अल-फलाह यूनिवर्सिटी के ओखला मुख्यालय, पुलिस की छापेमारी

Al-Falah Charitable Trust Headquarters News: दिल्ली के रेड फोर्ट मेट्रो स्टेशन के पास सोमवार शाम हुए विस्फोटक धमाके की जांच तेज हो गई है। इस घटना में 13 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 20 से अधिक घायल हैं। केंद्र सरकार ने इसे ‘आतंकी घटना’ करार देते हुए दोषियों को सख्त सजा देने का वादा किया है। इस कड़ी में हरियाणा पुलिस और दिल्ली पुलिस की संयुक्त टीमें आज अल-फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट के मुख्यालय पहुंचीं, जो दिल्ली के ओखला इलाके में स्थित है। यहां से जुड़े अल-फलाह यूनिवर्सिटी के तीन डॉक्टरों पर धमाके में शामिल होने का शक है।

ट्रस्ट के कानूनी सलाहकार और प्रभारी राजी अहमद ने बताया, “फरीदाबाद पुलिस की एक टीम यहां आई और कुछ दस्तावेज ले गई। अल-फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट के चेयरमैन और यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर जवाद अहमद सिद्दीकी हैं। पुलिस ने यूनिवर्सिटी की जमीन और इमारत से जुड़े दस्तावेज मांगे थे। हम पूरी तरह सहयोग कर रहे हैं।” राजी अहमद ने यह भी कहा कि ट्रस्ट का धमाके से कोई लेना-देना नहीं है और वे जांच एजेंसियों के साथ पूर्ण सहयोग कर रहे हैं।

धमाके का खुलासा
11 नवंबर को दिल्ली के रेड फोर्ट मेट्रो स्टेशन के गेट नंबर-1 के पास एक हुंडई i20 कार में जबरदस्त धमाका हुआ। शुरुआती जांच में पता चला कि कार में अमोनियम नाइट्रेट, फ्यूल ऑयल और डेटोनेटर से बने विस्फोटक भरे थे। डीएनए टेस्ट से पुष्टि हुई कि कार चला रहे व्यक्ति डॉ. उमर उन नबी थे, जो अल-फलाह यूनिवर्सिटी के मेडिकल साइंस स्कूल में असिस्टेंट प्रोफेसर थे।

उमर नबी पुलवामा (जम्मू-कश्मीर) के रहने वाले थे और धमाके में खुद मारे गए। पुलिस को शक है कि यह सुसाइड बॉम्बिंग थी।
धमाके से ठीक पहले फरीदाबाद में एक ‘व्हाइट कॉलर’ आतंकी मॉड्यूल का पर्दाफाश हुआ था, जिसमें पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद (JeM) और अंसार गजवात-उल-हिंद का हाथ था।

इस मॉड्यूल ने 200 आईईडी (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) तैयार करने की योजना बनाई थी, जो दिल्ली, गुरुग्राम और फरीदाबाद जैसे इलाकों में इस्तेमाल होनी थीं। पुलिस ने 2,900 किलोग्राम से अधिक विस्फोटक सामग्री, जैसे अमोनियम नाइट्रेट, पोटैशियम क्लोरेट और सल्फर, के साथ-साथ 350 किलोग्राम विस्फोटक, AK-47 राइफलें, पिस्टल, टाइमर और वॉकी-टॉकी बरामद किए।

अल-फलाह यूनिवर्सिटी पर सवालों का घेरा
फरीदाबाद के धौज गांव में स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी (जिसे AFU भी कहा जाता है) 1997 में इंजीनियरिंग कॉलेज के रूप में शुरू हुई थी। 2014 में हरियाणा सरकार ने इसे प्राइवेट यूनिवर्सिटी का दर्जा दिया। 70 एकड़ से अधिक क्षेत्र में फैली इस यूनिवर्सिटी का संचालन ओखला स्थित अल-फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट करता है, जिसके चांसलर जवाद अहमद सिद्दीकी हैं। यहां मेडिकल कॉलेज भी संचालित होता है, जहां एमबीबीएस कोर्स के लिए सालाना 16 लाख रुपये फीस ली जाती है।

यूनिवर्सिटी के तीन डॉक्टरों—डॉ. उमर उन नबी, डॉ. मुजम्मिल अहमद गनाई और डॉ. शाहीन सईद—पर आतंकी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप है। इनमें से मुजम्मिल और शाहीन को गिरफ्तार किया गया है, जबकि उमर धमाके में मारा गया। जांच में पता चला कि यूनिवर्सिटी के बॉयज हॉस्टल के रूम नंबर 13 (बिल्डिंग 17) को इन डॉक्टरों ने गुप्त मीटिंग पॉइंट बनाया था। यहां से आतंकी प्लानिंग होती थी। पुलिस ने इनके कमरों से टेरर डायरी बरामद की, जिसमें 25 नाम, कोडेड नोट्स और 8-12 नवंबर की तारीखें दर्ज हैं।

अब तक 50 से अधिक यूनिवर्सिटी कर्मचारी, डॉक्टर, छात्र और प्रिंसिपल से पूछताछ हो चुकी है।एनआईए धमाके की जांच कर रही है, जिसमें आतंकी फंडिंग का एंगल भी शामिल है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) डॉक्टरों की वित्तीय गतिविधियों की जांच करेगा।यूनिवर्सिटी ने बयान जारी कर आरोपी डॉक्टरों से दूरी बनाई है और कहा है कि वे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जांच में सहयोग कर रहे हैं।

नई गिरफ्तारियां और जांच का दायरा
आज दिल्ली पुलिस ने एक और डॉक्टर डॉ. फारूक को हिरासत में लिया, जो जीएस मेडिकल कॉलेज (हापुड़) में असिस्टेंट प्रोफेसर थे। उन्होंने अल-फलाह से ही एमबीबीएस और एमडी किया था। इसके अलावा, यूनिवर्सिटी कैंपस में एक संदिग्ध मारुति ब्रेजा कार मिली, जिसकी जम्मू-कश्मीर पुलिस जांच कर रही है।

जांच जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली तक फैल चुकी है। एनआईए, सीएफएसएल, एनएसजी और एसटीएफ टीमें यूनिवर्सिटी कैंपस, आसपास के गांवों (धौज और फतेहपुर टागा) में छापेमारी कर रही हैं।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घायलों से लखनऊ एनजेपी अस्पताल में मुलाकात की और न्याय का आश्वासन दिया।

पुलिस का कहना है कि यह मॉड्यूल अरब देशों से आने वाले दान पर सवाल उठा रहा है। यूनिवर्सिटी की भर्ती प्रक्रिया और विदेशी फंडिंग की फॉरेंसिक ऑडिट होगी। फिलहाल, दिल्ली-एनसीआर में सुरक्षा हाई अलर्ट पर है।

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