घटना की जानकारी मिलते ही भिनाय थाना पुलिस और विद्युत विभाग की टीम मौके पर पहुंची। प्रारंभिक जांच में पता चला कि पुखराज बैरवा धातोल गांव के निवासी हैं और वे फील्ड रिलेटेड टेक्नीशियन (FRT) के रूप में एक निजी संविदा कंपनी के माध्यम से विद्युत विभाग के लिए काम कर रहे थे। वे पोल पर तारों की मरम्मत कर रहे थे, जब अचानक हाई वोल्टेज लाइन से करंट का शॉक लगा। हादसे के समय वे पोल पर ही लटक गए थे, और ग्रामीणों को उनकी चीखें सुनाई दीं। स्थानीय लोगों ने साहस दिखाते हुए ट्रांसफॉर्मर से बिजली काटी, जिससे और बड़ा हादसा टल गया।
पुखराज बैरवा के परिजनों ने बताया कि वे परिवार का एकमात्र कमाने वाले सदस्य हैं और दो बच्चों के पिता हैं। उनकी पत्नी ने रोते हुए कहा, “वह सुबह ही काम पर गया था, हमें क्या पता था कि ऐसा होगा। विभाग को सुरक्षा उपकरण देने चाहिए थे।” वर्तमान में पुखराज का जिला अस्पताल में इलाज चल रहा है, जहां डॉक्टरों ने बताया कि वे 60-70 प्रतिशत झुलस चुके हैं और उनकी हालत नाजुक बनी हुई है।
इस घटना के बाद चावंडिया और आसपास के गांवों में विद्युत विभाग के खिलाफ भारी आक्रोश फैल गया है। ग्रामीणों का आरोप है कि पुरानी और जर्जर लाइनों की मरम्मत में सुरक्षा मानकों का पालन नहीं किया जाता। एक ग्रामीण ने कहा, “ये संविदा कर्मचारी तो जान जोखिम में डालकर काम करते हैं, लेकिन विभाग की ओर से हेलमेट, इंसुलेटेड ग्लव्स जैसी बेसिक सुरक्षा चीजें भी मुहैया नहीं कराई जातीं।” स्थानीय स्तर पर कई संगठनों ने विभाग पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए जांच की मांग की है।
अजमेर विद्युत वितरण निगम (AVVNL) के अधिकारियों ने अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है, लेकिन सूत्रों के अनुसार विभाग ने घटना की आंतरिक जांच शुरू कर दी है। भिनाय थाना प्रभारी ने पुष्टि की कि मामला दर्ज कर लिया गया है और संविदा कंपनी के खिलाफ लापरवाही का केस बन सकता है। यह हादसा राजस्थान में बिजली कर्मचारियों की सुरक्षा को लेकर उठ रहे सवालों को और मजबूत करता है, जहां पिछले एक वर्ष में ऐसी कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं।
परिजनों ने प्रशासन से तत्काल आर्थिक सहायता और मुआवजे की मांग की है, ताकि उनका परिवार इस संकट से उबर सके। फिलहाल, क्षेत्र में बिजली आपूर्ति बहाल हो गई है, लेकिन ग्रामीणों का गुस्सा शांत होने का नाम नहीं ले रहा।

