फिल्म की कहानी विक्रमादित्य भोंसले (हर्षवर्धन राणे) के इर्द-गिर्द घूमती है, जो एक राजनीतिक परिवार से आता है और सुपरस्टार अदाया (सोनम बाजवा) से एकतरफा प्यार कर बैठता है। वह उसकी अस्वीकृति को नजरअंदाज कर लगातार उसका पीछा करता है, जो कई दृश्यों में उत्पीड़न जैसा लगता है।
निर्देशक मिलाप जावेरी की यह फिल्म कथित तौर पर जेन-जी लव स्टोरी के रूप में प्रचारित की गई है, लेकिन समीक्षकों का कहना है कि यह पुरानी क्लिशे वाली खतरनाक अवधारणा को बढ़ावा देती है कि जुनूनी प्यार वैध है और ‘ना’ को ‘हां’ में बदला जा सकता है ।
समीक्षाओं में दो धड़े
इंडियन एक्सप्रेस की समीक्षा में इसे 1/5 रेटिंग दी गई है, जहां इसे ‘क्रिंज-वर्थी’ और ‘रिग्रेसिव’ बताया गया है। समीक्षक शु्भ्रा गुप्ता ने लिखा कि बॉलीवुड अभी भी ‘दार’, ‘अंजाम’ और ‘तेरे नाम’ जैसी फिल्मों की जहरीली मिसोजिनी को जिंदा रख रहा है, जो एकतरफा जुनून को वैध भावना के रूप में पेश करती हैं ।
हिंदुस्तान टाइम्स ने इसे ‘बोरिंग’ करार दिया, कहते हुए कि यह इंस्टाग्राम रील्स के लिए बनी लगती है और कहानी अवास्तविक है । हॉलीवुड रिपोर्टर इंडिया ने इसे ‘एंटी-वोक’ और ‘एंटी-आर्ट’ कहा, जहां पुरुष पीड़ा को संगीतमय तरीके से महिमामंडित किया गया है ।
दूसरी ओर, बॉलीवुड हंगामा ने इसे 3.5/5 स्टार्स दिए, इसे ‘अनपोलोजेटिकली मासी’ और ‘फियरसली पैशनेट’ बताते हुए कहा कि सॉलिड परफॉर्मेंस और थंपिंग म्यूजिक इसे देखने लायक बनाते हैं । टाइम्स ऑफ इंडिया ने इसे पैशन और ह्यूमर से भरपूर बताया, हालांकि कुछ समीक्षाओं में इसे ‘ओवरड्रामैटिक’ और ‘प्रेडिक्टेबल’ भी कहा गया। रेडिट पर यूजर्स ने इसे ‘क्लासिक मिलाप जावेरी फिल्म’ कहा, जहां राणे की एक्टिंग को सराहा गया लेकिन बाजवा से बेहतर परफॉर्मेंस की उम्मीद की गई ।
विवाद: मिसोजिनी और बॉलीवुड की पुरानी समस्या
फिल्म को लेकर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ी है कि क्या यह महिलाओं के प्रति सम्मान की अवधारणा को कमजोर करती है। एक एक्स यूजर ने लिखा कि फिल्म में एक दृश्य जहां नायिका राणे से छुटकारा पाने के लिए किसी से सोने की पेशकश करती है, वह बच्चों के लिए अनुपयुक्त है । एक अन्य ने इसे ‘ओब्सेसिव लव ड्रेस्ड ऐज पैशन’ बताया, जो स्टोरी को बोरिंग बनाता है । वहीं, कुछ यूजर्स ने इसे ‘तेरे नाम’ जैसी वाइब्स वाली फिल्म बताया और सलाह दी कि ऐसे वाइब्स चाहने वाले जरूर देखें ।
बॉलीवुड में मिसोजिनी का मुद्दा नया नहीं है। पहले भी ‘कबीर सिंह’ जैसी फिल्मों पर इसी तरह की आलोचना हुई थी, जहां टॉक्सिक मस्कुलिनिटी को ग्लोरिफाई किया गया । एक यूट्यूब वीडियो में ‘तेरे इश्क में’ और ‘एक दीवाने की दीवानियत’ की तुलना की गई, जहां इसे ‘नारी-द्वेषी’ कहा गया । हालांकि, फिल्म के निर्देशक और स्टार्स ने अभी तक इस विवाद पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
बॉक्स ऑफिस परफॉर्मेंस
विवाद के बावजूद, फिल्म ने पहले दिन 8.50 करोड़ रुपये कमाए, जो ‘धड़क 2’ और ‘सनम तेरी कसम’ से बेहतर है। यह अयुष्मान खुराना और रश्मिका मंदाना की ‘थम्मा’ (25.11 करोड़) से पीछे है, लेकिन सीमित स्क्रीन्स में यह एक सरप्राइज ओपनिंग है । दूसरे दिन की मॉर्निंग ऑक्यूपेंसी 11.80% रही ।
कुल मिलाकर, ‘एक दीवाने की दीवानियत’ ने दर्शकों को दो भागों में बांट दिया है। जहां कुछ इसे इंटेंस रोमांस के रूप में एंजॉय कर रहे हैं, वहीं आलोचक इसे समाज के लिए खतरनाक संदेश देने वाली बता रहे हैं। क्या बॉलीवुड ‘नो मीन्स नो’ की अवधारणा को अपनाएगा, या पुरानी ट्रोप्स जारी रहेंगी? समय बताएगा।

