Poonch L.O.C News: जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने बुधवार को पूंछ जिले के मेनधर तहसील स्थित कलाबन गांव का दौरा किया, जहां हाल की भारी बारिश के कारण भूमि धंसाव से भारी तबाही मची हुई है। लाइन ऑफ कंट्रोल (LoC) के नजदीक स्थित इस सीमावर्ती गांव में 11 सितंबर से भूमि धंसने की घटना जारी है, जिससे स्थानीय निवासियों में भय का माहौल है। सीएम ने प्रभावित परिवारों से मुलाकात की और उन्हें तत्काल राहत का आश्वासन दिया।
कलाबन गांव में भूमि धंसाव के कारण 27 से अधिक आवासीय घर पूरी तरह नष्ट हो चुके हैं, जबकि 35 अन्य घरों को आंशिक क्षति पहुंची है। लगभग 70 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित किया गया है। स्थानीय लोगों ने बताया कि पहाड़ी ढलान पर स्थित गांव में धंसाव की यह घटना अभूतपूर्व है, और वे आगे की आपदा से डरते हुए सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरण की मांग कर रहे हैं। जिला प्रशासन ने कलाबन और फैजाबाद पंचायत भवनों में राहत शिविर स्थापित किए हैं, जहां 77 तंबू और 100 तिरपाल वितरित किए गए हैं। वाहनों के माध्यम से प्रभावित लोगों और उनके सामान को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया जा रहा है।
मुख्यमंत्री अब्दुल्ला ने प्रभावित क्षेत्रों का जायजा लिया और अधिकारियों को तत्काल अस्थायी आश्रय, भोजन, चिकित्सा सहायता और अन्य सुविधाएं प्रदान करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा, “इस साल की बारिश ने जम्मू-कश्मीर में व्यापक क्षति पहुंचाई है। हम अपनी उपलब्ध वित्तीय संसाधनों का उपयोग करके लोगों को राहत प्रदान करेंगे। हम केंद्र सरकार के साथ निकट संपर्क में हैं और उनके सामने जम्मू-कश्मीर के लिए एक बड़ा पैकेज मांगेंगे।” सीएम ने पंजाब, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड को दिए गए राहत पैकेज की तर्ज पर जेकेई के लिए समान सहायता की उम्मीद जताई।
यह घटना जम्मू-कश्मीर में मानसून 2025 की तबाही का हिस्सा है, जिसने पूरे क्षेत्र को प्रभावित किया है। अगस्त और सितंबर में भारी बारिश, बादल फटने, भूस्खलन और बाढ़ से 100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि सैकड़ों घर नष्ट हुए हैं। किश्त्वाड़ जिले के चाशोटी में 14 अगस्त को बादल फटने से 68 लोग मारे गए और 300 से अधिक घायल हुए। वैष्णो देवी यात्रा मार्ग पर भूस्खलन से 9 तीर्थयात्रियों की मौत हुई, जबकि जम्मू, रामबन, राजौरी, रीसी और डोडा जिलों में 11 गांवों में भूमि धंसाव से 200 से अधिक घर क्षतिग्रस्त हो चुके हैं और 3,000 से ज्यादा लोग विस्थापित हैं। जेहलुम नदी का ब bund टूटने से 9,000 लोगों को निकाला गया, जबकि सड़कें, पुल और बिजली-पानी की आपूर्ति बाधित हो गई।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पहले ही जम्मू का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया है और एनडीआरएफ की 17 टीमें तथा सेना के 23 कॉलम राहत कार्य में लगे हैं। केंद्र ने राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (SDRF) के तहत 209 करोड़ रुपये जारी किए हैं। जेकेई कांग्रेस ने प्रशासन से सक्रियता की मांग की है, जबकि विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण हिमालयी क्षेत्रों में ऐसी आपदाएं बढ़ रही हैं।
मंत्री जावेद अहमद राणा, जो क्षेत्र से हैं, ने भी दौरा किया और भूवैज्ञानिकों व इंजीनियरों की टीम गठित करने का सुझाव दिया। बाढ़ नियंत्रण विभाग को विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं, जिसमें संरचनात्मक और गैर-संरचनात्मक उपाय शामिल होंगे। वन विभाग को मिट्टी संरक्षण और वृक्षारोपण अभियान चलाने को कहा गया है।
सीएम अब्दुल्ला ने जोर देकर कहा कि सरकार प्रभावितों को अकेला नहीं छोड़ेगी और लंबी अवधि के उपायों पर काम करेगी। मौसम विभाग ने अभी भी कुछ जिलों में भारी बारिश की चेतावनी जारी की है, जिससे स्थिति और गंभीर हो सकती है।

