Indigo Airlines Crisis: शुरुआत से वर्तमान संकट तक की कहानी, क्या कंपनी बंद होने की कगार पर?

Indigo Airlines Crisis: भारत की सबसे बड़ी लो-कॉस्ट एयरलाइंस इंडिगो इन दिनों उड़ान रद्दीकरण के भंवर में फंसी हुई है। 2 दिसंबर से शुरू हुए इस संकट ने अब चौथा दिन (5 दिसंबर) पार कर लिया है, जिसमें दिल्ली, बेंगलुरु, मुंबई, हैदराबाद जैसे प्रमुख हवाईअड्डों पर सैकड़ों उड़ानें रद्द हो चुकी हैं। यात्रियों की संख्या हजारों में है जो हवाईअड्डों पर फंसे हुए हैं, लंबी कतारों में खड़े होकर रिफंड या वैकल्पिक व्यवस्था का इंतजार कर रहे हैं।

लेकिन सवाल यह उठता है कि भारत की यह सफल एयरलाइंस, जो कभी बाजार पर छाई रही, आखिर कैसे इस मुश्किल दौर में पहुंच गई? क्या यह संकट कंपनी को बंद होने की कगार पर ले जा सकता है? आइए, विभिन्न स्रोतों से जुटाई गई ताजा जानकारी के आधार पर इसकी पूरी तस्वीर देखें।

इंडिगो की शुरुआत
इंडिगो की कहानी 2005 में शुरू हुई, जब इंटरग्लोब एंटरप्राइजेज के राहुल भाटिया और अमेरिका-आधारित एनआरआई राकेश गंगवाल ने मिलकर एक निजी कंपनी की स्थापना की। इसका मकसद था भारत में सस्ती और विश्वसनीय हवाई यात्रा उपलब्ध कराना। 2005 में ही इंडिगो ने एयरबस से 100 A320 विमानों का ऑर्डर दिया, जो उस समय का सबसे बड़ा सिंगल ऑर्डर था। पहली उड़ान 4 अगस्त 2006 को दिल्ली से इंफाल (गुवाहाटी के रास्ते) भरी गई। शुरुआती दिनों में कंपनी ने केवल एक प्रकार के विमान (A320) का इस्तेमाल किया, जो रखरखाव लागत कम रखने का स्मार्ट तरीका था।

कंपनी की तेजी से ग्रोथ हुई। 2010 तक यह भारत की तीसरी सबसे बड़ी एयरलाइंस बन गई, सरकारी एयर इंडिया को पीछे छोड़ते हुए। 2011 में अंतरराष्ट्रीय उड़ानें शुरू कीं, और 2015 में 100 मिलियन यात्रियों का आंकड़ा पार किया। 2015 में आईपीओ लॉन्च कर कंपनी पब्लिक हुई। आज इंडिगो के पास 300 से ज्यादा विमान हैं, जो प्रतिदिन 2,200 से अधिक उड़ानें भरते हैं। घरेलू बाजार में इसकी हिस्सेदारी 60% से ज्यादा है, और यह दुनिया की छठी सबसे व्यस्त एयरलाइंस है। लेकिन सफलता के पीछे ‘लीन मैनपावर’ (कम स्टाफ) की रणनीति थी, जो अब उल्टी पड़ रही है।

वर्तमान संकट
2 दिसंबर से इंडिगो की उड़ानें बुरी तरह प्रभावित हो रही हैं। नवंबर में ही 1,232 उड़ानें रद्द हुई थीं, जिनमें से 755 क्रू और फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिट (FDTL) की कमी से। नई FDTL नियमों (फेज-2) के लागू होने से पायलटों की ड्यूटी घंटे सीमित हो गए, जिसकी तैयारी में कंपनी की ‘मिसजजमेंट’ (गलत अनुमान) हो गई। इसके अलावा, कोहरे, एयरपोर्ट कंजेशन और तकनीकी खराबी ने आग में घी डालने का काम कर दिया।

ताजा आंकड़े चौंकाने वाले हैं:
• 5 दिसंबर (चौथा दिन): दिल्ली से सभी प्रस्थान दोपहर 3 बजे तक रद्द। कुल 400+ उड़ानें रद्द, जिसमें दिल्ली (225), बेंगलुरु (102), मुंबई (104), हैदराबाद (92) शामिल।
• 4 दिसंबर: 550+ उड़ानें रद्द, ऑन-टाइम परफॉर्मेंस 19.7% तक गिर गई।
• 3 दिसंबर: 150+ रद्द, बेंगलुरु में 62।

यात्रियों का गुस्सा सोशल मीडिया पर फूट पड़ा है। एक्स (पूर्व ट्विटर) पर #IndigoDelay ट्रेंड कर रहा है, जहां लोग हवाईअड्डों पर 12-24 घंटे फंसे होने की शिकायत कर रहे हैं। एक यूजर ने लिखा, “हैदराबाद एयरपोर्ट पर 12 घंटे से फंसे हैं, कोई अपडेट नहीं।” दिल्ली में शिवसेना सांसद अनिल देसाई ने संसद में कहा, “यह आम आदमी का सफर है, सरकार जिम्मेदार है।” डीजीसीए ने जांच शुरू की है और कंपनी से विस्तृत रोडमैप मांगा है।

क्या इंडिगो बंद होने की कगार पर है?
नहीं, ऐसा कोई संकेत नहीं है। इंडिगो ने डीजीसीए को बताया है कि ऑपरेशन 10 फरवरी 2026 तक पूरी तरह सामान्य हो जाएंगे। 8 दिसंबर से उड़ानें कम की जाएंगी ताकि क्रू की कमी न हो। कंपनी ने रात की उड़ानों पर FDTL नियमों में छूट मांगी है, जिसकी समीक्षा हो रही है। पायलट यूनियन ने इसे ‘लीन मैनपावर स्ट्रैटेजी’ की नाकामी बताया, लेकिन कंपनी ने माफी मांगते हुए कहा कि टीमें दिन-रात काम कर रही हैं।

हालांकि, बाजार पर असर दिख रहा है। उड़ान रद्दीकरण से अन्य एयरलाइंस (जैसे एयर इंडिया) के टिकट महंगे हो गए हैं—कुछ रूट्स पर बिजनेस क्लास इकोनॉमी से सस्ता मिल रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि 60% मार्केट शेयर वाली कंपनी को रेगुलेटर पर दबाव बनाने की कोशिश कर रही है, लेकिन बंद होने जैसी कोई बात नहीं।

आगे क्या होगा?
अगले 2-3 दिनों में और रद्दीकरण संभव हैं, लेकिन फरवरी तक रिकवरी का प्लान है। यात्रियों को सलाह: फ्लाइट स्टेटस चेक करें, रिफंड के हकदार हैं (3 घंटे से ज्यादा देरी पर 5,000-20,000 रुपये मुआवजा)। सरकार ने एयरफेयर बढ़ने से रोका है। इंडिगो की सफलता साबित करती है कि यह संकट पार कर लेगी, लेकिन यह सबक है कि ‘कम लागत’ के चक्कर में सुरक्षा और प्लानिंग पर समझौता न हो। क्या यह भारतीय एविएशन के लिए बड़ा बदलाव लाएगा? यह तो अब समय ही बताएगा।

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