Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही के दौरान एक अभूतपूर्व घटना सामने आयी है। जब एक वकील ने मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बीआर गवई पर जुता नुमा वस्तु फेंकने की कोशिश की। यह हादसा सोमवार सुबह के सत्र में हुआ, जब आरोपी व्यक्ति ने कोर्ट रूम में चिल्लाते हुए नारे लगाए और कथित तौर पर जूता या कागज का रोल फेंकने की कोशिश की। सुरक्षाकर्मियों ने तुरंत हस्तक्षेप कर उसे पकड़ लिया और पुलिस के हवाले कर दिया।
धार्मिक नारे लगाए
घटना के दौरान सीजेआई गवई पूरी तरह शांत रहे और कार्यवाही को बिना रुके जारी रखा। उन्होंने बाद में कहा, “इससे विचलित नहीं होंगे। ”कुछ प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, आरोपी ने “सनातन का अपमान नहीं सहेंगे” जैसे नारे लगाए, जो हाल ही में सीजेआई के एक धार्मिक टिप्पणी से जुड़े विवाद से प्रेरित प्रतीत होते हैं। आरोपी की पहचान राकेश किशोर के रूप में हुई है, जो वकील के वस्त्रों में था। पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया है और मामले की जांच शुरू कर दी है।
सूत्रों के मुताबिक, फेंकी गई वस्तु जूता थी, जबकि अन्य गवाहों ने इसे कागज का रोल बताया। कोर्ट में तैनात स्टाफ और सिक्योरिटी ने फुर्ती से प्रतिक्रिया देते हुए आरोपी को बाहर निकाला, जिससे कोई नुकसान नहीं हुआ। सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने इस घटना को गंभीरता से लिया है और सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा करने की घोषणा की है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “कोर्ट की गरिमा बनाए रखने के लिए सख्त कदम उठाए जाएंगे।”
सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस
बता दें कि घटना उस समय घटी जब सुप्रीम कोर्ट एक महत्वपूर्ण मामले की सुनवाई कर रहा था। हालांकि, सुनवाई का विषय स्पष्ट रूप से सामने नहीं आया, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह हाल के दिनों में सीजेआई गवई की धार्मिक टिप्पणियों से जुड़े विवाद से प्रेरित हो सकती है। कुछ रिपोर्ट्स में उल्लेख है कि सीजेआई ने भगवान विष्णु या शिव से संबंधित एक टिप्पणी की थी, जिस पर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई थी। बाद में उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका सभी धर्मों के प्रति सम्मान है। इस घटना ने न्यायपालिका की सुरक्षा और कोर्ट रूम में अनुशासन पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
राजनीतिक दलों और कानूनी विशेषज्ञों ने इसकी निंदा की है। वरिष्ठ वकील और पूर्व अटॉर्नी जनरल ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट जैसे संवैधानिक मंदिर में ऐसी हरकत असहनीय है।” पुलिस ने आरोपी के खिलाफ कोर्ट की अवमानना और हिंसा के प्रयास जैसे धाराओं में केस दर्ज किया है। जांच में यह पता लगाया जा रहा है कि क्या यह सुनियोजित साजिश का हिस्सा था या व्यक्तिगत आक्रोश। सुप्रीम कोर्ट ने कार्यवाही को सुचारू रूप से जारी रखा, लेकिन यह घटना पूरे देश में चर्चा का विषय बनी हुई है। विशेषज्ञों का कहना है कि न्यायिक प्रक्रिया की अखंडता को बनाए रखने के लिए तत्काल सुरक्षा उपायों की जरूरत है।
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