पुलिस अधिकारियों के अनुसार, हादसा सुबह करीब 4:30 बजे हुआ, जब कोहरे के कारण दृश्यता बेहद कम थी। शुरुआती रिपोर्टों में मौतों की संख्या 4 बताई गई थी, लेकिन जैसे-जैसे बचाव कार्य आगे बढ़ा, मरने वालों की संख्या बढ़कर 13 हो गई। घायलों में से कई की हालत गंभीर बताई जा रही है, और उन्हें मथुरा जिला अस्पताल, वृंदावन के संयुक्त जिला अस्पताल और आगरा मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया है। बचाव अभियान में पुलिस, फायर ब्रिगेड और एसडीआरएफ की टीमें शामिल रहीं, जिन्होंने करीब छह घंटे तक मसक्कत करना पड़ा। करीब 20 एंबुलेंस की मदद से घायलों को अस्पताल पहुंचाया गया।
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि आग लगने के बाद बसों के दरवाजे लॉक होने के कारण यात्रियों को खिड़कियों से कूदकर जान बचानी पड़ी। फायर ब्रिगेड की गाड़ियां देर से पहुंचीं, जिससे आग पर काबू पाने में मुश्किल हुई। हादसे के बाद एक्सप्रेसवे पर करीब तीन किलोमीटर लंबा जाम लग गया, और ट्रैफिक को डायवर्ट किया गया। क्रेन की मदद से जले हुए वाहनों को हटाया गया।
मथुरा पुलिस ने एक्स पर एक बयान जारी कर कहा कि हादसे में सात बसें और तीन छोटे वाहन शामिल थे, और कोई भी घायल गंभीर हालत में नहीं है। हालांकि, बाद की रिपोर्टों में घायलों की संख्या बढ़कर 66 बताई गई। पुलिस ने कहा कि पहचान प्रक्रिया जारी है, आगे चलकर मौतों की संख्या में और बढ़ोतरी हो सकती है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक्स पर शोक व्यक्त करते हुए मृतकों के परिवारों को 2 लाख रुपये की अनुग्रह राशि और घायलों को 50,000 रुपये देने की घोषणा की। उन्होंने जिला प्रशासन को घायलों के उचित इलाज के निर्देश दिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष (पीएमएनआरएफ) से मृतकों के परिजनों को 2 लाख रुपये और घायलों को 50,000 रुपये की सहायता राशि देने की घोषणा की।
यह हादसा सर्दियों में कोहरे के कारण होने वाली सड़क दुर्घटनाओं की समस्या को फिर से उजागर कर रहा है। अधिकारियों ने ड्राइवरों से अपील की है कि कम दृश्यता में सावधानी बरतें, फॉग लाइट्स का इस्तेमाल करें और अनावश्यक यात्रा से बचें। जिला मजिस्ट्रेट ने मामले की मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए हैं।
हादसे की जांच जारी है, और पुलिस ने कहा कि कोहरे के अलावा तेज रफ्तार भी एक कारण हो सकती है। घायलों को सरकारी वाहनों से उनके गंतव्य तक पहुंचाया गया।

