शपथ ग्रहण का यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया है, जहां जनता ने इसे विधानसभा के स्तर पर सवाल उठाया है। कई यूजर्स ने टिप्पणी की, “अनपढ़ महिला विधायक कैसे जनता का प्रतिनिधित्व करेगी?” तो कुछ ने इसे “नेताओं के चयन प्रक्रिया का मजाक” करार दिया। प्रो-टेम स्पीकर नरेंद्र नारायण यादव द्वारा शपथ दिलाई जा रही थी, लेकिन इस घटना पर सदन में कोई टिप्पणी नहीं की गई।
विभा देवी ने हाल ही में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) छोड़कर जेडीयू का दामन थाम लिया था। नवादा सीट से वे करीब 80,000 वोटों के भारी अंतर से जीतीं, जो उनकी राजनीतिक ताकत को एक बार फिर से जाहिर की है। उनके पति राजबल्लभ यादव, जिन्हें ‘बाहुबली’ के नाम से जाना जाता है, वर्तमान में जेल में बंद हैं। विभिन्न आपराधिक मामलों में फंसे राजबल्लभ की अनुपस्थिति में ही विभा ने चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। लेकिन शपथ ग्रहण के इस पल ने उनकी साक्षरता पर सवाल खड़े कर दिए।
यह घटना अकेली नहीं थी। वरीसलीगंज से विधायक अनीता देवी, जो डॉन अशोक महतो की पत्नी हैं, ने शपथ लेते हुए बहुजन नेताओं का जिक्र जोड़ दिया, जिसे प्रो-टेम स्पीकर ने बीच में रोक दिया। पूर्व उपमुख्यमंत्री रेणु देवी ने भी शपथ में गलती की, जिसके बाद स्पीकर को दोबारा शपथ दिलानी पड़ी। शपथ ग्रहण विभिन्न भाषाओं में हुआ—मैथिली, संस्कृत, उर्दू और अंग्रेजी में। सबसे युवा विधायक और लोक गायिका मैथिली ठाकुर ने मैथिली में शपथ ली, जो एक आकर्षक दृश्य था।
सत्र में छह विधायक अनुपस्थित रहे, जिनमें मोकामा से जेडीयू विधायक अनंत सिंह भी शामिल हैं, जो जेल में हैं। उनकी शपथ मंगलवार को होगी। सत्र की शुरुआत मंत्रिमंडल के सदस्यों की शपथ से हुई, उसके बाद विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने शपथ ली। तेजस्वी ने उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी से अभिवादन किया, जबकि मंत्री रामकिशोर यादव ने तेजस्वी को गले लगाया—जो राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के बीच एक दुर्लभ सौहार्द का क्षण था।
आरजेडी विधायक भाई वीरेंद्र ने सत्र के बाहर सरकार पर निशाना साधा, “यह सरकार वोट चुराकर बनी है। जनता ने इन्हें चुना नहीं है। हमारी संख्या कम हो सकती है, लेकिन आवाज सबसे तेज होगी।” विधानसभा स्पीकर का चुनाव 2 दिसंबर को होगा, जबकि राज्यपाल का संबोधन 3 दिसंबर को निर्धारित है।
इस घटना ने बिहार की राजनीति में साक्षरता और योग्यता के मुद्दे को फिर से उछाल दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी घटनाएं विधायकों की तैयारी और प्रशिक्षण की कमी को उजागर करती हैं। क्या यह विभा देवी की व्यक्तिगत कमजोरी है या बड़े सिस्टम की खामी? बहस जारी है।

