वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट में क्या दावे किए गए?
द वाशिंगटन पोस्ट ने 24 अक्टूबर 2025 को प्रकाशित अपनी रिपोर्ट में आरोप लगाया कि अमेरिकी आरोपों (जैसे भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी) के बीच मोदी सरकार ने अदाणी समूह को सहारा देने के लिए LIC के फंड्स का इस्तेमाल करने की योजना बनाई थी। रिपोर्ट में दावा किया गया कि यह प्रस्ताव आंतरिक दस्तावेजों पर आधारित है, जिसमें LIC को अदाणी ग्रुप की विभिन्न कंपनियों में बड़ी राशि निवेश करने का निर्देश दिया गया था। अदाणी समूह ने भी इन दावों को खारिज करते हुए कहा कि वे किसी सरकारी योजना में शामिल नहीं हैं और उनके फंडिंग के फैसले नियामकीय अनुपालन के साथ होते हैं।
LIC का आधिकारिक बयान और स्पष्टीकरण
LIC ने अपने बयान में कहा, “हमारे निवेश निर्णय विस्तृत जांच-पड़ताल के बाद और बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीतियों के अनुसार लिए जाते हैं। वित्तीय सेवा विभाग या किसी अन्य संस्था की इसमें कोई भूमिका नहीं होती।” कंपनी ने जोर दिया कि उसके सभी निवेश उच्चतम मानकों के अनुरूप हैं और हितधारकों के हित में हैं। LIC ने यह भी बताया कि उसका कुल निवेश पोर्टफोलियो 41 लाख करोड़ रुपये (500 अरब डॉलर से अधिक) का है, जो भारत की शीर्ष 500 कंपनियों में फैला हुआ है। 2014 से अब तक इसका निवेश मूल्य 10 गुना बढ़कर 15.6 लाख करोड़ रुपये हो गया है, जो मजबूत फंड मैनेजमेंट को एक बार फिर से उजागर कर दिया है।
LIC ने अदाणी समूह में अपने निवेश को भी स्पष्ट किया। कंपनी के पास अदाणी ग्रुप के केवल 4 प्रतिशत शेयर (करीब 60,000 करोड़ रुपये) हैं, जबकि रिलायंस इंडस्ट्रीज में 6.94 प्रतिशत (1.33 लाख करोड़ रुपये), आईटीसी में 15.86 प्रतिशत (82,800 करोड़ रुपये), एचडीएफसी बैंक में 4.89 प्रतिशत और एसबीआई में 9.59 प्रतिशत हिस्सा है। LIC ने कहा कि अदाणी उसके सबसे बड़े होल्डिंग्स में नहीं है और समूह का कुल कर्ज 2.6 लाख करोड़ रुपये है, जो उसके वार्षिक लाभ और नकदी पर आधारित है।
अदाणी समूह और वैश्विक निवेशकों का विश्वास
अदाणी समूह ने भी रिपोर्ट को खारिज करते हुए कहा कि LIC का उनके कर्ज में हिस्सा कुल कर्ज का 2 प्रतिशत से कम है। समूह ने बताया कि हाल के महीनों में ब्लैकरॉक, अपोलो, मिजुहो बैंक, एमयूएफजी और डीजेड बैंक जैसे वैश्विक निवेशकों ने भी अदाणी में निवेश किया है, जो समूह में विश्वास दर्शाता है। अदाणी के अनुसार, अगर नए इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश रोके जाएं तो वे तीन साल से कम समय में अपना पूरा कर्ज चुका सकते हैं।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर इस मुद्दे को लेकर चर्चा तेज है। कई यूजर्स ने वाशिंगटन पोस्ट को “हिट जॉब” करार दिया और LIC के बयान का समर्थन किया। उदाहरण के लिए, एक यूजर ने लिखा कि रिपोर्ट हिंदनबर्ग रिसर्च की तरह भ्रामक है और LIC के निवेश पारदर्शी हैं। वहीं, विपक्षी नेता जैसे कांग्रेस के संजय झा ने इसे मोदी-अदाणी घोटाला बताते हुए जांच की मांग की।
यह विवाद ऐसे समय में उभरा है जब अदाणी समूह पहले से ही अमेरिकी जांच के घेरे में है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह रिपोर्ट भारतीय वित्तीय क्षेत्र की विश्वसनीयता पर सवाल उठाती है, लेकिन LIC के मजबूत खंडन से बाजार में स्थिरता बनी हुई है। आगे की जांच से ही सच्चाई सामने आएगी।

