वैंस का विवादित बयान
जेडी वैंस ने रविवार को एक्स पर एक पोस्ट साझा की, जिसमें उन्होंने कहा, “मास माइग्रेशन अमेरिकन ड्रीम की चोरी है। हमेशा से यही रहा है, और जो भी पेपर, थिंक टैंक रिपोर्ट या इकोनॉमिक स्टडी इसके विपरीत कहती हैं, वे पुरानी व्यवस्था से अमीर होने वाले लोगों द्वारा फंडेड हैं।” यह पोस्ट लुइसियाना के एक निर्माण कंपनी मालिक के वीडियो का हवाला देते हुए शेयर की गई, जिसमें उन्होंने दावा किया कि आईसीई (इमिग्रेशन एंड कस्टम्स एनफोर्समेंट) की सख्ती के बाद आप्रवासी मजदूर गायब हो गए और अमेरिकी कामगारों को नौकरियां मिलने लगीं।
वैंस का यह बयान ट्रंप प्रशासन की सख्त आप्रवासन नीतियों का हिस्सा लगता है। हाल ही में प्रशासन ने 19 ‘हाई-रिस्क’ देशों से आवेदनों पर रोक लगा दी है, जिससे लाखों ग्रीन कार्ड, शरणार्थी और नागरिकता के दावे रुक गए हैं। यूएससीआईएस का कहना है कि यह वॉशिंगटन डीसी में एक अफगान शरणार्थी द्वारा नेशनल गार्ड सदस्य की हत्या के बाद सुरक्षा के लिए उठाया गया कदम है, लेकिन आप्रवासी समुदाय इसे सामूहिक सजा बता रहा है।
सोशल मीडिया पर तीखा बैकलेश
वैंस के बयान ने इंटरनेट पर आग लगा दी। कई यूजर्स ने उनकी पत्नी उषा वैंस की भारतीय आप्रवासी पृष्ठभूमि का हवाला देकर पाखंड का आरोप लगाया। उषा वैंस भारतीय मूल की हैं और उनके माता-पिता भारत से अमेरिका आए थे। एक यूजर ने लिखा, “इसका मतलब तो यही है कि आपको उषा, उनके भारतीय परिवार और आपके मिश्रित नस्ल के बच्चों को भारत वापस भेजना पड़ेगा। प्लेन टिकट कब खरीद रहे हैं? खुद उदाहरण पेश कीजिए।”
एक अन्य यूजर ने कहा, “मुझे यह बर्दाश्त नहीं हो रहा। उषा का परिवार आंध्र प्रदेश में क्या कर रहा है? उन्हें इस नस्लवादी के खिलाफ बोलना चाहिए। उषा अपनी जातीयता और धर्म का अपमान क्यों सह रही हैं? अब मुझे यह जानना है कि उन्होंने इस ‘बी*****ड’ से शादी क्यों की।” एक साधारण सवाल ने भी हंगामा मचा दिया: “रुकिए, क्या आपकी पत्नी भारतीय आप्रवासी परिवार से नहीं हैं?”
एक्स पर सर्च से पता चलता है कि #SendUshaBackToIndia ट्रेंड कर रहा है। कुछ पोस्ट्स में वैंस के परिवार के 21 सदस्यों को ‘अमेरिकन ड्रीम चुराने’ वाला बताया गया है। लेखक वजाहत अली जैसे कमेंटेटर्स ने भी इसे हाइपोक्रेटिक बताया। हालांकि, वैंस के समर्थक इसे ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति का हिस्सा बता रहे हैं। एक पोस्ट में कहा गया, “वैंस सही कह रहे हैं: मास माइग्रेशन चोरी है, अमेरिकी कामगारों की।”
पुराने विवाद फिर सुर्खियों में
यह पहली बार नहीं है जब वैंस के आप्रवासन वाले बयानों ने हंगामा मचाया। हाल ही में न्यूयॉर्क पोस्ट पॉडकास्ट पर उन्होंने कहा था कि पड़ोसियों का रंग, भाषा या नस्ल एक जैसी होने से ‘तकनीकी रूप से उचित’ है। उन्होंने ट्रंप प्रशासन के तहत ‘अवैध आप्रवासियों को जितना संभव हो हटाने’ की बात भी की।
इसके अलावा, पिछले महीने टर्निंग पॉइंट यूएसए इवेंट पर वैंस ने अपनी हिंदू पत्नी उषा के बारे में कहा था कि वह आशा करते हैं कि वह एक दिन ईसाई धर्म अपना लेंगी। उन्होंने बताया कि उषा उनके साथ चर्च जाती हैं और वह ‘ईमानदारी से’ चाहते हैं कि वह कैथोलिक चर्च से प्रभावित हों। इस पर भारी आलोचना हुई, क्योंकि इसे उषा की धार्मिक पहचान का अपमान माना गया। बाद में वैंस ने स्पष्ट किया कि उषा के ‘धर्म बदलने की कोई योजना नहीं’ है और वह उनकी मान्यताओं का सम्मान करते हैं।
दक्षिण एशियाई अमेरिकी समुदाय में यह टिप्पणी चिंता का विषय बनी हुई है, खासकर एच1-बी वीजा और ट्रंप की सख्त नीतियों के बीच। एक भारतीय मूल की छात्रा ने हाल ही में मिसिसिपी यूनिवर्सिटी इवेंट पर वैंस से सवाल किया था, “आपने हमें अमेरिकन ड्रीम बेचा, हमने अपनी जवानी और धन खर्च किया, फिर दरवाजा क्यों बंद कर रहे हैं? क्या मुझे ईसाई बनना पड़ेगा अमेरिका से प्यार साबित करने के लिए?”
व्यापक संदर्भ और प्रतिक्रियाएं
ट्रंप प्रशासन की आप्रवासन नीतियां पहले से ही विवादास्पद हैं। समर्थक इसे राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक अवसरों की रक्षा बता रहे हैं, जबकि आलोचक इसे नस्लवादी और विभाजनकारी कहते हैं। न्यूज18 और इंडिया टुडे जैसी रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह बयान एच1-बी वीजा बहस को और भड़का सकता है, जहां भारतीय पेशेवरों की बड़ी संख्या प्रभावित है।
वैंस की पत्नी उषा ने खुद 2024 के आरएनसी में अपनी भारतीय जड़ों का जिक्र किया था, कहते हुए कि उनके माता-पिता का संघर्ष ‘अमेरिकन ड्रीम’ का प्रतीक है। लेकिन अब उनके पति के बयान से यह विडंबना उजागर हो गई है। सोशल मीडिया पर मीम्स की बाढ़ आ गई है, जहां वैंस को ‘हाइपोक्रेट’ कहा जा रहा है।
कुल मिलाकर, यह विवाद अमेरिकी राजनीति की गहरी दरार को दिखा रहा है—जहां आप्रवासन एक तरफ ‘चोरी’ है, तो दूसरी तरफ कई परिवारों की सफलता की कहानी। वैंस की ओर से अभी कोई नया बयान नहीं आया है, लेकिन बहस थमने का नाम नहीं ले रही।

