फिल्म में धर्मेंद्र (वीरू), अमिताभ बच्चन (जय), संजीव कुमार (ठाकुर), हेमा मालिनी (बसंती), जया बच्चन और अमजद खान (गब्बर) जैसे सितारों की जोड़ी ने एक बार फिर जादू बिखेरा। इस री-रिलीज का सबसे बड़ा आकर्षण वह विवादास्पद क्लाइमेक्स है, जिसमें ठाकुर गब्बर सिंह को अपने नुकीले जूतों से मसलकर मार डालता है। 1975 में सेंसर बोर्ड ने इसे ‘बहुत हिंसक’ बताते हुए काट दिया था, क्योंकि इमरजेंसी के दौर में सरकार को डर था कि इससे दर्शक कानून तोड़ने के लिए प्रेरित हो सकते हैं। इसके अलावा, इमाम साहब के बेटे की हत्या का सीन भी हटा दिया गया था। अब 50 साल बाद, सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (CBFC) ने बिना किसी कट के ‘U’ सर्टिफिकेट दे दिया है। रनटाइम अब 209 मिनट (3 घंटे 29 मिनट) हो गया है, जो मूल 190 मिनट से 19 मिनट ज्यादा है।
रमेश सिप्पी ने हाल ही में एक इंटरव्यू में बताया, “उस समय भारी दबाव था। सेंसर बोर्ड ने कहा कि ठाकुर एक पूर्व पुलिस अधिकारी है, उसे कानून हाथ में नहीं लेना चाहिए। मजबूरी में हमने पुलिस वाले एंडिंग को जोड़ दिया।” इस री-रिलीज में न सिर्फ क्लाइमेक्स बहाल किया गया है, बल्कि गब्बर की चीखें और वीरू की धमकियां डॉल्बी साउंड में इतनी जीवंत हैं कि थिएटर में सन्नाटा छा जाता है। एक दर्शक ने X पर लिखा, “50 साल बाद 4K में शोले देखकर आंसू आ गए। धर्मेंद्र जी को ट्रिब्यूट जैसा लगा।”
हालांकि, फिल्म में एक और बदलाव ने विवाद खड़ा कर दिया। मशहूर डायलॉग “जेम्स बॉन्ड” को “तात्या टोपे” से बदल दिया गया, जिस पर स्क्रिप्ट राइटर जावेद अख्तर ने असहमति जताई। सोशल मीडिया पर यूजर्स ने इसे ‘हिस्टोरिकल करेक्शन’ तो कहा, लेकिन कई ने ‘ओवर-सेंसिटिविटी’ का तमगा भी दिया। अमिताभ बच्चन ने भी X पर फिल्म का प्रोमो शेयर कर लिखा, “
” के साथ वीडियो पोस्ट किया, जो लाखों व्यूज बटोर चुका है।
यह री-रिलीज खासतौर पर भावुक इसलिए भी है क्योंकि धर्मेंद्र का निधन महज 18 दिन पहले ही हुआ है। कोलकाता में अमिताभ बच्चन फैंस एसोसिएशन ने 100 सदस्यों के साथ स्पेशल स्क्रीनिंग की, जहां वीरू को श्रद्धांजलि दी गई। अमेरिका में भी इंडिपेंडेंट थिएटर्स में रिलीज हो रही फिल्म ने नॉस्टैल्जिया का तड़का लगाया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि वीकेंड पर कलेक्शन में उछाल आ सकता है, क्योंकि ‘धुरंधर’ जैसी नई रिलीज के बीच क्लासिक्स का अपना अलग क्रेज है। 1975 में शोले ने 35 करोड़ कमाए थे, जो आज के हिसाब से 3000 करोड़ से ज्यादा के बराबर है। क्या यह री-रिलीज इतिहास दोहराएगी? वक्त ही बताएगा। अगर आपने अभी तक नहीं देखी, तो थिएटर में जाकर महसूस कीजिए – “बसंती, इन कुत्तों के सामने मत नाचना!”

