अनिरुद्धाचार्य (असली नाम: अनिरुद्ध राम तिवारी) का जन्म 27 सितंबर 1989 को मध्य प्रदेश के जबलपुर में हुआ था। वह 36 वर्ष के हैं और वृंदावन में गौरी गोपाल आश्रम चलाते हैं। उनके विवादास्पद बयान की शुरुआत अक्टूबर 2025 में एक कथा के दौरान हुई, जब उन्होंने कहा, “आजकल लड़कियां 25 साल की उम्र में शादी करती हैं, तब तक वे चार-पांच जगह ‘मुंह मार’ चुकी होती हैं। शादी 14 साल की उम्र में ही हो जानी चाहिए।” इस बयान ने महिलाओं के सम्मान को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया गया, और हिंदू महासभा की आगरा जिलाध्यक्ष मीरा राठौर ने मथुरा कोर्ट में शिकायत दर्ज कराई। कोर्ट ने इसे स्वीकार करते हुए एफआईआर का आदेश दिया है।
शादी का रहस्य
अनिरुद्धाचार्य अपने पारिवारिक जीवन को हमेशा से गोपनीय रखते आए हैं। उनकी पत्नी आरती दूबे तिवारी को भक्त ‘गुरु मां’ के नाम से जाना जाता है। आरती एक आध्यात्मिक महिला हैं, जिन्होंने मनोविज्ञान में पीएचडी की है। वह भजन गायिका हैं और राधा-कृष्ण भक्ति में सक्रिय रहती हैं। सोशल मीडिया पर वे पति-पुत्रों के साथ तस्वीरें साझा करती हैं, लेकिन शादी की तारीख या उम्र का जिक्र कहीं नहीं मिलता।
उनके दो बेटे हैं—ओम तिवारी और शिवू तिवारी। अनिरुद्धाचार्य ने कई कथाओं में छोटे बेटे शिवू की देखभाल का जिक्र किया है, जब वह मात्र एक वर्ष के थे। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि उनकी शादी कम से कम 15-20 साल पहले हो चुकी होगी, यानी अनिरुद्धाचार्य की उम्र 16-21 वर्ष के आसपास। लेकिन यह मात्र अनुमान है। सोशल मीडिया पर भी इसकी कोई पुष्टि नहीं मिली। एक पुराने वीडियो में उन्होंने सामान्य रूप से कम उम्र के विवाह का समर्थन किया था, लेकिन अपनी शादी पर चुप्पी साधे रहे।
विवाद की जड़
अनिरुद्धाचार्य का बचपन आर्थिक तंगी में गुजरा। पिता पुजारी थे, और उन्होंने केवल हाईस्कूल तक पढ़ाई की। वृंदावन पहुंचकर उन्होंने कथा शैली से लाखों भक्त कमाए। लेकिन उनके बयान अक्सर विवादों में फंस जाते हैं। जुलाई-अगस्त 2025 में भी उन्होंने अविवाहित महिलाओं पर टिप्पणी की थी, जिसके लिए माफी मंगानी पड़ी थी। विशेषज्ञों का कहना है कि शास्त्रों में कम उम्र के विवाह का जिक्र है, लेकिन आधुनिक कानून (18 वर्ष की न्यूनतम आयु) इसे अस्वीकार करता है।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं बंटी हुई हैं। कुछ भक्त उनका समर्थन कर रहे हैं, कहते हैं कि यह समाज सुधार का प्रयास था, जबकि महिलाएं और एक्टिविस्ट इसे महिला-विरोधी मान रहे हैं। नए साल की सुनवाई से पहले अनिरुद्धाचार्य की चुप्पी टूटेगी या नहीं, यह देखना दिलचस्प होगा। फिलहाल, उनका निजी जीवन उतना ही रहस्यमयी बना हुआ है जितना उनकी कथाओं का आकर्षण।

