घटना शुक्रवार दोपहर करीब 2 बजे की बताई जा रही है, जब रुखसाना पत्नी सईद राइन उरई कोतवाली क्षेत्र के पटेल नगर निवासी अपनी पेशी के लिए परिवार न्यायालय पहुंची थीं।
ससुराल पक्ष द्वारा लगातार अस्वीकार किए जाने के कारण उन्होंने कोर्ट में हर्जा-खर्चा का वाद दायर किया था, जिसकी पैरवी उनकी वकील लालिता राजपूत कर रही थीं। सुनवाई के दौरान बार-बार तारीख मिलने और न्याय में देरी से मानसिक रूप से टूट चुकी रुखसाना ने अचानक ब्लेड निकालकर अपनी बायीं हाथ की नस काट ली। खून की धार बहने लगी तो वकीलों, वादकारियों और स्टाफ में हड़कंप मच गया।
सूचना मिलते ही सीओ सिटी अर्चना सिंह और स्थानीय पुलिस बल मौके पर पहुंचा। लहूलुहान रुखसाना को तत्काल जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उनकी जान बचाई।
हालत स्थिर होने के बाद मजिस्ट्रेट ने अस्पताल में उनका कलमबंद बयान दर्ज किया। रुखसाना ने बताया कि ससुराल वालों की प्रताड़ना और कोर्ट की लंबी प्रक्रिया से तंग आकर उन्होंने यह कदम उठाया। पुलिस ने बताया कि महिला को ब्लेड कैसे ले जाना संभव हुआ, इसकी जांच चल रही है।
पुलिस प्रशासन में अलर्ट
इस घटना ने जिला पुलिस प्रशासन में हड़कंप मचा दिया। जालौन के एसपी ने तुरंत कोर्ट परिसर का गहन निरीक्षण किया और सुरक्षा व्यवस्था को कड़ाई से लागू करने के निर्देश दिए।
हथियारों, खतरनाक वस्तुओं और संदिग्ध वस्तुओं के प्रवेश पर सख्त रोक लगा दी गई है। अब कोर्ट में प्रवेश से पहले फ्रिस्किंग और मेटल डिटेक्टर की जांच अनिवार्य कर दी गई है। एसपी ने कहा, “ऐसी घटनाओं को दोहराने नहीं दिया जाएगा। सुरक्षा के लिए विशेष दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।”
स्थानीय लोगों और महिला संगठनों ने इस घटना को न्यायिक प्रक्रिया में देरी और कोर्ट परिसर की सुरक्षा चूक का परिणाम बताया। एक सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा, “महिलाओं को न्याय मिलना चाहिए, न कि ऐसी निराशा जहां वे अपनी जान देने को मजबूर हों।” जिला प्रशासन ने मामले की गहन जांच के आदेश दिए हैं, जबकि रुखसाना के परिवार ने न्याय की मांग की है।
यह घटना न केवल जालौन बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश में न्याय व्यवस्था और सुरक्षा पर बहस छेड़ने वाली है। क्या यह न्याय की राह में बाधाओं का प्रतीक बनेगी या सुधार का संकेत? आने वाले दिनों में इसका असर साफ दिखेगा।

