आंदोलन की शुरुआत और हाईवे पर जाम
आंदोलन की शुरुआत 27 अक्टूबर को अमरावती जिले के चंदूरबाजार से हुई, जहां बच्चू कडू ने ट्रैक्टर रैली के साथ किसानों को इकट्ठा किया। मंगलवार को यह रैली नागपुर पहुंची और जामठा फ्लाईओवर के पास एनएच-44 पर हजारों किसान रास्ता रोककर बैठ गए। अनुमान के मुताबिक, 15,000 से अधिक किसान इसमें शामिल हुए, जिनमें महिलाएं और युवा किसान भी बड़ी संख्या में हैं। प्रदर्शनकारियों ने ‘सात बारा कोरा’ (कर्ज माफ करो) के नारे लगाए, जो 2020 के दिल्ली बॉर्डर किसान आंदोलन की याद दिला रहा है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, हाईवे पर सात घंटे से ज्यादा जाम रहा, जिससे वर्धा, चंद्रपुर और यवतमाल जाने वाली वाहनें पूरी तरह रुक गईं। ट्रैफिक डायवर्जन लागू किए गए, लेकिन कई यात्री घंटों फंस गए। पुलिस ने भारी सुरक्षा बल तैनात किया है, लेकिन प्रदर्शन शांतिपूर्ण बताया जा रहा है। बच्चू कडू ने कहा, “हम तब तक नहीं हटेंगे जब तक कर्ज पूरी तरह माफ न हो जाए। सरकार के पास हाईवे और मेट्रो के लिए पैसे हैं, लेकिन किसानों के लिए नहीं।”
मुख्य मांगें: कर्ज माफी से आगे की लड़ाई
किसानों की प्रमुख मांग है कर्जदार किसानों के लिए तत्काल और बिना शर्त कर्ज माफी। वे आरोप लगाते हैं कि बार-बार आश्वासनों के बावजूद सरकार ने सूखाग्रस्त इलाकों में पर्याप्त राहत नहीं दी। इसके अलावा:
• सोयाबीन पर 6,000 रुपये प्रति क्विंटल का बोनस।
• हर फसल पर 20% अतिरिक्त मूल्य।
• भवंतर योजना की तरह न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी।
• बाढ़ और ओलावृष्टि से हुए नुकसान का पूरा मुआवजा।
कडू ने कहा, “मध्य प्रदेश में भवंतर योजना चल रही है, लेकिन महाराष्ट्र में कोई फसल पूरा दाम नहीं पा रही। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मिलने का समय ही नहीं है।” उन्होंने दावा किया कि बुधवार को एक लाख और किसान, खासकर महिलाएं, शामिल होंगे। अगर मांगें पूरी न हुईं, तो राज्यव्यापी ब्लॉकेड और दोपहर 12 बजे के बाद ट्रेनें रोकने का ऐलान किया गया है।
सरकार का रुख और राजनीतिक रंग
राज्य राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने कडू को मुंबई बातचीत के लिए बुलाया, लेकिन कडू ने इसे ठुकरा दिया। उन्होंने कहा, “बातचीत का वादा काफी नहीं, ठोस फैसला चाहिए।” हाल ही में मुख्यमंत्री फडणवीस ने बाढ़ प्रभावित किसानों के लिए 31,628 करोड़ रुपये का राहत पैकेज और 10,000 रुपये नकद सहायता की घोषणा की थी, लेकिन किसान संगठन इसे अपर्याप्त बता रहे हैं। स्वाभिमानी पक्ष के नेता रविकांत तुपकर ने भी सरकार की आलोचना की, “किसान आत्महत्या कर रहे हैं, लेकिन सरकार सो रही है।”
यह आंदोलन महाराष्ट्र की किसान राजनीति को नया मोड़ दे सकता है, खासकर नागपुर मुख्यमंत्री के गृह जिले होने के कारण। विपक्षी दल इसे सरकार पर दबाव बनाने का मौका मान रहे हैं।
प्रभाव और आगे की संभावनाएं
प्रदर्शन से ट्रैफिक बुरी तरह प्रभावित हुआ है। नागपुर पुलिस ने वर्धा रोड पर डायवर्जन रूट्स घोषित किए हैं, जैसे खपरी पुलिस चौकी से एसईजेड होते हुए। प्रदर्शनकारियों ने कहा, “हम लंबी लड़ाई के लिए तैयार हैं।” अगर आंदोलन फैला, तो यह पूरे राज्य में हाईवे, रेल और बाजारों को प्रभावित कर सकता है। किसान संगठन ‘महा एलगार’ मोर्चा के तहत एकजुट हो रहे हैं।
किसान समुदाय की यह लड़ाई न केवल आर्थिक राहत की मांग है, बल्कि उनकी गरिमा और जीविका की रक्षा का सवाल भी। सरकार का अगला कदम आंदोलन की दिशा तय करेगा। अधिक अपडेट्स के लिए बने रहें।

