Punjab/Bathinda News: पंजाब के बठिंडा जिले में दबवाली भारतमाला रोड के नजदीकी एक खेत में पराली जलाने की घटना सामने आई है। यह घटना आज दोपहर में देखी गई, जब किसानों द्वारा फसल अवशेषों को आग लगाते हुए वीडियो वायरल हो गया। यह घटना उस समय हुई है जब पूरे उत्तर भारत में वायु प्रदूषण का स्तर पहले से ही चिंताजनक रूप से बढ़ रहा है, खासकर दिवाली से
ठीक बाद।
वीडियो में साफ दिखाई दे रहा है कि एक विशाल खेत में धुंधला धुआं उठ रहा है, जो आसपास के इलाकों में फैल रहा है। स्थानीय किसानों का कहना है कि कटाई के बाद पराली को साफ करने के लिए यह पारंपरिक तरीका अपनाया जाता है, लेकिन पर्यावरण विशेषज्ञ इसे दिल्ली-एनसीआर सहित पूरे क्षेत्र के लिए खतरा बता रहे हैं। बठिंडा के अतिरिक्त उपायुक्त पूनम सिंह ने हाल ही में कहा था कि जिले में अब तक केवल एक ही पराली जलाने की घटना दर्ज हुई है, लेकिन आज की यह घटना उस आंकड़े को चुनौती दे डाली है। उन्होंने जोर देकर कहा, “हमारी पूरी टीम सक्रिय है। कृषि अधिकारी किसानों को पराली प्रबंधन के फायदों के बारे में जागरूक कर रहे हैं। यदि यूं ही समन्वय जारी रहा, तो यह समस्या 1-2 वर्षों में हल हो जाएगी।”
पंजाब में पराली जलाने की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। 15 सितंबर से 21 अक्टूबर तक राज्य में कुल 415 से अधिक मामले दर्ज हो चुके हैं, जो पिछले वर्ष के मुकाबले कम हैं, लेकिन चिंताजनक हैं। पिछले दो दिनों में ही 107 घटनाएं रिपोर्ट हुईं, जिनमें फिरोजपुर (14 मामले) सबसे आगे रहा। तर्ण तारन (136 मामले), अमृतसर (120) और पटियाला (27) जैसे जिले प्रभावित हैं। बठिंडा में अब तक की घटनाएं कम रही हैं, लेकिन दबवाली क्षेत्र में यह नई घटना स्थानीय प्रशासन के लिए चुनौती पेश कर रही है।
पर्यावरणविदों का कहना है कि पराली जलाने से निकलने वाला धुआं स्मॉग का प्रमुख कारण बनता है, जो सांस संबंधी बीमारियों, आंखों में जलन और बच्चों व बुजुर्गों के स्वास्थ्य के लिए घातक साबित होता है। पंजाब सरकार ने किसानों को मशीनरी उपलब्ध कराने, सब्सिडी देने और जागरूकता अभियान चलाने जैसे कदम उठाए हैं, लेकिन ग्रामीण इलाकों में जागरूकता की कमी बनी हुई है। एक स्थानीय किसान ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “पराली को साफ करने के लिए मशीनें महंगी हैं और समय की कमी रहती है। लेकिन हम जानते हैं कि यह प्रदूषण बढ़ाता है।”
प्रशासन ने इस घटना पर तत्काल कार्रवाई का आश्वासन दिया है। जिलाधिकारी कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, सैटेलाइट निगरानी के जरिए ऐसी घटनाओं पर नजर रखी जा रही है और दोषी किसानों पर जुर्माना लगाया जा सकता है। साथ ही, किसानों को वैकल्पिक तरीकों जैसे पराली को खाद या बायोफ्यूल में बदलने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
यह घटना पूरे पंजाब के लिए एक सबक है। यदि पराली जलाने की प्रवृत्ति नहीं रुकी, तो दिवाली के बाद दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) और भी ख़राब होता जा रहा है।
सरकार और किसान संगठनों को मिलकर काम करने की जरूरत है ताकि पर्यावरण संरक्षण और कृषि हित दोनों सुरक्षित रहें।

