IndiGo crisis continues: डीजीसीए ने चार फ्लाइट ऑपरेशंस इंस्पेक्टर्स को निलंबित किया, सीईओ को फिर बुलाया

IndiGo crisis continues: भारत की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो के हालिया फ्लाइट कैंसिलेशन संकट ने एविएशन सेक्टर में हड़कंप मचा दिया है। नागरिक उड्डयन नियामक डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (डीजीसीए) ने शुक्रवार को बड़ा कदम उठाते हुए इंडिगो की निगरानी करने वाले चार फ्लाइट ऑपरेशंस इंस्पेक्टर्स (एफओआई) को निलंबित कर दिया। ये इंस्पेक्टर्स पायलट रेस्ट नियमों की अनुपालना सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार थे, लेकिन कथित लापरवाही के कारण हज़ारों उड़ानें रद्द होने और लाखों यात्रियों के फंसने की घटना घटी।

पायलट रेस्ट नियमों का पालन न करने पर गिरी गाज
डीजीसीए ने नवंबर 2025 से लागू नए फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिट (एफडीटीएल) नियमों के तहत पायलटों के लिए सख्त आराम (रेस्ट) अवधि निर्धारित की थी। इन नियमों का मकसद पायलटों की थकान कम करना और उड़ान सुरक्षा को बढ़ावा देना था। इंडिगो, जो देश की एविएशन मार्केट में 65% से अधिक हिस्सेदारी रखती है, ने इन नियमों के अनुपालन के लिए पर्याप्त पायलटों की भर्ती नहीं की। नतीजा? पिछले सप्ताह 5,000 से अधिक उड़ानें रद्द हुईं, जिसमें एक ही दिन में 1,600 से ज्यादा कैंसिलेशन दर्ज किए गए।

सूत्रों के अनुसार, ये चार इंस्पेक्टर्स—जिनमें सक्रिय पायलटों को पांच साल के कॉन्ट्रैक्ट पर रखा जाता है—इंडिगो की तैयारियों का ऑडिट करने में विफल रहे। डीजीसीए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “ये इंस्पेक्टर्स एयरलाइंस की क्षमता, जैसे पायलटों की संख्या, की जांच करने के लिए बाध्य थे। लेकिन नए नियम लागू होने से पहले ही कमी का संकेत मिला था, फिर भी कार्रवाई नहीं हुई।” इंस्पेक्टर्स को उड़ान भरने पर प्रतिबंध रहता है, ताकि वे निष्पक्ष ऑडिट कर सकें।

नामों का खुलासा नहीं, लेकिन जांच तेज
ईटी की रिपोर्ट में चारों इंस्पेक्टर्स के नाम ऋषि राज चटर्जी, सीमा झमनानी, अनिल कुमार पोखरियाल और प्रियम कौशिक बताए गए हैं, हालांकि डीजीसीए ने आधिकारिक पुष्टि नहीं की। कुछ रिपोर्ट्स में सस्पेंशन का जिक्र है, जबकि अन्य में टर्मिनेशन। डीजीसीए ने गुरुग्राम स्थित इंडिगो मुख्यालय में दो स्थायी ओवरसाइट टीम तैनात की हैं, जो क्रू उपयोग, रिफंड, कैंसिलेशन और पायलट भर्ती पर नजर रखेंगी। ये टीमें रोजाना शाम 6 बजे रिपोर्ट देंगी।

एक आठ सदस्यीय जांच पैनल भी गठित किया गया है, जिसमें जॉइंट डायरेक्टर जनरल संजय ब्रह्मणे, डिप्टी डायरेक्टर जनरल अमित गुप्ता, सीनियर एफओआई कपिल मंगलिक और एफओआई लोकेश रामपाल शामिल हैं। इस पैनल का काम संकट की जड़ें खोजना है, जैसे मैनपावर प्लानिंग, अनियोजित छुट्टियां और रोस्टरिंग सिस्टम।

इंडिगो सीईओ पर सवालों की बौछार
इंडिगो के सीईओ पीटर एल्बर्स को डीजीसीए ने गुरुवार को पूछताछ के लिए बुलाया था और शुक्रवार को फिर हाजिर होने का आदेश दिया। एल्बर्स ने कहा कि संकट के सटीक कारणों को चिह्नित करना “जटिल ऑपरेशंस” के कारण मुश्किल है, लेकिन प्रारंभिक कारक नए एफडीटीएल नियम हैं। एयरलाइन ने प्रभावित यात्रियों को 10,000 रुपये के ट्रैवल वाउचर का ऐलान किया है।

सिविल एविएशन मंत्री राम मोहन नायडू ने संसद में कहा, “इंडिगो ने पिछले छह महीनों में एक भी पायलट नहीं हायर किया। यह क्रू रोस्टरिंग, शेड्यूलिंग और कम्युनिकेशन की आंतरिक खराब मैनेजमेंट का नतीजा है।” मंत्री ने एयरलाइंस के साथ मासिक बैठकें शुरू की हैं, खासकर एयर इंडिया दुर्घटना के बाद। एक अधिकारी ने सवाल उठाया, “सबसे बड़ी एयरलाइन के पास पायलटों की कमी कैसे मंत्री के ध्यान से चूक हो गई?”

10% फ्लाइट कट और भविष्य की चुनौतियां
सरकार ने इंडिगो को दैनिक उड़ानों में 10% की कटौती का आदेश दिया है, जिससे प्रतिदिन 200 से ज्यादा फ्लाइट्स प्रभावित होंगी। इंडिगो ने फरवरी 2026 तक नियमों में छूट की मांग की है, जब तक एयरबस ए320 विमान डिलीवर न हों। पायलट यूनियंस का आरोप है कि मैनेजमेंट के साथ अविश्वास, कम वेतन और विदेशी नौकरियों पर पाबंदी ने संकट बढ़ाया। एक वेटरन पायलट ने कहा, “एयरलाइंस प्रॉफिट पर फोकस कर रही हैं, स्टाफ की सुन नहीं रही।”

संसदीय समिति की नजर
ट्रांसपोर्ट, टूरिज्म एंड कल्चर की संसदीय स्टैंडिंग कमिटी ने डीजीसीए, मिनिस्ट्री ऑफ सिविल एविएशन और एयरपोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया को तलब किया है। कमिटी चेयरमैन संजय झा के नेतृत्व में इंडिगो समेत प्राइवेट कैरियर्स को भी सुनवाई में बुलाया जा सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह संकट भारत के एविएशन मोनोपॉली का ‘टिप ऑफ द आइसबर्ग’ है, जहां प्रतिस्पर्धा की कमी संसाधनों पर दबाव डाल रही है।

डीजीसीए ने इंडिगो को और पायलट हायर करने का निर्देश दिया है, ताकि भविष्य में ऐसा संकट न हो। यात्रियों से अपील है कि फ्लाइट स्टेटस goindigo.in पर चेक करें और रिफंड के लिए संपर्क करें। यह घटना एविएशन सेक्टर में सुरक्षा और जवाबदेही पर बहस छेड़ रही है।

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