दलित प्रेरणा स्थल पर सुबह से ही उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों सहित गाजियाबाद, बुलंदशहर, जेवर, खुरजा और ग्रेटर नोएडा से हजारों की संख्या में बसपा समर्थक उमड़ पड़े थे। भीड़ इतनी भारी थी कि नोएडा और ग्रेटर नोएडा में ट्रैफिक जाम की स्थिति पैदा हो गई। नोएडा ट्रैफिक पुलिस को कई रूट्स पर डायवर्जन लागू करने पड़े। दिल्ली-नोएडा एक्सप्रेसवे, सेक्टर-18 अंडरपास, फील्म सिटी फ्लाईओवर, परी चौक और एलजी गोलचक्कर पर भारी जाम लगा, जबकि कमर्शियल वाहनों को एलिवेटेड रोड और एक्सप्रेसवे पर चलने की मनाही कर दी गई।
वैकल्पिक रूट्स जैसे कसना, ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे और डीएनडी के जरिए ट्रैफिक को डायवर्ट किया गया।
आकाश आनंद ने बाबासाहेब की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि सभा को संबोधित किया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि बाबासाहेब का संविधान और मिशन तभी सुरक्षित रहेगा जब बहुजन समाज की नई पीढ़ी आगे आएगी। उन्होंने कार्यकर्ताओं से अपील की कि सामूहिक प्रयासों से बाबासाहेब के सपनों को साकार करें। यह पहला मौका था जब मायावती इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम से दूर रहीं। पार्टी सूत्रों के अनुसार, मायावती ने लखनऊ से लाइव स्ट्रीमिंग के जरिए कार्यक्रम देखा और आकाश को जिम्मेदारी सौंपकर उन्हें मजबूत करने की कोशिश की जा रही है। कार्यकर्ताओं ने मायावती की अनुपस्थिति पर हल्की नाराजगी जताई, लेकिन आकाश को ‘युवा चेहरा’ मानते हुए उनका समर्थन किया।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मायावती का यह कदम 2027 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए आकाश आनंद को दलित समाज में स्थापित करने की रणनीति का हिस्सा भर मात्र है। आकाश, जो मायावती के भतीजे हैं, हाल ही में बिहार चुनाव प्रचार में सक्रिय रहे और पार्टी संगठन को मजबूत करने के लिए जिलों का दौरा कर रहे हैं। बसपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, “आकाश आनंद का आगमन पार्टी के भविष्य का संकेत है। मायावती जी ने उन्हें बड़ा मंच देकर संदेश दे दिया है कि बसपा का झंडा युवाओं के हाथों में मजबूत होगा।”
कार्यक्रम के दौरान सुरक्षा व्यवस्था कड़ी रखी गई, और पुलिस प्रशासन अलर्ट मोड पर रहा। यह आयोजन न केवल आंबेडकर जयंती का सम्मान था, बल्कि बसपा की संगठनात्मक ताकत का भी प्रदर्शन था, जहां पूर्वी यूपी के अलावा पश्चिमी जिलों से भी बड़ी संख्या में समर्थक शामिल हुए।

