Budgam By-election: Shia vs. Shia: जम्मू-कश्मीर की बडगाम विधानसभा सीट पर उपचुनाव की रणभेरी बज चुकी है। यहां नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां), भाजपा और पीडीपी के बीच त्रिकोणीय मुकाबला होने जा रहा है, जहां सभी पार्टियों की नजरें 35 हजार शिया वोटों पर टिकी हैं। कुल 1.26 लाख मतदाताओं वाली इस सीट पर 20 उम्मीदवार मैदान में हैं, लेकिन मुख्य टक्कर नेकां के वरिष्ठ शिया नेता आगा सैयद महमूद अल-मौसवी (नेकां), आगा सैयद मोहसिन मौसवी (भाजपा) और आगा सैयद मुंतजिर मेहदी (पीडीपी) के बीच है। चुनाव आयोग ने 11 नवंबर को वोटिंग और 14 नवंबर को मतगणना की घोषणा की है।
यह सीट खाली होने का कारण मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला हैं, जिन्होंने 2024 के विधानसभा चुनाव में गंदरबल और बडगाम दोनों से जीत हासिल की थी। उन्होंने गंदरबल को बनाए रखा और बडगाम को उपचुनाव के लिए छोड़ दिया। नामांकन प्रक्रिया सोमवार को समाप्त हुई, जिसमें नेकां के उम्मीदवार आगा महमूद के साथ उमर अब्दुल्ला खुद मौजूद रहे। उमर ने कहा, “हमने कभी दो सीटों पर चुनाव लड़ने की इच्छा नहीं की थी। बडगाम के लोग विकास और प्रतिनिधित्व की प्रतीक्षा कर रहे हैं।” आगा महमूद ने भी विश्वास जताया कि वे क्षेत्र के मुद्दों—जैसे अनुच्छेद 370, 35ए और आरक्षण—पर फोकस करेंगे।
नेकां में आंतरिक कलह: आगा रूहुल्ला का किनारा बनेगा चुनौती
नेकां के लिए सबसे बड़ी चिंता सांसद आगा सैयद रूहुल्ला मेहदी का नामांकन से दूरी बनाना है। आगा महमूद ने उन्हें “अपने बेटे जैसा” बताते हुए कहा कि रूहुल्ला पार्टी के प्रचार में शामिल होंगे, लेकिन सियासी हलकों में यह विद्रोह नेकां के लिए खतरे की घंटी है। रूहुल्ला ने हाल ही में आरक्षण नीति की समीक्षा पर सरकार की नीतियों की आलोचना की थी, जिसे विपक्ष ने “चुनावी स्टंट” करार दिया है। नेकां अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि पार्टी आंतरिक मतभेदों को सुलझा रही है, लेकिन स्थानीय मतदाता कहते हैं कि “एक साल से विधायक के बिना रहना थकाऊ हो गया है।”
भाजपा की रणनीति: शिया वोटबैंक में सेंध लगाने की कोशिश
भाजपा ने शिया समुदाय से ही आगा सैयद मोहसिन को मैदान में उतारकर मुकाबले को रोचक बना दिया है। विपक्ष के नेता सुनील शर्मा ने नामांकन के दौरान कहा, “नेकां ने दशकों से कश्मीर पर अब्दुल्ला परिवार का राज चलाया है। स्मार्ट मीटर जैसी नीतियों से लोग तंग आ चुके हैं। हम कल्याणकारी योजनाओं को जमीनी स्तर तक पहुंचाएंगे।” भाजपा का दावा है कि नेकां का प्रभुत्व टूट रहा है और शिया वोटों में उनकी सेंध नेकां को नुकसान पहुंचा सकती है। पार्टी ने नागरोटा सीट पर भी मजबूत पकड़ का भरोसा जताया है, जहां उपचुनाव भाजपा विधायक देविंदर सिंह राणा के निधन के बाद हो रहा है।
पीडीपी का दांव: युवा चेहरा उतारकर साधने की कोशिश
पीडीपी ने आगा मुंतजिर मेहदी को टिकट देकर शिया वोटों पर नजर रखी है। पार्टी महासचिव वहीद पारा ने कहा, “आरक्षण आबादी के अनुपात में होना चाहिए। बडगाम के लोग नेकां की अनदेखी से परेशान हैं। हम सुलभ और जवाबदेह प्रतिनिधित्व देंगे।” महबूबा मुफ्ती की अगुवाई वाली पीडीपी ने विकास और स्थानीय मुद्दों को प्रमुखता दी है।
आरक्षण नीति बनी फ्लैशपॉइंट, मतदाता क्या कहते हैं?
उपचुनाव से पहले आरक्षण नीति की समीक्षा ने राजनीति को गर्मा दिया है। नेकां का कहना है कि यह न्यायपूर्ण बदलाव है, जबकि विपक्ष इसे वोटबैंक की राजनीति बता रहा है। बडगाम के निवासी मुजफ्फर अहमद जैसे लोग कहते हैं, “हम थक चुके हैं, लेकिन प्रतिनिधित्व जरूरी है। शिया वोट निर्णायक होंगे।” जिला निर्वाचन अधिकारी बिलाल मोहि-उद-दीन भट ने कहा कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने की पूरी तैयारी है।
यह उपचुनाव न केवल बडगाम बल्कि पूरे कश्मीर की राजनीति की दिशा तय करेगा। नेकां का गढ़ माना जाने वाला यह क्षेत्र अब बदलाव की हवा से हिल रहा है। क्या शिया वोट नेकां के साथ रहेंगे या भाजपा-पीडीपी की सेंध कामयाब होगी? 11 नवंबर का फैसला इंतजार करा रहा है।
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