घटना उस वक्त घटी जब चित्रा त्रिपाठी बिहार के ग्रामीण इलाकों में जनता से बातचीत के लिए पहुंचीं। उनका शो ‘जनहित’ चल रहा था, जिसमें वे चुनावी मुद्दों पर लोगों की राय ले रही थीं।
अचानक एक भीड़ ने उन्हें घेर लिया। वीडियो फुटेज में साफ दिख रहा है कि युवा वर्ग, खासकर जेन-जेड, जोर-जोर से नारे लगा रहे थे। ‘गोदी मीडिया’ का आरोप लगाते हुए उन्होंने त्रिपाठी को ‘वोट चोर’ करार दिया, जो विपक्षी दलों की ओर से भाजपा-एनडीए पर लगाए जाने वाले सामान्य आरोप को दर्शाता है। एंकर ने कैमरे के सामने कहा, “हो गया, अब जा सकते हैं?” और जल्दबाजी में शो बंद कर दिया।
यह वीडियो यूट्यूब, इंस्टाग्राम और एक्स (पूर्व ट्विटर) पर तेजी से फैल गया। एक यूजर ने लिखा, “बिहार के युवाओं ने चित्रा त्रिपाठी को दौड़ा-दौड़ा कर धोया। वोट चोर गद्दी छोड़ो के नारे गूंजे।” सोशल मीडिया पर सैकड़ों पोस्ट्स में इसे ‘गोदी मीडिया’ के खिलाफ जनाक्रोश का प्रतीक बताया जा रहा है। कुछ यूजर्स ने इसे हास्य का विषय बनाया, तो कुछ ने पत्रकारिता की निष्पक्षता पर सवाल उठाए। एक पोस्ट में कहा गया, “चित्रा त्रिपाठी ने ट्रोल करो लिखा, लेकिन बिहारी शेर ने उनकी औकात बता दी।”
इस घटना से पहले भी चित्रा त्रिपाठी बिहार कवरेज में विवादों में रहीं। 16 अक्टूबर को एक ग्रामीण महिला से बातचीत के दौरान उज्ज्वला योजना और राशन वितरण में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सवाल उठे, लेकिन एंकर ने इन्हें टाल दिया। महिलाओं ने बताया कि गैस सिलेंडर नहीं मिला और राशन से 5 किलो चावल काट लिया जाता है, फिर भी उन्होंने मोदी जी को ही पसंदीदा नेता बताया। विपक्षी समर्थक इसे ‘चुनिंदा रिपोर्टिंग’ बता रहे हैं, जहां केवल एनडीए समर्थक वीडियो ही प्रसारित होते हैं।
एबीपी न्यूज़ ने अभी तक इस घटना पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। हालांकि, चित्रा त्रिपाठी ने अपने शो में बिहार के बाहुबलियों और तेजस्वी यादव पर सवाल उठाए थे, जो विपक्ष को भड़का सकता है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह घटना बिहार चुनाव में मीडिया की भूमिका को लेकर नई बहस छेड़ेगी। महागठबंधन के नेता इसे जनता का विद्रोह बता रहे हैं, जबकि भाजपा समर्थक इसे ‘अराजकता’ करार दे रहे हैं।
बिहार चुनाव नवंबर-दिसंबर में होने हैं, जहां एनडीए और महागठबंधन के बीच कांटे की टक्कर की उम्मीद है। ऐसी घटनाएं न केवल पत्रकारों के लिए खतरा बढ़ा रही हैं, बल्कि लोकतंत्र की चौथी स्तंभ की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े कर रही हैं। क्या यह जनता का सशक्तिकरण है या मीडिया पर हमला? समय ही बताएगा।

