घटना थाईलैंड के पूर्वी प्रांत उबोन रतचतनी और कंबोडिया के प्रेह विहार तथा ओडर मीनचेय प्रांतों की सीमा पर हुई। थाई सेना के प्रवक्ता विंथाई सुवारी ने बताया कि कंबोडियाई सैनिकों ने छोटे हथियारों, मशीनगनों, मोर्टार और तोपों से थाई सेना पर गोलीबारी की, जिसके बाद थाई वायुसेना ने एफ-16 विमानों से हमले किए। थाई सेना ने दावा किया कि कंबोडिया ने भारी हथियार तैनात किए थे और युद्ध इकाइयों को पुनर्व्यवस्थित किया था, जो थाई सीमा के लिए सीधी धमकी था।
वहीं, कंबोडिया ने थाईलैंड पर पहले हमला करने का आरोप लगाया। कंबोडिया के रक्षा मंत्रालय की प्रवक्ता माली सोचेटा ने कहा कि थाई सेना ने सुबह करीब 5 बजे प्रेह विहार और ओडर मीनचेय प्रांतों में कंबोडियाई सैनिकों पर हमला किया, जिसमें तमोन थॉम मंदिर और प्रेह विहार मंदिर के पास टैंकों से गोलीबारी की गई। उन्होंने स्पष्ट किया कि कंबोडियाई सेना ने कोई जवाबी कार्रवाई नहीं की। पूर्व प्रधानमंत्री हन सेन ने थाई सेना को “आक्रामक” बताते हुए कंबोडियाई सैनिकों से संयम बरतने की अपील की।
यह संघर्ष रविवार को हुई छोटी झड़प के बाद भड़का, जिसमें दो थाई सैनिक घायल हुए थे। थाईलैंड ने सीमा पर चार जिलों से लगभग 3.85 लाख नागरिकों को खाली कराने का आदेश दिया है, जिसमें से 35,000 से अधिक को अस्थायी आश्रयों में पहुंचाया जा चुका है। कंबोडिया में भी सीमा के पास के गांवों से लोग भाग रहे हैं। थाई वायुसेना के प्रवक्ता एयर मार्शल जैकक्रिट थम्माविचाई ने कहा कि हमले संयुक्त राष्ट्र चार्टर के तहत आत्मरक्षा के सिद्धांतों के अनुरूप किए गए, और केवल सैन्य लक्ष्यों को निशाना बनाया गया।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
थाईलैंड और कंबोडिया के बीच 817 किलोमीटर लंबी सीमा पर 1907 में फ्रांस द्वारा खींचे गए नक्शे को लेकर विवाद चला आ रहा है। प्रेह विहार मंदिर जैसे प्राचीन स्थलों पर दावा-एंटी-दावा ने कई बार तनाव बढ़ाया है। जुलाई 2025 में पांच दिनों की लड़ाई में कम से कम 48 लोगों की मौत हुई थी और 3 लाख लोग विस्थापित हुए थे। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और मलेशियाई प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम द्वारा कराई गई युद्धविराम समझौते को अक्टूबर में कुआलालंपुर में विस्तार दिया गया था, लेकिन पिछले महीने एक थाई सैनिक पर लगे खदान विस्फोट के बाद थाईलैंड ने इसका कार्यान्वयन रोक दिया था। अब यह समझौता मात्र दो महीने में ही टूटने की कगार पर है।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने चिंता जताई है। सीएनएन और रॉयटर्स जैसी एजेंसियों ने इसे दक्षिण-पूर्व एशिया में अस्थिरता का संकेत बताया है। फिलहाल, दोनों देशों की सेनाएं सतर्क मोड में हैं, और क्षेत्रीय शांति के लिए कूटनीतिक प्रयास तेज करने की मांग हो रही है। स्थिति और बिगड़ने पर बड़े पैमाने पर मानवीय संकट पैदा हो सकता है।

