संगठनों ने एडमिशन लिस्ट रद्द करने और हिंदू छात्रों के लिए आरक्षण की मांग की है, जबकि कॉलेज प्रशासन ने सभी प्रवेश NEET मेरिट के आधार पर होने का दावा कर रहा है।
विवाद की शुरुआत तब हुई जब जम्मू-कश्मीर बोर्ड ऑफ प्रोफेशनल एंट्रेंस एग्जामिनेशन (JKBOPEE) ने 2025-26 सत्र के लिए 50 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की। इसमें 42 छात्र कश्मीर क्षेत्र के मुस्लिम समुदाय से हैं, जबकि केवल 7 हिंदू और 1 सिख छात्र शामिल हैं। इनमें से 36 कश्मीरी छात्रों ने पहले ही एडमिशन ले लिया है। VHP के जम्मू-कश्मीर अध्यक्ष राजेश गुप्ता ने कहा, “यह संस्थान वैष्णो देवी मंदिर में हिंदू श्रद्धालुओं के दान से बना है। ऐसे में मुस्लिम छात्रों का वर्चस्व स्वीकार्य नहीं। 2025-26 सत्र के एडमिशन रोकें और अगले बैच में बहुमत हिंदू छात्रों का सुनिश्चित करें।”
प्रदर्शनकारियों ने कटरा स्थित कॉलेज के बाहर धरना दिया और श्राइन बोर्ड के सीईओ का पुतला दहन किया। बजरंग दल के अध्यक्ष राकेश बजरंगी ने मांग की कि अल्लाहाबाद मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) या गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी की तर्ज पर हिंदू छात्रों को 90% आरक्षण दिया जाए। उन्होंने कहा, “हिंदू दान से बने संस्थान में हिंदुओं के साथ भेदभाव हो रहा है। लिस्ट रद्द कर नई प्रक्रिया अपनाई जाए।” भाजपा के उधमपुर विधायक आरएस पठानिया ने भी प्रदर्शनों का समर्थन किया और कहा कि सरकारी फंडिंग न लेने वाले अल्पसंख्यक संस्थानों में भी समुदाय के लिए आरक्षण होता है, तो यहां क्यों नहीं?
दूसरी ओर, नेशनल कॉन्फ्रेंस के जम्मू प्रांत अध्यक्ष रतन लाल गुप्ता ने जिम्मेदारी श्राइन बोर्ड पर डाली। उन्होंने कहा, “कॉलेज को मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (MCI) से अनुमति लेते समय अल्पसंख्यक दर्जा मांगना चाहिए था। चूंकि ऐसा नहीं किया गया, इसलिए JKBOPEE को NEET मेरिट के आधार पर चयन करना पड़ा। कश्मीर में मुस्लिम बहुमत होने से उच्च मेरिट वाले अधिकांश छात्र उसी समुदाय से हैं।” कॉलेज अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि 85% सीटें यूटी डोमिसाइल के लिए आरक्षित हैं और प्रवेश पूरी तरह मेरिट-बेस्ड हैं, जिसमें धार्मिक आधार पर कोई भेदभाव नहीं।
VHP महासचिव बजरंग बागरा ने 1 नवंबर को लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा को पत्र लिखा, जिसमें प्रवेश नीति की समीक्षा की मांग की गई। संगठन का तर्क है कि कॉलेज का धार्मिक चरित्र सुरक्षित रखने के लिए हिंदू शिक्षकों और स्टाफ की भर्ती भी सुनिश्चित हो। इससे पहले 13 नवंबर को युवा राजपूत सभा ने श्राइन बोर्ड अस्पताल में मुस्लिम डॉक्टरों की नियुक्ति पर भी विरोध जताया था।
विपक्षी दलों ने इसे सांप्रदायिक रंग देने का प्रयास बताया है। सोशल मीडिया पर #VaishnoDeviMedicalControversy ट्रेंड कर रहा है, जहां एक तरफ हिंदू संगठन अन्याय का आरोप लगा रहे हैं, वहीं अन्य यूजर्स मेरिट को सर्वोपरि बताते हुए भेदभाव की निंदा कर रहे हैं। श्राइन बोर्ड ने अभी कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन स्रोतों के अनुसार बोर्ड जल्द ही अल्पसंख्यक दर्जे पर चर्चा कर सकता है।
यह विवाद मेरिट बनाम धार्मिक आरक्षण के बीच संतुलन की बहस को नई ऊंचाई दे रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि NEET नियमों के तहत धार्मिक आरक्षण संभव नहीं, लेकिन दान-आधारित संस्थानों की नीतियां बदल सकती हैं। मामला राजभवन तक पहुंच चुका है और आगे की कार्रवाई पर सबकी नजरें टिकी हैं।

