नेपाल की राजधानी काठमांडू में आयोजित समारोह में मोहना को यह पुरस्कार प्रदान किया गया। यह पुरस्कार मशहूर नारीवादी कार्यकर्ता कमला भसीन की स्मृति में दिया जाता है और गैर-पारंपरिक आजीविका अपनाकर पितृसत्ता को चुनौती देने वाली महिलाओं को सम्मानित करता है। पुरस्कार में ट्रॉफी, प्रशस्ति पत्र और एक लाख रुपये नकद शामिल हैं।
मोहना सुंदरी चेन्नई के अय्यनावरम इलाके में रोज़ाना ऑटो चलाती हैं और कई ट्रैवल एग्रीगेटर ऐप्स के लिए काम करती हैं। वह “वीरा पेंगल मुनेट्रा संगम” (VPMS) नामक महिला ऑटो चालकों की कोऑपरेटिव की अध्यक्ष भी हैं, जिसमें 600 से ज़्यादा महिला चालक सदस्य हैं। इनमें से 55% महिलाएँ अकेली माँ हैं। यह संगम महिलाओं को आपातकालीन आर्थिक सहायता, ESI, PF जैसी सरकारी योजनाओं का लाभ और बेहतर कामकाजी माहौल उपलब्ध कराता है।
कोरोना महामारी के दौरान भारी आर्थिक नुकसान झेलने के बाद मोहना ने अपना पुराना ड्राइविंग लाइसेंस निकाला और ऑटो चलाना शुरू किया। शुरुआत में पुरुष ऑटो चालकों ने उन्हें काफी ताने मारे, लेकिन हार न मानते हुए उन्होंने अन्य महिला चालकों को एकजुट किया। उनका मानना है कि आर्थिक स्वतंत्रता ही महिलाओं को समाज में सम्मान दिला सकती है।
पुरस्कार मिलने के बाद उत्साहित मोहना ने कहा,
“मैं बहुत भावुक हो गई थी। मैंने तो बस अपने दिल की बात कही थी। मुझे खुशी है कि मेरे विचारों को इतना बड़ा सम्मान मिला। अब मैं और आत्मविश्वास के साथ दुनिया से मुकाबला करने को तैयार हूँ।”
मोहना जल्द ही चेन्नई में रिलीज़ होने वाली तमिल डॉक्यूमेंट्री फिल्म “ऑटो क्वींस” की मुख्य किरदार भी हैं, जो महिला ऑटो चालकों की जद्दोजहद को दिखायेंगी।
उनका संगम गैर-लाभकारी संस्था “अलाइंस फॉर कम्युनिटी एम्पावरमेंट” (ACE) के सहयोग से चलता है। मोहना का सपना है कि शहर हो या गाँव, हर महिला अपनी आवाज़ बुलंद करे और सम्मान के साथ जीए।
यह पुरस्कार न सिर्फ मोहना सुंदरी की व्यक्तिगत जीत है, बल्कि उन सैकड़ों महिला चालकों की साहस गाथा है जो रोज़ सड़कों पर पितृसत्ता और सामाजिक रूढ़ियों से लड़ रही हैं।

