रघु राम का विवादित बयान: महिलाएँ पुरुषों की शारीरिक और मानसिक बीमारियों की मुख्य जड़, ‘दिल का दौरा पड़ना बेहतर है बजाय महिलाओं से दिल खोलने के’

Roadies – Bollywood / Raghu Ram’s controversial statement news: पूर्व ‘रोडीज़’ जज और अभिनेता रघु राम ने महिलाओं को लेकर एक ऐसा बयान दिया है जिसने सोशल मीडिया से लेकर मनोरंजन जगत तक हंगामा मचा दिया है। ‘टू गर्ल्स एंड टू कप्स’ पॉडकास्ट में रघु ने दावा किया कि महिलाएँ पुरुषों की शारीरिक और मानसिक बीमारियों की मुख्य जड़ हैं। उनका कहना है कि पुरुष महिलाओं के सामने भावनात्मक रूप से खुलने के बजाय 60 साल की उम्र में दिल का दौरा झेलना पसंद करते हैं।

रघु ने कहा, “लड़कियाँ बहुत बड़ी समस्या हैं। वे कहती हैं कि उन्हें भावनात्मक रूप से खुला पुरुष चाहिए, लेकिन सच में नहीं चाहतीं। जब कोई पुरुष भावुक होता है, तो वे उसे ताना मारती हैं – ‘तुम तो लड़की जैसे हो गए! हमारा सम्मान चला गया।’ इसी वजह से पुरुष कुछ भी साझा नहीं करते। हम 60 साल में दिल का दौरा पड़ने को तैयार हैं, लेकिन महिलाओं के सामने कमजोर नहीं पड़ेंगे।”

उन्होंने आगे आरोप लगाया कि महिलाओं में यह व्यवहार जन्मजात है – जब पुरुष अपनी कमजोरी बताते हैं, तो महिलाएँ बाद में उसी का इस्तेमाल उनके खिलाफ करती हैं।

“कम कमाने वाले पुरुषों का सम्मान नहीं”
रघु ने अपने यूट्यूब चैनल रघु बॉक्स के शो द ऑडिशन रूम का उदाहरण देते हुए कहा कि एक महिला प्रतिभागी ने खुलकर कहा था कि वह कम कमाने वाले पुरुषों का सम्मान नहीं करती। जवाब में रघु ने तीखा तंज कसा:
“अगर हम कहें कि सुंदर न दिखने वाली महिलाएँ हमारी मोहब्बत की हकदार नहीं, तो? उम्र बढ़ने पर पुरुषों की कमाई बढ़ती है, आपकी खूबसूरती घटती है। फिर क्या? हमने कभी आपके लिए शर्तें नहीं रखीं।”

“रोडीज़ में महिलाएँ पुरुषों से ज्यादा आक्रामक थीं”
‘रोडीज़’ के अपने अनुभव साझा करते हुए रघु ने खुलासा किया कि कई महिला प्रतिभागी पुरुषों से कहीं ज्यादा आक्रामक और अपशब्दों का इस्तेमाल करने वाली थीं।
उन्होंने कहा, “कुछ लड़कियों की भाषा और चीखने की आवाज़ से हमारे कान लाल हो जाते थे। हम नोट्स लेते थे! पुरुषों में लड़ाई की भी एक सीमा होती है, लेकिन महिलाओं में नहीं। वे इतनी कर्कश और आहत करने वाली बातें करती हैं कि हम डर जाते हैं।”

सोशल मीडिया पर बवाल
रघु के इस बयान के बाद ट्विटर (अब X) पर #RaghuRam और #Misogyny ट्रेंड करने लगे। कई यूजर्स ने उन्हें महिलाविरोधी करार दिया, तो कुछ ने उनकी बातों में सच्चाई ढूंढने की कोशिश की।
• एक यूजर ने लिखा: “रघु साहब, थोड़ी थेरेपी लीजिए।”
• दूसरा बोला: “कड़वा सच बोल दिया। बहुत से पुरुष यही महसूस करते हैं।”
वहीं, मनोवैज्ञानिकों ने रघु के बयान को अतिशयोक्तिपूर्ण और खतरनाक बताया। दिल्ली की मनोचिकित्सक डॉ. स्नेहा मेहता ने कहा, “पुरुषों में भावनात्मक दमन एक गंभीर समस्या है, लेकिन इसे केवल महिलाओं पर थोपना सही नहीं। सामाजिक दबाव, पितृसत्ता और पुरुषत्व की परिभाषा भी जिम्मेदार हैं।”

पुरुषों में हृदय रोग और भावनात्मक दमन: तथ्य
• विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, पुरुषों में हृदय रोग से मृत्यु दर महिलाओं से 40% अधिक है।
• एक अध्ययन (Journal of the American Heart Association) में पाया गया कि भावनात्मक तनाव को दबाने वाले पुरुषों में दिल का दौरा पड़ने का खतरा 2.5 गुना बढ़ जाता है।
• भारत में 60 साल से कम उम्र के 50% हृदय रोगी पुरुष हैं।

रघु राम कौन हैं?
• MTV Roadies के शुरुआती जज, जिनकी सख्ती और गाली-गलौज भरी शैली चर्चित रही।
• फिल्मों में काम: झूठा ही सही, तीस मार खान, मकैनिक रॉकी।
• यूट्यूब चैनल रघु बॉक्स पर सामाजिक मुद्दों पर खुलकर बोलते हैं।

अंतिम विचार
रघु राम का बयान चाहे व्यक्तिगत अनुभव पर आधारित हो या विवाद पैदा करने की रणनीति, यह लिंग आधारित रूढ़ियों को और मजबूत करता है। विशेषज्ञों का मानना है कि समाधान दोषारोपण नहीं, बल्कि खुले संवाद, थेरेपी और सामाजिक जागरूकता में है।
क्या आपको लगता है कि रघु की बात में दम है या यह महज ध्यान खींचने की कोशिश है? कमेंट में बताएँ।

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