Madhya Pradesh – Babar Toilet: मस्जिद विवाद में बीजेपी नेता ने जताया अनोखा विरोध, सार्वजनिक शौचालय का नाम बाबर

Madhya Pradesh – Babar Toilet: पश्चिम बंगाल में बाबरी मस्जिद की नींव रखे जाने के विरोध में मध्य प्रदेश के अशोकनगर जिले में बीजेपी नेताओं ने एक प्रतीकात्मक कदम उठाया है। यहां नगर परिषद के एक सार्वजनिक शौचालय का नाम ‘बाबर शौचालय’ रख दिया गया है, जिसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही हैं। यह घटना बाबरी मस्जिद विध्वंस की 32वीं बरसी (6 दिसंबर) के ठीक बाद घटी है, और इससे स्थानीय स्तर पर काफी हलचल मच गई है।

घटना का विवरण
अशोकनगर के बाइपास स्थित तुलसी सरोवर पार्क के पास बने इस सार्वजनिक शौचालय की दीवारों पर ‘बाबर शौचालय’ लिखे पोस्टर चस्पा कर दिए गए हैं। बीजेपी के किसान मोर्चा के जिला अध्यक्ष बबलू यादव ने इस नामकरण का नेतृत्व किया। उन्होंने कहा, “बाबर एक क्रूर आक्रांता था, जिसने हिंदू देवी-देवताओं के मंदिरों को तोड़ा और भारतीय संस्कृति को नष्ट करने का प्रयास किया। बाबरी मस्जिद का निर्माण ऐसी ही मानसिकता का प्रतीक है। इसलिए हमने इस विरोध को प्रतीकात्मक रूप से व्यक्त किया है।”

यह विरोध पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के बेलडंगा में निलंबित तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) विधायक हुमायूं कबीर द्वारा बाबरी मस्जिद की नींव रखे जाने के खिलाफ है। कबीर ने 6 दिसंबर को यह आयोजन किया था, जिसके बाद टीएमसी ने उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया। इस घटना ने पूरे देश में हिंदू संगठनों को उत्तेजित कर दिया, और विभिन्न स्थानों पर विरोध प्रदर्शन हुए।

देशव्यापी संदर्भ
बाबरी मस्जिद विवाद लंबे समय से भारत की राजनीति और समाज का संवेदनशील मुद्दा रहा है। 1992 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद यह विवाद और गहरा गया था। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद, ऐसी घटनाएं धार्मिक तनाव को बढ़ावा देती हैं। पश्चिम बंगाल में कबीर के कदम को कई संगठनों ने ‘प्रदर्शनकारी राजनीति’ करार दिया, जबकि बीजेपी ने इसे ‘इस्लामी कट्टरवाद’ का उदाहरण बताया।

अशोकनगर में यह नामकरण एक तरफा विरोध के रूप में सामने आया है, लेकिन इससे स्थानीय प्रशासन या विपक्षी दलों की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। सोशल मीडिया पर कुछ यूजर्स इसे ‘रचनात्मक विरोध’ बता रहे हैं, तो कुछ इसे ‘अनावश्यक उकसावा’ मान रहे हैं। नगर परिषद ने अभी तक इस पर कोई बयान जारी नहीं किया है।

संभावित प्रभाव
यह घटना धार्मिक सद्भाव को प्रभावित कर सकती है, खासकर मध्य प्रदेश जैसे राज्य में जहां सांप्रदायिक मुद्दे संवेदनशील हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे प्रतीकात्मक विरोध सोशल मीडिया के जरिए तेजी से फैलते हैं, जो स्थानीय स्तर पर बहस को जन्म देते हैं। फिलहाल, पुलिस प्रशासन सतर्क मोड में है, लेकिन कोई बड़ी घटना की आशंका नहीं जताई जा रही।

अशोकनगर जिले के निवासियों से अपील की जा रही है कि वे शांतिपूर्ण रहें और धार्मिक सद्भाव बनाए रखें। यह मामला अब राज्य स्तर पर चर्चा का विषय बन चुका है, और आगे की कार्रवाई पर सबकी नजरें टिकी हैं।

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