घटना की शुरुआत 23 अक्टूबर को हुई, जब फरजाना नाम की नाबालिग लड़की ने एक वीडियो बनाया और सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया। वीडियो में वह सीएम योगी आदित्यनाथ को गंदी गालियां देती नजर आ रही है। वह कहती है, “योगी को सबक सिखाना चाहिए” और गायों को लेकर भी आपत्तिजनक बयान देती है, जैसे “गाय खाने में क्या बुराई है?”। वीडियो में वह खुलेआम चैलेंज भी देती है कि “मेरा घर का पता सबको पता है, आकर देख लो, कोई कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा”। यह वीडियो रातोंरात वायरल हो गया और हजारों व्यूज बटोर लिया। कई यूजर्स ने इसे धार्मिक भावनाओं का अपमान बताते हुए निंदा की, तो कुछ ने इसे प्रोवोकेटिव कंटेंट करार दिया।
वीडियो वायरल होते ही हिंदू रक्षा दल जैसे संगठनों के कार्यकर्ता भड़क उठे। 27 अक्टूबर को दोपहर करीब 2 बजे, दर्जनों कार्यकर्ता लड़की के शालीमार गार्डन स्थित घर पर पहुंचे। उन्होंने घर के बाहर नारेबाजी की, “गाय और हिंदू धर्म का अपमान बर्दाश्त नहीं” जैसे नारे लगाए। अंदर घुसकर उन्होंने लड़की को बाहर निकाला और कथित तौर पर थप्पड़ मारे, गालियां दीं। एक कार्यकर्ता ने कहा, “हमने लड़की का दिमाग दुरुस्त कर दिया। धर्म और गाय के सम्मान में हम मैदान में डटे रहेंगे। कानूनी कार्रवाई से कोई फर्क नहीं पड़ता।” इस पूरी घटना का वीडियो भी बनाया गया, जो अब सोशल मीडिया पर घूम रहा है। लड़की के परिवार ने आरोप लगाया कि कार्यकर्ताओं ने घर में तोड़फोड़ भी की और महिलाओं को धमकाया।
घटना की जानकारी मिलते ही गाजियाबाद पुलिस हरकत में आ गई। शालीमार गार्डन थाने में लड़की के वीडियो के आधार पर आईपीसी की धारा 153ए (धार्मिक भावनाओं को ठेस), 504 (सार्वजनिक शांति भंग) और आईटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया। एसीपी अतुल कुमार सिंह ने बताया, “23 अक्टूबर को वायरल वीडियो के बाद हमें शिकायत मिली। लड़की नाबालिग होने के बावजूद कार्रवाई जरूरी थी, क्योंकि यह सीएम के सम्मान और सामाजिक सद्भाव को प्रभावित करने वाला था। हमने जांच शुरू कर दी है।” पुलिस ने लड़की को हिरासत में लेकर पूछताछ की, लेकिन चूंकि वह नाबालिग है, इसलिए काउंसलिंग और कानूनी प्रक्रिया के तहत आगे का कदम उठाया जाएगा।
दूसरी ओर, मारपीट की घटना पर भी पुलिस ने संज्ञान लिया। एसीपी सिंह ने कहा, “हमलावरों की पहचान हो चुकी है। उनके खिलाफ भी आईपीसी की धारा 323 (मारपीट), 147 (दंगा) और 354 (महिलाओं पर अत्याचार) के तहत केस दर्ज होगा। गिरफ्तारियां आज-कल में हो जाएंगी।” हिंदू रक्षा दल के एक पदाधिकारी ने दावा किया कि वे लड़की को “सुधारने” के लिए गए थे, लेकिन पुलिस का कहना है कि कानून सबके लिए बराबर है।
यह घटना सोशल मीडिया पर बहस छेड़ रही है। एक तरफ लोग लड़की के बयानों को अभिव्यक्ति की आजादी बता रहे हैं, तो दूसरी तरफ धार्मिक संवेदनशीलता का हवाला देकर सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे वीडियो सोशल मीडिया पर सेंसरशिप की जरूरत को रेखांकित करते हैं। फिलहाल, पुलिस दोनों पक्षों से बयान ले रही है और इलाके में शांति बनाए रखने के लिए फोर्स तैनात की गई है। मामला अब अदालत में जाएगा, जहां नाबालिग होने के कारण लड़की को विशेष छूट मिल सकती है।
यह घटना यूपी में सोशल मीडिया के दुरुपयोग पर एक बार फिर सवाल खड़े कर रही है, जहां पहले भी कई वायरल वीडियो विवादों का शिकार हो चुके हैं। पुलिस ने लोगों से अपील की है कि ऐसी सामग्री शेयर न करें, वरना सख्त कार्रवाई होगी।

