350 करोड़ के बोगस बिल से सरकार को करोड़ों का चूना, DCP सेंट्रल नोएडा का दावा ऐसे करते थे GST फ्रॉड

Central Noida Police busted fraud GST gang News ।  थाना बिसरख पुलिस ने जीएसटी चोरी और राजस्व की भारी हानि पहुंचाने वाले गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए दो शातिर सदस्यों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने उनके कब्जे से कूटरचित दस्तावेज, जाली पहचान पत्र, फर्जी सील-मोहर, चेक बुक और कई फर्मों के अकाउंट ओपनिंग फॉर्म बरामद किए हैं।
डीसीपी सेंट्रल नोएडा शक्ति मोहन अवस्थी ने बताया कि आरोपी जाली आधार कार्ड, पैन कार्ड, फर्जी किरायानामा और अन्य दस्तावेजों के माध्यम से बैंक आॅफ इंडिया की विभिन्न शाखाओं में फर्जी फर्मों के नाम पर खाते खुलवाते थे। साथ ही, इन फर्जी दस्तावेजों के आधार पर उद्यम पंजीकरण और जीएसटी पंजीकरण भी प्राप्त किया जाता था। इन फर्जी फर्मों के खातों का उपयोग अवैध तरीके से जीएसटी रिफंड की राशि प्राप्त कर उसे तुरंत अन्य खातों में ट्रांसफर करने के लिए किया जाता था। गिरोह द्वारा गाजियाबाद और गौतमबुद्धनगर में कुल 6 फर्जी फर्में बनाकर खाते खोले गए थे। पुलिस जांच में सामने आया कि गिरफ्तार आरोपी प्रवीन कुमार पुत्र मोमराज सिंह निवासी सलोनी, हापुड़ और सतेन्द्र सिंह पुत्र बनी सिंह निवासी बिघराऊ, स्याना, बुलंदशहर अपनी फोटो लगाकर जाली केवाईसी दस्तावेज बनाते थे और उन्हीं के आधार पर फर्मों का रजिस्ट्रेशन व बैंक खाते खुलवाते थे। इन्हीं खातों का उपयोग बड़े पैमाने पर जीएसटी चोरी और राजस्व हानि के लिए किया जा रहा था। पुलिस टीम ने सोमवार को ग्राम पतवाड़ी से दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर पूरे प्रकरण का खुलासा किया।
350 करोड़ रुपये के फर्जी बिल जारी किए
पुलिस के मुताबिक छह खातों में 20 जून 2025 से 6 नवंबर 2025 के बीच कुल तीन करोड़ 42 लाख 77 हजार 254 रुपये का लेनदेन किया गया। जांच आगे बढ़ी तो पता चला कि इन खातों को संचालित करने के लिए नौ अलग-अलग मोबाइल नंबरों का उपयोग हुआ है। जबकि ये नौ नंबर 18 अलग मोबाइल उपकरणों में चल रहे थे। इन मोबाइल उपकरणों पर कुल 87 सिम कार्डों का इस्तेमाल होने का पता चला।  पुलिस ने पाया कि इन्हीं 87 मोबाइल नंबरों का उपयोग कर 85 फर्जी फर्मों का निर्माण किया गया और अनुमान है कि इन फर्मों के जरिए लगभग 51 करोड़ रुपये के आईटीसी दावों के माध्यम से राजस्व को हानि पहुंचाई गई है। शुरूआती जांच में यह भी सामने आया कि पिछले पांच वर्षों में इन फर्मों से करीब 350 करोड़ रुपये के बिल जारी किए गए हैं।
बातचीत में किए व्हाट्सऐप कॉल और ईमेल का उपयोग
जांच में यह तथ्य भी सामने आया कि गिरोह बातचीत और समन्वय के लिए सामान्य कॉलिंग की बजाय व्हाट्सऐप कॉल और ईमेल का उपयोग करता था। ताकि ट्रैकिंग में बाधा हो। इस गिरोह में कई और सदस्य सक्रिय हो सकते हैं, जो विभिन्न चरणों जैसे फर्जी दस्तावेज बनवाने, मोबाइल नंबर उपलब्ध कराने, फर्जी फर्मों के बिल बनाने और बैंक खातों के संचालन जैसे कार्यों में शामिल रहे होंगे। मामले की गहराई से जांच जारी है और पुलिस उन सभी फर्मों के खातों को फ्रीज करवा रही है, जिनमें संदेहास्पद लेनदेन पाया गया है।

 

जीडीए सख्त उपाध्यक्ष ने बिल्डर साइटों पर निगरानी के दिए निर्देश

यहां से शेयर करें