रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने संबोधन में भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी का जिक्र करते हुए कहा, “आज सिंध की धरती भारत का हिस्सा नहीं है, लेकिन सभ्यतागत रूप से सिंध हमेशा भारत का अभिन्न अंग रहेगा। सीमाएं बदल सकती हैं। कौन जानता है, कल सिंध फिर से भारत लौट आए।” उन्होंने भारत के राष्ट्रगान में ‘पंजाब, सिंधु, गुजरात, मराठा’ का उल्लेख करते हुए सिंध के साथ भावनात्मक जुड़ाव पर जोर दिया। सिंह ने यह भी कहा कि सिंधू नदी को हिंदू और सिंध के कई मुसलमान पवित्र मानते हैं, और 1947 के बंटवारे के बाद भी सिंधी हिंदुओं का दिल सिंध से जुड़ा हुआ है।
आडवाणी ने अपनी किताबों में लिखा था कि उनकी पीढ़ी के सिंधी हिंदू सिंध के भारत से अलगाव को कभी स्वीकार नहीं कर पाए। सिंह ने सिंधी समुदाय की मेहनत और योगदान की सराहना करते हुए कहा कि बंटवारे के बाद वे भारत में नई जिंदगी शुरू करने में सफल रहे और देश की आर्थिक व सामाजिक प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
इस बयान पर पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने सोमवार को कड़ा ऐतराज जताया। एक आधिकारिक बयान में कहा गया, “पाकिस्तान भारतीय रक्षा मंत्री के सिंध प्रांत को लेकर दिए गए भ्रमपूर्ण और खतरनाक रूप से पुनरीक्षणवादी बयान की कड़ी निंदा करता है। ऐसे बयान विस्तारवादी हिंदुत्व मानसिकता को उजागर करते हैं, जो स्थापित वास्तविकताओं को चुनौती देते हैं और अंतरराष्ट्रीय कानून, मान्यता प्राप्त सीमाओं की अक्षुण्णता तथा राज्यों की संप्रभुता का उल्लंघन करते हैं।” पाकिस्तान ने भारतीय नेताओं से क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को खतरे में डालने वाले उत्तेजक बयानों से बचने की अपील की।
विश्लेषकों का मानना है कि सिंह का बयान भारत-पाकिस्तान के बीच पहले से चले आ रहे तनाव को देखते हुए महत्वपूर्ण है। मई में भारत की ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद से दोनों देशों के संबंध और अधिक नाजुक हो चुके हैं। ऑपरेशन में पाकिस्तान और पीओके में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया था। कुछ विशेषज्ञों ने इसे भारत की कूटनीतिक रणनीति का हिस्सा बताया है, जो पाकिस्तान के आंतरिक मुद्दों, जैसे सिंध में अलगाववादी भावनाओं, को उजागर करता है।
सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे ने जोर पकड़ लिया है। एक्स (पूर्व ट्विटर) पर कई यूजर्स ने पाकिस्तान की प्रतिक्रिया को ‘रोना’ बताते हुए सिंह के बयान का समर्थन किया, जबकि कुछ ने इसे क्षेत्रीय शांति के लिए खतरा बताया। एक यूजर ने लिखा, “पाकिस्तान रो रहा है, लेकिन सिंध हमारा है।” वहीं, पाकिस्तानी हैंडल्स ने इसे ‘विस्तारवाद’ का प्रमाण करार दिया।
यह विवाद भारत-पाकिस्तान के बीच ऐतिहासिक और सांस्कृतिक जुड़ाव को फिर से सामने लाता है, लेकिन साथ ही यह सवाल भी खड़ा करता है कि क्या ऐसे बयान द्विपक्षीय संबंधों को और जटिल बनाएंगे। फिलहाल, दोनों पक्षों की ओर से कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं आई है।

