राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (NCS) और USGS के अनुसार यह भूकंप शुक्रवार सुबह 10:08 बजे (IST) आया। इसका epicenter बांग्लादेश के नरसिंगड़ी (Narsingdi) से लगभग 13 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में था और गहराई मात्र 10 किलोमीटर थी। कम गहराई की वजह से झटके दूर-दूर तक तेज़ी से महसूस हुए।
कोलकाता, उत्तर व दक्षिण 24 परगना, हावड़ा, हुगली, नदिया सहित पश्चिम बंगाल के कई जिलों में लोगों ने मेज़-कुर्सी हिलते और दीवारों में कंपन महसूस किया। हाई-राइज़ बिल्डिंगों में रहने वाले लोग लिफ़्ट छोड़कर सीढ़ियों से नीचे उतरे और खुले मैदानों में इकट्ठा हो गए।
पश्चिम बंगाल आपदा प्रबंधन विभाग और कोलकाता पुलिस के शुरुआती बयानों के मुताबिक अभी तक किसी तरह की जनहानि या बड़ी इमारतों को नुकसान की कोई ख़बर नहीं है। फिर भी सभी जिलों में टीमें अलर्ट पर हैं और नुकसान का आकलन किया जा रहा है।
गौरतलब है कि बंगाल का मैदानी इलाका और कोलकाता भूकंप के लिहाज से ज़ोन-3 और ज़ोन-4 में आता है। बांग्लादेश और पूर्वोत्तर भारत में अक्सर मध्यम तीव्रता के भूकंप आते रहते हैं, जिसके झटके पश्चिम बंगाल तक पहुँच जाते हैं।
लोगों से अपील की गई है कि भूकंप के दौरान “Drop, Cover, Hold On” नियम का पालन करें और ऊँची इमारतों, बिजली के खंभों से दूर रहें।
यह घटना एक बार फिर याद दिलाती है कि कोलकाता जैसे घनी आबादी वाले शहर में भूकंप-प्रतिरोधी निर्माण मानकों का सख़्ती से पालन कितना ज़रूरी है।

