वायु (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1981 की धारा 31(ए) का हवाला दिया गया है। DPCC का कहना है कि कोयला आधारित तंदूर स्थानीय स्तर पर PM2.5 और PM10 जैसे प्रदूषकों का बड़ा स्रोत हैं, जो दिल्ली के AQI को और खराब करते हैं। यह कदम ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) के स्टेज-1 के तहत पहले से निर्धारित उपायों को सख्ती से लागू करने का हिस्सा है। कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM) की 2022 और 2023 की गाइडलाइंस का भी जिक्र किया गया है।
शहरी स्थानीय निकायों (MCD सहित) को निर्देश दिए गए हैं कि वे निरीक्षण करें और उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई करें। बड़े रेस्तरां आसानी से गैस या इलेक्ट्रिक तंदूर में बदलाव कर सकते हैं, लेकिन छोटे ढाबे और सड़क किनारे के विक्रेता इससे प्रभावित होंगे। कई रिपोर्ट्स में कहा गया है कि कोयले से मिलने वाला स्मोकी फ्लेवर गैस या इलेक्ट्रिक में नहीं आएगा, जिससे तंदूरी व्यंजनों का स्वाद बदल सकता है। कुछ रेस्तरां मालिकों ने इसे जरूरी बताया, तो कुछ ने लागत बढ़ने की शिकायत की है।
इसके अलावा, DPCC ने धूल प्रदूषण नियंत्रित करने के लिए सड़कों, फुटपाथों और सार्वजनिक जगहों पर रेत, बजरी, ईंट, सीमेंट आदि निर्माण सामग्री की अनधिकृत बिक्री, भंडारण और परिवहन पर रोक लगा दी है। ऐसे विक्रेताओं को हटाने और सामग्री जब्त करने के आदेश दिए गए हैं। नियम तोड़ने पर MCD एक्ट के तहत जुर्माना लगाया जा सकता है, जिसमें ₹5,000 तक की पेनाल्टी शामिल है। यह धूल से होने वाले फ्यूजिटिव डस्ट को रोकने के लिए है, जो दिल्ली में PM10 का प्रमुख कारण है।
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने खुले में कचरा जलाने पर भी पूर्ण बैन लगाया है, जिसमें पत्ते, प्लास्टिक या किसी भी कूड़े को जलाने पर ₹5,000 का जुर्माना लगेगा। उन्होंने नागरिकों से सहयोग की अपील की है कि छोटे-छोटे कदम से बड़ा बदलाव आ सकता है।
दिल्ली का AQI इन दिनों ‘पुअर’ से ‘वेरी पुअर’ के बीच बना हुआ है, और विशेषज्ञों का कहना है कि ये उपाय स्थानीय प्रदूषण को कम करने में मदद करेंगे। हालांकि, वाहन उत्सर्जन और पराली जलाने जैसे बड़े स्रोतों पर भी ध्यान देने की जरूरत है। DPCC और MCD की टीमों ने निरीक्षण शुरू कर दिए हैं, और उल्लंघनकर्ताओं पर सख्ती बरती जा रही है।

