (खासकर पश्चिम बंगाल) की तैयारी का हिस्सा है। आयोग का जोर है कि सूची सटीक और पारदर्शी होनी चाहिए।

