जो लालटेन जलाते थे उनके घर में आग लगी कब और कैसे बुझेगी ?

Rashtriya Janata Dal News: राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के संस्थापक लालू प्रसाद यादव के परिवार में सियासी हार के बाद छिड़ा पारिवारिक कलह अब और गहरा गया है। बेटी रोहिणी आचार्य द्वारा भाई तेजस्वी यादव और उनके करीबियों पर अपमान और दुर्व्यवहार का आरोप लगाने के एक दिन बाद, परिवार की तीन अन्य बेटियां—रागिनी, चंदा और राजलक्ष्मी—ने अपने माता-पिता के पटना स्थित आवास को छोड़ दिया। टीवी फुटेज में तीनों बहनों को अपने बच्चों के साथ पटना एयरपोर्ट पर दिल्ली के लिए फ्लाइट पकड़ते देखा गया, लेकिन उन्होंने मीडिया से कोई बात नहीं की।

यह घटनाक्रम बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की बुरी हार के ठीक बाद उभरा है, जहां आरजेडी को 143 सीटों पर से महज 25 सीटें ही मिल सकीं। तेजस्वी यादव को महागठबंधन का मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाया गया था, लेकिन हार ने परिवार और पार्टी के अंदर सवालों की बाढ़ ला दी। रोहिणी आचार्य, जो सिंगापुर में डॉक्टर हैं और 2022 में अपने पिता को किडनी दान कर चुकी हैं, ने शनिवार को सोशल मीडिया पर पोस्ट कर राजनीति छोड़ने और परिवार से नाता तोड़ने की घोषणा की थी।

रविवार को उन्होंने एक और भावुक पोस्ट में दावा किया कि उन्हें “गंदी किडनी” दान करने के लिए कोसा गया, करोड़ों रुपये और लोकसभा टिकट ऐंठने का आरोप लगाया गया।

रोहिणी ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा, “कल एक बेटी, एक बहन, एक शादीशुदा महिला, एक मां को जलील किया गया, गंदी गालियां दी गईं, मारने के लिए चप्पल उठाया गया। मैंने अपने आत्मसम्मान से समझौता नहीं किया… सिर्फ इसलिए मुझे बेइज्जती झेलनी पड़ी। कल एक बेटी मजबूरी में अपने रोते हुए मां-बाप बहनों को छोड़ आई, मुझसे मेरा मायका छुड़वाया गया… मुझे अनाथ बना दिया गया।” उन्होंने तेजस्वी के करीबी संजय यादव (आरजेडी के राज्यसभा सांसद) और रमीज नेमत खान (तेजस्वी के उत्तर प्रदेश मूल के दोस्त) को मुख्य रूप से जिम्मेदार ठहराया। रोहिणी ने कहा, “तेजस्वी यादव, संजय यादव और रमीज से पूछिए, इन्होंने ही मुझे परिवार से निकाला। अगर इनके नाम लो तो गाली मिलती है, बाहर फेंक दिया जाता है।”

परिवार के सबसे बड़े बेटे तेज प्रताप यादव, जिन्हें पिछले साल पिता लालू ने पार्टी से निष्कासित कर दिया था, ने रोहिणी के समर्थन में आवाज बुलंद की। तेज प्रताप ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर कहा, “कल का घटनाक्रम ने मुझे हिला दिया। मेरी बहन के साथ जो अपमान हुआ, वह असहनीय है। मैंने जो कुछ झेला, वह तो ठीक था, लेकिन बहन का यह अपमान किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। इस अन्याय का परिणाम बहुत भयावह होगा।” उन्होंने ‘जयचंदों’ (गद्दारों) पर निशाना साधा, जो संजय यादव जैसे करीबियों की ओर इशारा माना जा रहा है। तेज प्रताप ने लालू से अपील की, “बस एक इशारा कीजिए, बिहार की जनता खुद इन जयचंदों को दफना देगी। यह लड़ाई किसी पार्टी की नहीं, बल्कि परिवार की इज्जत, बेटी की गरिमा और बिहार की स्वाभिमान की है।”

लालू प्रसाद, राबड़ी देवी, तेजस्वी और अन्य परिवारजन ने अब तक चुप्पी साधे रखी है, जो परिवार में गहरे विभाजन का संकेत दे रही है। पार्टी के अंदर भी सन्नाटा है। कुछ नेताओं का कहना है कि तेजस्वी के सत्ता संभालने के बाद भाई-बहनों के बीच मतभेद लंबे समय से पनप रहे थे। तेजस्वी के सलाहकारों पर निर्भरता ने सवाल खड़े कर दिए हैं, खासकर चुनावी हार के बाद।

रोहिणी ने एक पोस्ट में शादीशुदा महिलाओं को सलाह दी, “मां-बाप को बचाने के लिए कभी कुछ मत करो। अगर भाई है तो उसे अपनी किडनी दान करने को कहो या उसके हरियाणवी दोस्त से कहो। मैंने पति और ससुराल वालों से इजाजत नहीं ली, अपने तीन बच्चों का भविष्य नहीं सोचा—यह गलती की।”

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी तेज हैं। जेडीयू के प्रवक्ता नीरज कुमार ने लालू से चुप्पी तोड़ने को कहा, “वह पूरे बिहार की बेटी हैं, फिर आप चुप क्यों हैं लालू जी?” बीजेपी ने इसे लालू की ‘पितृसत्तात्मक’ सोच का नतीजा बताया। केंद्रीय मंत्री अमित मालवीय ने कहा, “किडनी दान करने के बावजूद रोहिणी को तेजस्वी के लिए दरकिनार किया गया।” एनडीए नेता बोले, “तेजस्वी परिवार में इतना अलोकप्रिय हो गया कि हार का ठीकरा रोहिणी के सिर फोड़ा।”

लालू-राबड़ी परिवार में सात बेटियां (मिशा भारती, रोहिणी आचार्य, चंदा सिंह, रागिनी यादव, हेमा यादव, अनुष्का राव और राजलक्ष्मी सिंह यादव) और दो बेटे हैं। अब पटना के आवास पर सिर्फ लालू, राबड़ी और मिशा भारती बची हैं। यह विवाद आरजेडी की आंतरिक कलह को उजागर कर रहा है, जहां तेज प्रताप का निष्कासन (मई 2025 में सोशल मीडिया पोस्ट के कारण) पहले से ही दरार पैदा कर चुका था। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि यह ‘पारिवारिक युद्ध’ पार्टी की एकजुटता को और कमजोर कर सकता है।

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