LPG Deal News: अमेरिका के साथ ऊर्जा संबंधों को मजबूत करने की दिशा में भारत ने ऐतिहासिक कदम उठाया है। केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सोमवार को घोषणा की कि भारतीय सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों ने अमेरिका से 2.2 मिलियन टन (एमटीपीए) लिक्विफाइड पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) आयात करने का पहला एक साल का अनुबंध हस्ताक्षरित किया है। यह सौदा जनवरी 2026 से प्रभावी होगा और भारत की कुल एलपीजी आयात क्षमता का लगभग 10 प्रतिशत कवर करेगा।
यह समझौता अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दबाव के बीच आया है, जो रूस से तेल-गैस खरीदने वाले देशों पर 500 प्रतिशत तक टैरिफ लगाने वाले विधेयक का समर्थन कर रहे हैं।
अमेरिकी सीनेटर लिंडसे ग्राहम और रिचर्ड ब्लुमन्थाल द्वारा अप्रैल 2025 में पेश किए गए इस बिल का उद्देश्य चीन, भारत और ब्राजील जैसे देशों को रूस के युद्ध मशीन को समर्थन देने से रोकना है। भारत ने हाल ही में रूस से तेल आयात को कम किया है, लेकिन एलपीजी आयात अभी भी मुख्य रूप से खाड़ी देशों (कतर, यूएई, सऊदी अरब) पर निर्भर है, जो कुल आयात का 80 प्रतिशत से अधिक है।
मंत्री पुरी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए इसे “ऐतिहासिक पहला कदम” बताया। उन्होंने कहा, “दुनिया के सबसे बड़े और सबसे तेजी से बढ़ते एलपीजी बाजार ने अमेरिका के लिए द्वार खोल दिया है। भारतीय पीएसयू तेल कंपनियों ने अमेरिकी खाड़ी तट से 2026 के लिए 2.2 एमटीपीए एलपीजी आयात का एक साल का सौदा सफलतापूर्वक निष्पादित किया है।” इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (आईओसीएल), भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) इस आयात को संभालेंगी। अमेरिकी कंपनियां चेवरॉन, फिलिप्स 66 और टोटलएनर्जीज ट्रेडिंग एसए 48 विशाल गैस टैंकरों में गैस की आपूर्ति करेंगी।
यह सौदा माउंट बेलव्यू (अमेरिका का प्रमुख एलपीजी मूल्य निर्धारण केंद्र) को बेंचमार्क मानकर किया गया है। नवंबर 2025 के अनुसार, प्रोपेन की कीमत प्रति मीट्रिक टन 650-700 डॉलर और ब्यूटेन की 550-600 डॉलर के आसपास है। भारत में प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) के तहत 14.2 किलोग्राम के सब्सिडी वाले सिलेंडर की कीमत अभी भी 500-550 रुपये ही रहेगी। सरकार ने पिछले साल वैश्विक मूल्य वृद्धि के बावजूद 40,000 करोड़ रुपये से अधिक सब्सिडी देकर उपभोक्ताओं को राहत दी, जब वास्तविक लागत 1,100 रुपये से ऊपर पहुंच गई थी।
भारत की एलपीजी खपत तेजी से बढ़ रही है। 2024 में कुल खपत 28.7 मिलियन टन रही, जो 2025 की शुरुआत में मासिक औसत 2.6 मिलियन टन तक पहुंच गई। पीएमयूवाई के तहत अब 10.3 करोड़ लाभार्थी हैं, जबकि कुल घरेलू ग्राहक आधार 33 करोड़ का है। 2024 में आयात ने 67 प्रतिशत जरूरतें पूरी कीं, जो 2015 के 47 प्रतिशत से दोगुनी है। घरेलू उत्पादन ठहराव का शिकार है और रिफाइनरी उत्पाद को पेट्रोकेमिकल्स की ओर मोड़ा जा रहा है।
यह सौदा द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) का हिस्सा है, जिसकी पांच दौर की बातचीत पूरी हो चुकी है। वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, “यह सिर्फ ऊर्जा नहीं, बल्कि निष्पक्ष और समान संबंधों के बारे में है।” ट्रंप ने हाल ही में कहा कि दोनों देश “निष्पक्ष व्यापार सौदे” के करीब हैं, जो टैरिफ में छूट के बदले अमेरिकी ऊर्जा आयात बढ़ाने पर केंद्रित है।
विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम रेड सी संकट और ओपेक+ कटौती से उत्पन्न अस्थिरता के बीच आपूर्ति सुरक्षा बढ़ाएगा। हालांकि, कुछ आलोचक इसे विदेशी दबाव का नतीजा बता रहे हैं, जो घरेलू ऊर्जा स्वावलंबन को नजरअंदाज करता है। फिर भी, यह भारत-अमेरिका संबंधों को नई गति दे सकता है, खासकर जब भारत अमेरिका से कच्चे तेल आयात को भी 51 प्रतिशत बढ़ाकर 271,000 बैरल प्रति दिन कर चुका है।
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