कलेक्ट्रेट के पास सड़क कार्यों से धुआं, प्रदूषण पर और बढ़ा संकट

Air Pollution/Greater Noida News: नोएडा-ग्रेटर नोएडा क्षेत्र में वायु प्रदूषण का स्तर अब ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंच चुका है, जहां सांस लेना भी दम तोड़ रहा है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के ताजा आंकड़ों के अनुसार, ग्रेटर नोएडा का औसत एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 380 के आसपास दर्ज किया गया है, जो ‘बहुत खराब’ से ‘गंभीर’ की ओर बढ़ रहा है। नॉलेज पार्क-III में AQI 362 और नॉलेज पार्क-V में 399 तक पहुंच गया है। इस बीच, ग्रेटर नोएडा कलेक्ट्रेट के पास रात में चल रहे सड़क निर्माण कार्यों से निकलने वाला धुआं और धूल लोगों की मुश्किलें और बढ़ा रही है। स्थानीय निवासियों का आरोप है कि ये कार्य ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP-III) के नियमों का खुला उल्लंघन हैं, जिससे प्रदूषण पर कोई असर नहीं पड़ रहा।

प्रदूषण का खतरनाक स्तर
नोएडा-ग्रेटर नोएडा नवंबर महीने में लगातार देश के सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में शुमार रहा है। 18 नवंबर को ग्रेटर नोएडा का AQI 454 तक पहुंचा, जो सीजन का सबसे खराब स्तर था। 15 नवंबर को भी यह 400 के पार था, जब ग्रेटर नोएडा देश का सबसे प्रदूषित शहर बना। स्मॉग की वजह से दृश्यता घटकर 800 मीटर तक सिमट गई है, और सुबह-शाम पीएम 2.5 का स्तर चरम पर पहुंच जाता है। डॉक्टरों का कहना है कि आंखों में जलन, गले में खराश और सांस की बीमारियां बढ़ रही हैं। जिला अस्पताल में मरीजों की संख्या में 30% की वृद्धि दर्ज की गई है।

कलेक्ट्रेट के पास रात का निर्माण
ग्रेटर नोएडा कलेक्ट्रेट के निकट सड़क पर रात में चल रहे निर्माण कार्यों ने प्रदूषण को और भड़का दिया है। स्थानीय निवासी अलोक सिंह (@aloktveet) ने सोशल मीडिया पर पोस्ट साझा करते हुए बताया कि रात 10 बजे के बाद फैक्ट्रियों और निर्माण स्थलों से निकलने वाला काला धुआं पूरे इलाके को घेर लेता है। “प्रदूषण नियंत्रण विभाग रात में मानो छुट्टी पर चला जाता है,” उन्होंने लिखा।

एक अन्य निवासी महेंद्र माहि (@MahendrMahii) ने गौर सिटी के पास अंडरपास निर्माण का वीडियो शेयर किया, जहां धूल उड़ रही है। “ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिकारी अंधे हो चुके हैं, GRAP-III के बावजूद धूल का तूफान चल रहा है,” उन्होंने कहा। दादरी क्षेत्र में अवैध आरएमसी प्लांटों पर भी धूल प्रदूषण का आरोप है, जहां एसडीएम ने सीलिंग की सिफारिश की है।

GRAP-III के तहत गैर-जरूरी निर्माण कार्यों पर पूर्ण प्रतिबंध है, लेकिन कलेक्ट्रेट क्षेत्र में रात के कार्य जारी हैं। प्राधिकरण के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “कुछ आवश्यक सड़क मरम्मत को छूट दी गई है, लेकिन धूल नियंत्रण के लिए पानी छिड़काव अनिवार्य है।” हालांकि, निवासियों का कहना है कि ये उपाय नाकाफी हैं।

प्रशासन की कार्रवाई
उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदूषण रोकने के लिए डीजल ऑटो पर प्रतिबंध लगाया है और सड़क धूल कम करने के लिए एंटी-स्मॉग गन तैनात की हैं। नोएडा प्राधिकरण ने 1.80 लाख पुराने वाहनों पर रोक लगाई है, और उल्लंघन पर 5,000 रुपये का चालान। लेकिन जमीनी स्तर पर निर्माण स्थलों पर धूल उड़ना और खुले कचरा जलाना जारी है।

लोक उत्थान समिति जैसे संगठन (@lokutthansamiti) ने अधिकारियों को टैग करते हुए अपील की है: “हवा साफ दिखे, तो जिम्मेदार अफसर भी साफ दिखें।” पत्रकार अशुतोष मिश्रा (@JournoAshutosh) ने भी यूपी की हवा को दिल्ली से ज्यादा जहरीली बताते हुए सवाल उठाया।

क्या करें आम नागरिक?
विशेषज्ञ सलाह देते हैं: मास्क पहनें, बाहर कम निकलें, एयर प्यूरीफायर इस्तेमाल करें और बच्चों-बुजुर्गों को घर में रखें। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने हॉटस्पॉट पर पानी छिड़काव बढ़ाया है, लेकिन स्थायी समाधान के लिए पराली जलाने और निर्माण धूल पर सख्ती जरूरी है।

प्रदूषण का यह सिलसिला हर साल दोहराया जा रहा है। क्या इस बार प्रशासन वाकई सुधार लाएगा, या फिर कागजों की कार्रवाई ही जारी रहेगी? स्थानीय निवासियों की आवाज अब अनसुनी नहीं रहनी चाहिए।

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