शहीद सूबेदार सुरेश सिंह भाटी 5 जुलाई 2006 को जम्मू-कश्मीर के बारामूला सेक्टर में आतंकवादियों से लोहा लेते हुए वीरगति को प्राप्त हुए थे। उस समय उनकी बेटी मुस्कान महज कुछ महीनों की थीं। शहीद की पत्नी ने अकेले बच्चों को पाला और अब बेटी की शादी का दिन आया तो सेना के उनके साथी भाई बनकर आए।
जवानों ने न सिर्फ कन्यादान किया, बल्कि सभी पारंपरिक रस्में निभाईं, दुल्हन को आशीर्वाद दिया और परिवार को ढाढस बंधाया। कई जवान तो शहीद सुरेश सिंह के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़े थे। उन्होंने शहीद की बहादुरी की पुरानी कहानियां सुनाईं और कहा, “आज सुरेश हमारे बीच नहीं है, लेकिन उसकी बेटी की शादी में हम सब उसके जगह पर हैं।”
शहीद का बड़ा बेटा हर्ष भाटी भी भारतीय सेना में सूबेदार है और इस समय वही बारामूला सेक्टर में तैनात है, जहां उनके पिता शहीद हुए थे। जवानों ने हर्ष को फोन पर बधाई दी और कहा, “अपने पिता के दिखाए रास्ते पर डटे रहो, हम सब तुम्हारे साथ हैं।”
दुल्हन मुस्कान के चाचा एडवोकेट पवन भाटी ने बताया, “परिवार ने पंजाब की यूनिट को निमंत्रण भेजा था, लेकिन हमें उम्मीद नहीं थी कि इतनी बड़ी संख्या में जवान आएंगे। जब बस गांव में रुकी और वर्दीधारी जवान उतरे तो सबकी आंखों में आंसू आ गए। लगा जैसे सुरेश भैया खुद अपनी बेटी की विदाई करने आए हों।”
शादी में पहुंचे जवानों ने परिवार को भरोसा दिलाया कि शहीद का परिवार कभी अकेला नहीं रहेगा। विदाई के समय जब जवान बस में सवार होकर वापस जा रहे थे तो पूरा गांव भावुक हो गया। ग्रामीणों ने कहा, “यह शादी नहीं, देश की सेना और शहादत के प्रति सम्मान का जीता-जागता प्रमाण है।”
यह घटना सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है और लोग इसे “शहीद कभी मरते नहीं” का सबसे खूबसूरत उदाहरण बता रहे हैं।

