स्काईवॉक का निर्माण मार्च 2023 में शुरू हुआ था, जिसकी अनुमानित लागत 40 करोड़ रुपये बताई गई। मूल योजना के मुताबिक, यह पांच महीने में तैयार होना था, लेकिन डिजाइन में बदलाव (एक पिलर से दो पिलर पर) और अन्य तकनीकी कारणों से इसमें लगातार देरी हुई। नोएडा मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (एनएमआरसी) के अधिकारियों ने सितंबर 2025 में दावा किया था कि 30 सितंबर तक फिनिशिंग वर्क पूरा हो जाएगा और 2 अक्टूबर को उद्घाटन होगा। लेकिन नवंबर तक पहुंचते-पहुंचते प्रोजेक्ट फिर से पटरी से उतर गया। हालिया जांच में पता चला कि सेक्टर-52 से सेक्टर-51 की ओर एंट्री पॉइंट पर एक मजबूत बीम (सपोर्ट स्ट्रक्चर) खड़ी है, जिसे हटाने में अतिरिक्त समय लगेगा। इसके अलावा, ट्रैवलेटर (मूविंग वॉकवे) का आधा सामान अभी भी पहुंचा नहीं है, एसी इंस्टॉलेशन अधूरा है, लाइटिंग सिस्टम चालू नहीं हुआ और फ्लोरिंग जगह-जगह से उखड़ी पड़ी है।
6 साल से जूझ रही समस्या
अक्टूबर 2019 में एक्वा लाइन मेट्रो शुरू होने के बाद से ही सेक्टर-51 और 52 के बीच कनेक्टिविटी की कमी यात्रियों के लिए सिरदर्द बनी हुई है। दोनों स्टेशनों के बीच करीब 400 मीटर का फासला है, जिसे पार करने के लिए पैदल चलना पड़ता है—बारिश, गर्मी या प्रदूषण में। 2020 में 1.5 करोड़ रुपये की लागत से टिन शेड वाला अस्थायी रास्ता बनाया गया था, लेकिन वह भी अप्रभावी साबित हुआ और स्काईवॉक निर्माण के लिए हटा दिया गया। अब तक हजारों यात्री रोजाना इस असुविधा से जूझ रहे हैं। एक कॉलेज छात्र ने बताया, “दिल्ली जाने के लिए ब्लू लाइन पर स्विच करना पड़ता है, लेकिन 10-15 मिनट का पैदल सफर थकाने वाला है। स्काईवॉक से ट्रैफिक कम होगा और मेट्रो राइडरशिप बढ़ेगी।”
अधिकारियों का पक्ष
एनएमआरसी के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर महेंद्र प्रसाद ने कहा, “स्काईवॉक का सिविल वर्क पूरा हो चुका है। फिनिशिंग और टेस्टिंग में थोड़ा समय लगेगा। हम 15 नवंबर की डेडलाइन पर काम कर रहे हैं।” लेकिन नोएडा अथॉरिटी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि एंट्री गेट के लिए दीवार तोड़ने और बीम हटाने का काम अभी शुरू ही हुआ है, जिसमें 1-1.5 महीने लग सकते हैं। एसी, लाइटिंग और ट्रैवलेटर इंस्टॉलेशन के लिए भी अतिरिक्त सामग्री मंगानी पड़ेगी। कुल मिलाकर, प्रोजेक्ट को चालू करने में अब 3-4 महीने और लग सकते हैं।
सोशल मीडिया पर गूंजी नाराजगी
एक्स (पूर्व ट्विटर) पर भी इस मुद्दे पर बहस छिड़ी हुई है। एक यूजर ने लिखा, “नोएडा स्काईवॉक अभी भी नहीं खुला, अब एक बीम रास्ता रोक रही है। कब तक इंतजार?” वहीं, अन्य पोस्ट में 15 नवंबर की नई डेडलाइन का जिक्र करते हुए लोगों ने सरकार से समयबद्धता की मांग की। एक पोस्ट में कहा गया, “सीएम ऑफिस को फिक्स टाइमलाइन देनी चाहिए।
क्या है आगे की राह?
स्काईवॉक के पूरा होने से न सिर्फ यात्रियों को राहत मिलेगी, बल्कि एक्वा लाइन की राइडरशिप में 20-30% की बढ़ोतरी की उम्मीद है। लेकिन लगातार डेडलाइन मिस होने से नोएडा अथॉरिटी और एनएमआरसी पर सवाल उठ रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि प्रोजेक्ट मैनेजमेंट में सुधार जरूरी है, ताकि भविष्य के मेट्रो विस्तार (जैसे ग्रेटर नोएडा वेस्ट एक्सटेंशन) में ऐसी देरी न हो। फिलहाल, यात्रियों को सलाह दी जा रही है कि ई-रिक्शा या शटल सर्विस का सहारा लें। क्या 15 नवंबर तक स्काईवॉक हवा में उतरेगा या फिर नई डेडलाइन बनेगी? इसका जवाब तो समय ही देगा।

