चुनाव आयोग (ECI) के अनुसार, 3.75 करोड़ मतदाताओं में से 2.43 करोड़ ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया। बेगूसराय (67.32%) और गोपालगंज (64.96%) जैसे जिलों में सबसे अधिक उत्साह देखा गया, जबकि शेखपुरा (52.36%) में यह अपेक्षाकृत कम रहा। महिलाओं की भागीदारी ने सभी को चौंका दिया—कई बूथों पर पुरुषों से भी अधिक संख्या में महिला मतदाताओं ने कतारें लगाईं। विशेष रूप से, छठ पूजा से पहले लौटे प्रवासी मजदूरों और पहली बार वोट डालने वाले युवाओं का योगदान सराहनीय रहा।
इतिहास गवाह: 60% पार वोटिंग का मतलब ‘पलटा’
बिहार के चुनावी इतिहास को खंगालें तो एक साफ पैटर्न उभरता है—जब मतदान 60 प्रतिशत से ऊपर जाता है, तो सत्ता परिवर्तन की संभावना बढ़ जाती है। आजादी के बाद हुए 17 विधानसभा चुनावों में कम से कम 5 बार ऐसा देखा गया, जब 5 प्रतिशत से अधिक वोटिंग बढ़ने पर सियासी समीकरण पूरी तरह उलट गए।
• 1990: 62.04% वोटिंग के साथ लालू प्रसाद यादव की जनता दल ने कांग्रेस को सत्ता से बाहर कर दिया। RJD का उदय इसी रिकॉर्ड वोटिंग से हुआ।
• 1995: 61.79% मतदान पर लालू सरकार बरकरार रही, लेकिन ‘जंगल राज’ की छाया गहराने लगी।
• 2000: राबड़ी देवी के नेतृत्व में 62.57% वोटिंग के बावजूद RJD सत्ता में लौटी, लेकिन आंतरिक कलह ने नींव हिला दी।
• 2015: 56.91% (60% के करीब) पर महागठबंधन (RJD-JD(U)-कांग्रेस) ने NDA को पटखनी दी।
2020 में कुल 57.05% वोटिंग हुई, जो 60% से नीचे थी, और NDA (BJP-JD(U)) ने 125 सीटें जीतकर सरकार बनाई। लेकिन महागठबंधन ने 110 सीटें हासिल कीं, जिसमें RJD सबसे बड़ी पार्टी (75 सीटें) बनी। पहले चरण की 71 सीटों पर महागठबंधन ने 40 सीटें जीतीं, जबकि NDA को 31 मिलीं।
अब 2025 में 64.66% वोटिंग को RJD नेता तेजस्वी यादव ‘बदलाव का संकेत’ बता रहे हैं। तेजस्वी ने कहा, “जनता जंगल राज के अतीत से तंग आ चुकी है। यह वोटिंग नई बिहार की मांग है—रोजगार, शिक्षा और न्याय।” वहीं, जन सुराज के प्रशांत किशोर ने इसे ‘60% से अधिक बिहार बदलाव चाहता है’ का प्रमाण बताया।
NDA का दावा: ‘विकास की मुहर’
दूसरी ओर, NDA नेता नीतीश कुमार और अमित शाह इसे अपनी सरकार की उपलब्धियों का प्रमाण मान रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने औरंगाबाद रैली में कहा, “यह रिकॉर्ड वोटिंग NDA की जीत की मुहर है। बिहार ने जंगल राज को नकार दिया है।”
डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने महिलाओं की योजनाओं (जैसे महिला रोजगार योजना) को क्रेडिट दिया। आंकड़ों से साफ है कि 2010 में 52.73% वोटिंग पर NDA की वापसी हुई थी, लेकिन 5% से अधिक बढ़ोतरी (जैसे 1967 में 7% बढ़कर गैर-कांग्रेसी सरकार बनी) ने हमेशा सत्ता पलटी। एनालिस्ट्स का कहना है कि SIR (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन) से 68 लाख फर्जी वोटर हटने से वास्तविक भागीदारी बढ़ी, जो सकारात्मक है।
चुनौतियां और उम्मीदें
पहले चरण में कुछ विवाद भी हुए—लखीसराय में डिप्टी सीएम विजय सिन्हा के काफिले पर हमला, वैशाली में EVM खराबी के आरोप, और मोकामा में अनंत सिंह की गिरफ्तारी। RJD ने ‘वोट चोरी’ का दावा किया, जबकि EC ने इसे खारिज कर दिया। दूसरा चरण 11 नवंबर को 122 सीटों पर होगा, जहां पटना, नालंदा जैसी हॉटसीटें शामिल हैं। कुल 243 सीटों पर NDA (BJP-JD(U)-LJP) vs महागठबंधन (RJD-कांग्रेस-लेफ्ट) vs जन सुराज का त्रिकोणीय मुकाबला है।
14 नवंबर को नतीजे आने हैं। क्या यह रिकॉर्ड वोटिंग तेजस्वी को सीएम बनाएगी, या नीतीश की 10वीं पारी लिखेगी? बिहार की जनता ने एक बार फिर साबित कर दिया—वोट ही अंतिम सत्य है।

