बुधवार (20 नवंबर) को शिवकुमार खेमे के कई विधायकों ने दिल्ली में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात की और शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाने की मांग रखी। आज और अगले दो दिनों में और विधायक दिल्ली पहुँचने वाले हैं।
दिल्ली में डेरा डाले हुए विधायकों में शामिल हैंः
• गुब्बी से श्रीनिवास
• श्रींगेरी से टी.डी. राजेगौड़ा
• कुनीगल से एच.डी. रंगनाथ
• अनेकल से बी. शिवन्ना
• कुडची से महेंद्र तम्मनावर
• होस्कोटे से शरत बच्चेगौड़ा
• नेलमंगला से एन. श्रीनिवास
• मंड्या से रविकुमार गौड़ा आदि।
इन विधायकों ने खड़गे के अलावा पार्टी महासचिव (संगठन) के.सी. वेणुगोपाल और अन्य वरिष्ठ नेताओं से भी मुलाकात करने का फैसला किया है।
2023 का कथित “सत्ता बंटवारा समझौता” फिर से चर्चा में
कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि शिवकुमार खेमे ने अब आक्रामक रणनीति अपनाई है। उनका दावा है कि 2023 में सरकार बनते समय सिद्धारमैया और शिवकुमार के बीच ढाई-ढाई साल के लिए सत्ता बंटवारे का समझौता हुआ था, जिसे अब पूरा किया जाना चाहिए।
डीके शिवकुमार के भाई और पूर्व सांसद डी.के. सुरेश ने खुलकर कहा, “सिद्धारमैया ने वादा किया था। वे अपने वचन पर कायम रहेंगे।”
सिद्धारमैया का सख्त रुख
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने इन सब दावों को सिरे से खारिज कर दिया है। चामराजनगर दौरे पर उन्होंने कहा,
“न कोई क्रांति है, न भ्रांति है। जनता ने हमें पाँच साल का जनादेश दिया है। हम पाँच गारंटी योजनाओं को ईमानदारी से लागू करेंगे। नेतृत्व परिवर्तन की कोई जरूरत नहीं है।”
उन्होंने यह भी कहा कि ढाई साल बाद कैबिनेट फेरबदल की बात उन्होंने खुद आलाकमान से कही थी, उसी को कुछ लोग गलत तरीके से पेश कर रहे हैं। सिद्धारमैया ने यह भी दावा किया कि उनका कद और मजबूत हुआ है और वे पूरे पाँच साल मुख्यमंत्री बने रहेंगे।
मंत्रियों का ज्यादातर साथ सिद्धारमैया के साथ
कांग्रेस के अधिकांश मंत्रियों ने सिद्धारमैया का खुलकर समर्थन किया है और कहा है कि वे पूरे पाँच साल मुख्यमंत्री रहेंगे। पूर्व मंत्री के.एन. राजन्ना ने शिवकुमार पर ही सवाल उठाया कि 2024 लोकसभा चुनाव तक उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाए रखने का वादा था, क्या उन्होंने उसे पूरा किया?
कर्नाटक में अगले कुछ दिन बेहद महत्वपूर्ण हैं। देखना यह है कि कांग्रेस आलाकमान इस दबाव के आगे झुकता है या सिद्धारमैया को पूरा कार्यकाल देने का फैसला करता है।

