‘मेरा बयान बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया’

Naseeruddin Shah vs. Farhan Akhtar News: बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता नसीरुद्दीन शाह ने हाल ही में फरहान अख्तर द्वारा उनकी पुरानी टिप्पणियों को ‘अशोभनीय’ कहने पर प्रतिक्रिया दी है। नसीरुद्दीन ने स्वीकार किया कि फरहान को नाराज़ होने का हक है, लेकिन साथ ही दावा किया कि उनके बयान को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया।

क्या था विवाद?
2013 में रिलीज़ हुई फिल्म भाग मिल्खा भाग में फरहान अख्तर ने महान धावक मिल्खा सिंह की भूमिका निभाई थी। उस समय नसीरुद्दीन शाह ने फिल्म और फरहान के अभिनय की खुलकर आलोचना की थी। एक इंटरव्यू में नसीर ने कहा था, “मुझे फरहान अख्तर की फिल्में देखने में कोई दिलचस्पी नहीं है। मैं उनकी पहली फिल्म दिल चाहता है को पसंद करता हूं। वह बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं—गाते हैं, अभिनय करते हैं, फिल्में बनाते हैं, लिखते हैं। लेकिन मैं उनके अभिनय या फिल्मों का प्रशंसक नहीं हूं।”

एक अन्य साक्षात्कार में नसीर ने भाग मिल्खा भाग को “पूरी तरह फर्ज़ी फिल्म” बताया और फरहान की भूमिका पर टिप्पणी करते हुए कहा, “फरहान ने निश्चित रूप से कड़ी मेहनत की, लेकिन मांसपेशियां बनाना और बाल बढ़ाना अभिनय की मेहनत नहीं है।

कम से कम उन्हें मिल्खा सिंह जैसा दिखने की कोशिश तो करनी चाहिए थी। मिल्खा सिंह खुद इस फिल्म से खुश हैं और मानते हैं कि उनका जीवन ऐसा ही था, लेकिन क्या उनके पास 1960 ओलंपिक की तस्वीरें नहीं हैं?”

फरहान का जवाब
हाल ही में एक टीवी साक्षात्कार में फरहान अख्तर ने नसीरुद्दीन की इन पुरानी टिप्पणियों पर दुख जताया। उन्होंने कहा, “मैं नसीर साहब को बचपन से जानता हूं। हमने ज़िंदगी ना मिलेगी दोबारा में साथ काम किया है। वह महान अभिनेता हैं, लेकिन सार्वजनिक रूप से इस तरह की आलोचना करना मुझे अशोभनीय लगा। अगर सुधार चाहिए था, तो फोन करके या घर बुलाकर बता सकते थे। प्रेस में जाकर कहना उचित नहीं था। राय रखना उनका हक है, लेकिन संवाद का तरीका गलत था।”

नसीरुद्दीन की सफाई
अब नसीरुद्दीन शाह ने एक समाचार पत्र को दिए बयान में कहा, “फरहान को नाराज़ होने का पूरा हक है, लेकिन मेरा बयान थोड़ा बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है।” जब उनसे पूछा गया कि कौन सा हिस्सा बढ़ाया गया, तो उन्होंने कहा, “इसे समझने के लिए जीनियस होने की ज़रूरत नहीं है! दोनों बयानों को पढ़ लीजिए।”

यह विवाद बॉलीवुड में अभिनेताओं के बीच खुली आलोचना और निजी रिश्तों के बीच संतुलन की बहस को फिर से उजागर करता है। दोनों कलाकारों ने एक-दूसरे की प्रतिभा की सराहना की है, लेकिन आलोचना के तरीके पर मतभेद साफ़ है।

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