Rabri Devi/Rashtriya Janata Dal News: बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) की नेता राबड़ी देवी को 20 साल पुराने सरकारी आवास 10 सर्कुलर रोड खाली करने का नोटिस जारी हो गया है। बिहार सरकार के भवन निर्माण विभाग ने मंगलवार (25 नवंबर) को यह आदेश दिया, जिसमें राबड़ी देवी को विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष के पद के अनुरूप नया आवास नंबर 39 हार्डिंग रोड आवंटित किया गया है। इसी कड़ी में, लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे और जननायक जनता दल के नेता तेजप्रताप यादव को भी उनका सरकारी बंगला 26एम स्ट्रैंड रोड खाली करने का निर्देश मिला है, क्योंकि वे अब विधायक नहीं हैं। यह बंगला अब मंत्री लखेंद्र कुमार रौशन को आवंटित हो गया है।
यह फैसला नई नीतीश कुमार सरकार के पहले कैबिनेट बैठक के बाद आया है, जो एनडीए की सत्ता में वापसी के बाद सरकारी आवासों के पुनर्वितरण का हिस्सा है। 10 सर्कुलर रोड का बंगला लालू परिवार का राजनीतिक केंद्र रहा है, जहां से वर्षों तक आरजेडी की गतिविधियां संचालित होती रहीं। राबड़ी देवी ने 1997 से 2005 तक मुख्यमंत्री रहते और बाद में विधान परिषद नेता प्रतिपक्ष के रूप में इस आवास का उपयोग किया। विभाग के संयुक्त सचिव शिव रंजन के पत्र में स्पष्ट कहा गया है कि पुराना आवास अब अनधिकृत कब्जे की श्रेणी में आ गया है।
इस मुद्दे पर राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है। लालू प्रसाद की बेटी और आरजेडी नेता रोहिणी आचार्य ने सोशल मीडिया पर तीखा प्रहार किया। उन्होंने लिखा, “सुशासन बाबू (नीतीश कुमार) का विकास मॉडल लालू प्रसाद यादव को अपमानित करने पर केंद्रित है। लाखों लोगों के मसीहा लालू जी का सम्मान रखते हुए घर से निकाल सकते हो, लेकिन जनता के दिल से कैसे निकालोगे?” रोहिणी ने इसे “नफरत की राजनीति” करार देते हुए कहा कि यह एनडीए का लालू परिवार को कमजोर करने का प्रयास है।
आरजेडी के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “20 साल बाद राबड़ी और उनके परिवार को यह बंगला खाली करना पड़ेगा। यह राजनीतिक प्रतिशोध का स्पष्ट उदाहरण है।” वहीं, तेजस्वी यादव के समर्थक प्रतीक पटेल ने एक्स पर पोस्ट किया, “10 सर्कुलर रोड स्थित राबड़ी आवास को अब खाली करना होगा। बिहार में सत्ता पर भाजपा का ओवरटेक शुरू हो चुका है। नफरत भरी राजनीति के नए उदाहरण देखने को मिलेंगे।” पटेल ने इसे भाजपा की “हेट पॉलिटिक्स” बताया।
दूसरी ओर, भाजपा समर्थक जी. शंकर श्रीवास्तव ने इसका बचाव किया। उन्होंने कहा, “राबड़ी देवी को पद त्यागते ही सरकारी आवास खाली करने की नैतिक जिम्मेदारी थी, जिसका पालन नहीं हुआ। जनता के पैसे का दुरुपयोग रुकना चाहिए।
भाजपा वही करेगी जिससे सरकारी संसाधनों का बर्बादी न हो।” एशियन न्यूज इंटरनेशनल की एडिटर स्मिता प्रकाश ने टिप्पणी की कि लालू समर्थकों में इस फैसले से गहरा शोक है, क्योंकि यह बंगला परिवार के लिए 20 साल का राजनीतिक प्रतीक था।
तेजप्रताप यादव के आवास पर भी विवाद है। पूर्व मंत्री रहते उन्हें आवंटित यह बंगला अब नए मंत्री को मिला है। आरजेडी इसे “परिवार पर हमला” बता रही है, जबकि एनडीए इसे “नियमों का पालन” कह रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह घटना बिहार की सत्ता की जंग को और तेज कर देगी, खासकर 2025 विधानसभा चुनावों के मद्देनजर। राबड़ी देवी का नया आवास आरजेडी का नया सेंटर पॉइंट बन सकता है, लेकिन पुराने बंगले की भावनात्मक कीमत चुकानी पड़ेगी।
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