ट्रंप ने अपनी पोस्ट में कहा, “मैं राष्ट्रपति जेलेंस्की और पुतिन से जल्द मिलने की उम्मीद करता हूं, लेकिन केवल तभी जब यह सौदा अंतिम रूप ले ले या उसके अंतिम चरण में हो।” व्हाइट हाउस के अनुसार, ट्रंप के साथ उपराष्ट्रपति जेडी वेंस, विदेश मंत्री मार्को रूबियो, रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ और चीफ ऑफ स्टाफ सुजी वाइल्स को प्रगति पर ब्रिफिंग दी जाएगी। हालांकि, मीटिंग की कोई निश्चित तारीख घोषित नहीं की गई है, लेकिन अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक विटकॉफ की पुतिन से अगले हफ्ते मुलाकात तय है।
ट्रंप ने मंगलवार को व्हाइट हाउस के रोज गार्डन में थैंक्सगिविंग टर्की पैर्डन समारोह के दौरान कहा, “मुझे लगता है कि हम सौदे के बहुत करीब पहुंच गए हैं। हमने आठ सौदे किए हैं, मुझे लगा था कि यह आसान होगा, लेकिन प्रगति हो रही है।” इससे पहले, एक अमेरिकी अधिकारी ने एबीसी न्यूज को बताया था कि यूक्रेनी प्रतिनिधिमंडल ने अमेरिकी शांति योजना के शर्तों पर सहमति जताई है। यूक्रेन के अमेरिकी राजदूत ने डीडब्ल्यू को दिए साक्षात्कार में कहा कि यह योजना ‘समझौते के करीब’ है, लेकिन कुछ प्रमुख मुद्दे जैसे सीमा विवाद और सुरक्षा गारंटी अभी सुलझाने बाकी हैं।
योजना में रूसी प्रभाव का खुलासा
नई रिपोर्ट्स से पता चला है कि यह शांति योजना अमेरिका द्वारा गुप्त रूप से रूस के साथ परामर्श करके तैयार की गई थी। स्काई न्यूज की एक रिपोर्ट के अनुसार, योजना में ‘रूसी छाप’ साफ दिखाई देती है, जिसमें पुतिन के हितों को प्राथमिकता दी गई है। एक लीक हुई ऑडियो रिकॉर्डिंग में विटकॉफ को क्रेमलिन के वरिष्ठ सलाहकार यूरी उशाकोव को सलाह देते सुना गया, जिसमें उन्होंने कहा कि पुतिन को ट्रंप को यह योजना बेचने के लिए गाजा शांति सौदे की तारीफ करनी चाहिए और 20-सूत्री प्रस्ताव पेश करना चाहिए। वाशिंगटन पोस्ट ने बताया कि विटकॉफ ने पुतिन को सुझाव दिया कि ट्रंप को यह दिखाना चाहिए कि योजना अमेरिकी हितों के अनुरूप है।
ट्रंप ने गुरुवार (27 नवंबर) तक सौदा फाइनल करने की अपनी पिछली समयसीमा से पीछे हटते हुए कहा कि “कोई फर्म डेडलाइन नहीं है।” रॉयटर्स के अनुसार, यह बदलाव यूक्रेन की ओर से कुछ शर्तों पर असहमति के कारण आया। एक्सिओस की रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि ट्रंप प्रशासन ने नवंबर के मध्य से ही रूस के इनपुट के साथ योजना ड्राफ्ट की थी।
आलोचना और चिंताएं
यह घोषणा राजनीतिक विवादों को जन्म दे रही है। रिपब्लिकन सांसद डोन बेकन ने विटकॉफ पर भरोसा न करने की बात कही, कहा कि “वह रूस-यूक्रेन वार्ता का नेतृत्व करने के योग्य नहीं हैं।” यूक्रेन की ओर से अभी कोई आधिकारिक बयान नहीं आया, लेकिन बीबीसी के अनुसार, कीव में योजना को ‘समझौते के योग्य’ माना जा रहा है, हालांकि नाटो सदस्यता और क्षेत्रीय अखंडता जैसे मुद्दे संवेदनशील बने हुए हैं।
ट्रंप प्रशासन की यह पहल अमेरिका की विदेश नीति में बड़े बदलाव की ओर इशारा कर रहा है, जहां यूक्रेन को सैन्य सहायता कम कर कूटनीति पर जोर दिया जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह सौदा सफल होता है, तो यह ट्रंप की ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति की पहली बड़ी विदेशी जीत होगी। अपडेट्स के लिए बने रहें।

